कांग्रेस के दो धुरंधर राजनेताओं की 20 वर्ष पुरानी तकरार, अब विधानसभा में इजहार

नागदा । मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा-खाचरौद विधानसभा के दो धूरंधर कांग्रेस राजनेताओं की पुरानी सियासती तकरार अब लगभग 20 बरस बाद  मप्र के चालु विधानसभा सत्र में उभर कर सामने आई। क्षेत्र के विधायक एवं आल इंडिया कांग्रेस के सदस्य दिलीपसिंह गुर्जर के एक तारांकित प्रश्न ने अतीत की एक सियासत की प्रतिद्धद्धता की याद को ताजा कर दिया। कांग्रेस एमएलए श्री गुर्जर ने दूसरे कांग्रेस राजनेता के परिजनों के करोड़ों के टर्न ओवर के एक कारोबार की खामियों को लेकर विधानसभा में सवाल कर लिया।

यह मामला अब सुर्खियों में आ गया। मामला यह थाकि वर्ष 2003 में तत्कालीन पूर्व कांग्रेस विधायक दिलीपसिंह गुर्जर को मात देकर पूर्व विधायक रणछोडलाल आंजना कांग्रेस का टिकट लाने में कामयाब हुए थे। इस चुनाव  में श्री आंजना को हार मिली और पराजय के  बाद वे सक्रिय राजनीति से दूर हुए। गांव पचलासी में कृषि और कारोबार में जुट गए। इनके परिजनों के कारोबार को लेकर विधानसभा में कांग्रेस विधायक श्री गुर्जर ने तीखे सवाल कर लिए।  यह कारोबार श्री आंजना के बेटे करण आंजना के नाम से संचालित है ।

खाद कारोबार जिंक सल्फेट प्रोजेक्ट पर सवाल
कांग्रेस के इन दोनों राजनेताओं की अतीत की सियासती तकरार मंगलवार को  तारांकित प्रश्न के  माध्यम से विधानसभा में देखने को मिली। कांग्रेस विधायक दिलीपसिंह गुर्जर ने विधानसभा में एक ऐसा प्रश्न पूछ लिया जो संभवत कांग्रेस नेता रणछोडलाल आंजना को नागवार गूजरा होगा। विधायक श्री गुर्जर ने गांव उमरना में एक लघु उधोग से संबधित  यूनिट की स्थापना को लेकर कुछ कड़वे सवाल पूछ लिए। यहां तक यूनिट में प्रदूषण विभाग के मापदंडों के पैमाना एवं उन पर परिपालन से संबधित सवाल थे। ये सवाल किसान कल्याण मंत्री से किया गया। यह भी सवाल थाकि निर्माण इकाई में 1 जनवरी 2019 से 6 फरवरी 2023 तक कितना उर्वरक का उत्पादन किया गया। यूनिट का आय-व्यय तक पूछ लिया। आॅडिट को लेकर भी प्रश्न थे। प्रदूषण विभाग से एनओसी तथा सहकारिता विभाग से जुड़े नियम एवं  शर्तो के सवाल भी थे। उत्पादन खाद की मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित भोपाल द्धारा निर्धारित दर के निर्धारण पर भी सवाल था। यह खाद 1 जनवरी 2019 से 6 फरवरी 2023  तक कहा-कहां और किन किन सहकारी संस्थाओं  को कितनी दर पर विक्रय किया गया। खाद की किस लेबारेटरी में कब- कब जांच करवाई गई।

इन सवालों के जवाब किसान कल्याण मंत्री के हवाले से आए। बडा जवाब यह आया कि इस यूनिट के संचालक करण आंजना है। गौरतलब हैकि करण करण पूर्व कांग्रेस विधायक रणछोड़लाल आंजना के छोटे बेटें हैं। मंत्री ने बताया कि यह यूनिट मेसर्स कल्याण जिंक सल्फेट के नाम से संचालित है। बडा जवाब यह भी आया कि यह यूनिट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मापदंड पर खरा है। खाद की विश्लेषण रिपोर्ट मानक स्तर की बताई गई है।

दोनों की सियासत का इतिहास
किसी जमाने में भाजपा के अस्तित्व में आने के पहले यह नागदा-खाचरौद क्षेत्र भारतीय जनंसंघ का गढ था। जनता हलघर चुनाव  चिन्ह  के बाद जब भाजपा अस्तित्व में आई तो वर्ष 1985 में इस इस विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर रणछोड़लाल आंजना विजय हुए और विधानसभा में पहुुंच  गए। उन्होंने भाजपा के लालसिंह राणावत को 3828 मतों से शिकस्त दी।  विधायक काल के बाद दूसरी बार आपका वर्ष 1990 में टिकट कट गया और बालेश्वर दयाल जायसवाल को टिकट मिला। इस चुनाव में भाजपा के लालसिंह राणावत 10 हजार 355 मतांतर से  एमएलए बन गए। इस दौरान युवक कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय  दिलीप सिंह गुर्जर को पहली बार  वर्ष 1993  मे सारे समीकरणों को गडबडाते हुए कांग्रेस का टिकट मिला।  उस समय श्री गुर्जर बमुश्किल 26 वर्ष के थे। । उन्होंने भाजपा के लालसिंह  राणावत को 5644 मतों से पराजित किया।

कांग्रेस के दो धूरंधर राजनेताओं की 20 वर्ष पुरानी तकरार, अब विधानसभा में इजहार.

इस दौरान लंबे समय तक कांग्रेस के पूर्व विधायक श्री आंजना ने सियासत से थोड़ी दूरी बना  ली। लेकिन जब 2003 का चुनाव आया तो श्री आंजना एक लंबे समय के बाद लगभग 13 बरसों के बाद टिकट की दौड में आ गए और दिलीपसिंह गुर्जर की राह में रोड़ा बन गए। इस बार दिलीप सिंह गुर्जर को श्री आंजना के कारण टिकट से हाथ धोना पड़ा।

इस बार यहां पर दिलीपसिंह गुर्जर की सियासत को धक्का लगा।  उन्होंने  कांग्रेस एवं भाजपा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। दिलीपसिंह की तकदीर ने ऐसा साथ दिया कि वे निर्दलीय रेल के इंजिन  चुनाव चिन्ह पर सवार होकर विधान सभा में पहुँच गए। टक्कर भाजपा एवं निर्दलीय श्री गुर्जर के बीच में ही रही। कांग्रेस यहां पर हाशिए पर चली गई। दिलीपसिंह गुर्जर भाजपा के लालसिंह राणावत को पटकनी देकर 14429 मतों जीत गए। उसके बाद से इस क्षेत्र की कांग्रेस राजनीति में दिलीपसिंह गुर्जर का दबदबा बरकरार  है। श्री आंजना इस पराजय के बाद सक्रिय राजनीति से दूर चले गए। कारोबार और कृषि में  मन लगाया। श्री आंजना की राजनीति के तार पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह से जुड़े थे, बाद में  पूर्व प्रतिपक्ष नेता अजयसिंह के साथ आपके संबंध आज भी प्रगाढ है। वर्ष 2003 का टिकट श्री आंजना को अर्जुन सिंह के कोटे से ही मिला था।

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