2024 स्वयंभू प्रधानमंत्री प्रत्याशी की बाढ़ – एक अनार सौ बीमार

2024 के लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं,ठीक वैसे वैसे ही प्रधानमंत्री पद के स्वयंभू प्रत्याशी अर्थात स्वयंभू पी एम मटेरियल सामनें आ रहे हैं। इन्हे जनता नहीं ये स्वयं अपने आप को प्रोजेक्ट करने की मार्केटिंग प्रारंभ कर रहे हैं। जिन लोगों ने लोकसभा,विधानसभा और नगर निगमों के चुनावों को नजदीक से देखा है । वे यह भी जानते हैं कि मीडिया में  यशोगान में छोटी से छोटी खबर की न्यूज़ की भी बडी कीमत पर छपती है और जब तक वह पैसा नहीं पहुंचता, तब तक वह प्रकाशन नहीं होता है। हालांकि कहा जाता है कि पैड मीडिया नहीं है । मीडिया में बहुत शोर भी मचाया जाता कि हमारे यहां पैड न्यूज नहीं छपती है , मगर अधिकांशतः मीडिया का सच यही है कि मीडिया के पीछे पैड मीडिया ही होता है । ज्यों ही आपको सामान्य न्यूज को अधिक तब्बज्जो मिलती दिखे तो समझ जायें कि यह पैड न्यूज़ ही हैं । विशेषकर चुनाव के दौरान !

यूं तो मीडिया के कुछ घरानें या वरिष्ठमीडिया कर्मी, सरकारों को बनाने गिराने उनको कटघरे में खड़ा करने उनके विरुद्ध विशेष अभियान चलाने की ठेकेदारी भी करते हैं। विशेष भूमिका भी निभाते हैं । स्वतंत्र भारत में लगभग सभी अखबारों के अपने-अपने नजरिए रहे हैं, जबकि न्यूज़ एजेंसी के नाते स्वयं का नजरिया नहीं होना चाहिए,जो कुछ होता है वही होना चाहिए, मगर सत्य के चारों तरफ चासनी या गोबर लपेटना भी होता रहता है। और इसीलिए कहा जाता है कि यह अखबार इस पार्टी का है, इस विचारधारा का है। अर्थात लिखने की प्रवृत्ति अपने आप में यह सबूत देती है कि उसकी मानसिक विचारधारा क्या है और इसलिए भारत में एक स्वतंत्र पत्रकारिता हमेशा ही समस्या रहा है अब तो यूटयूब चैनलों की भरमार हो गई है। सोसल मीडिया पर पार्टियां अंधधुघ एकाउन्ट के द्वारा प्रचार प्रचार युद्ध में तूफान खडा करने वालीं है। भ्रम और झूठ फैलानें की यह समस्या भारत की ही नहीं संपूर्ण विश्व के लोकतांत्रिक देशों की है क्योंकि जहां भी लोकतांत्रिक छूटे हैं या यहां भी लोकतंत्र ने स्वतंत्रता को जगह दी है वहां स्वच्छंदताओं ने अपनी जगह बनाई है और ऐसी ही स्वच्छंदता सभी क्षेत्रों में देखते हैं और वह मीडिया में भी है । इसलिये आपके सामने तिल को ताड की तरह परोसा जाता है। जिस पार्टी के पास एक भी लोकसभा सांसद नहीं है, उसका मुखिया भी पीएम मटेरियल मीडिया मार्केटिंग से बनने की सोचता है।

इस समय भारत में प्रधानमंत्री अगला कौन हो इस विषय पर दो अलग-अलग बातें चल रही है जनता के बीच में अगले प्रधानमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी तक के सभी प्रधानमंत्रियों में सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वाधिक है, वे नेहरू युग की तरह विकल्पहीन हैं। उनकी लोकप्रियता विश्व के तमाम राजनेताओं में भी सर्वाधिक है। आम जनता भी यह सोचती है कि देश का अच्छा करने वाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है और वह देश को अनेकों उन ऊंचाइयों पर ले कर गए हैं ,जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री पद से नरेंद्र मोदी को कैसे हटाया जाए इस बात को लेकर के गंभीर चिंतन मनन अध्ययन चल रहे हैं । कोई सही तथ्य मिले न मिले मगर भ्रम,झूठ और षड्यंत्र के द्वारा मोदी जी को हटानें में कोई कोर कसर नहीं छोडी जा रही है।

विपक्ष का मानना यह है कि भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सीटों 303 में से उसकी 40 सीट किसी भी तरह कम कर दी जाएं, तो वह अल्पमत में हो जाएगी और उसका फायदा उठा करके हम आपस में सांठगांठ करके, समझौते करके, किसी अन्य व्यक्ति को प्रधानमंत्री बना लेंगे । पहले भी ऐसे प्रधानमंत्री कई बार देख चुके हैं जैसे चौधरी चरण सिंह (28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक),चन्द्र शेखर,(10 नवम्बर 1990 से 21 जून 1991 तक)एच डी देवगौड़ा (1 जून 1996 से 21अप्रेल 1997), गुजराल (21 अप्रैल 1997 से 19 मार्च 1998) ऐसे ही प्रधानमंत्री रहे हैं । जो जोड़-तोड़ के कारण बनें और देश को बर्बाद किया ।

वर्तमान में किसी भी तरह से भारत की राजनीति को भाजपा के हाथों से छीननें की कोशिश में, भारत के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित भारत के पड़ोस के कुछ देशों को भी है । विश्व की कई आर्थिक महाशक्ति कहलाने वाले देश भी यह चाहते हैं कि भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी को हटाया जा सके । अपने अपने हितों के कारण मजबूत प्रधानमंत्री मोदी को हटानें के सभी षडयंत्र चल रहे हैं।

विपक्ष ने जो रणनीति बनाई है वह प्रारंभिक तौर पर मीडिया मार्केटिंग है, जिसे हम पैड न्यूज़ या अपरोक्ष विज्ञापन कह सकते हैं । इस नीति पर सर्वाधिक आगे जो चल रहा है वह “आप पार्टी“ के अरविंद केजरीवाल हैं जो कई वर्षों से मीडिया विज्ञापन के माध्यम से अपने आपको बनाये हुये हैं। इसी क्रम में अमरीकी अखबार में छपी न्यूज का जिक्र होता है। वे सर्वाधिक परोक्ष अपरोक्ष खर्च इसी बात पर कर रहे हैं कि उनकी मार्केटिंग प्रधानमंत्री के रूप में हो जाए, उनकी मार्केटिंग देश के अच्छा करने वाले नेता के रूप में हो जाए ।

दूसरी तरफ इसी मकसद को लेकर के नीतीश कुमार ने पाला बदला, लालू प्रसाद यादव के साथ अपनी सरकार बनाई है। अब वे अपनी सरकार नहीं चलाएंगे क्योंकि सरकार उनकी है भी नहीं! सरकार तो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी के जेब में रखी हुई है । अब उनके पास कुछ भी नहीं है वे सिर्फ प्रधान मुख्यमंत्री हैं, क्यों कि वहसं अब लालूप्रसाद यादव ाहित कई मुख्यमंत्री अपरोक्ष है। अब नितिश भी दिल्ली के चक्कर लगाएंगे देश के चक्कर लगाएंगे अपनी मार्केटिंग करेंगे मार्केटिंग के खर्चे निकालनें के लिये उनके पास बिहार सरकार है ही।

कांग्रेस पूरे देश को जोडनें के नाम से देश को कांग्रेस से या राहुल गांधी से जोडनें निकल पडी है, जो स्वयं मीडिया कबरेज आकर्षित करेगी। कहीं ना कहीं ममता बनर्जी चाहती है कि भारतीय जनता पार्टी अल्ममत में आये तो उसके समर्थन से वे पीएम बन जायें। इसीलिए उन्होंने इस वक्त संघ के सम्मान में बहुत सारे शब्द कहे हैं । जबकि वे जानती है कि बंगाल में 30प्रतिशत मतदाता मुसलमान है जो कि संघ का धुर विरोधी है। इसके बावजूद उन्होंने संघ की प्रशंसा इसीलिए की है कि उन्हे वक्त जरूरत सपोर्ट मिल जाये। शरद पंवार अभी चुप हैं कुछ ही दिनों में उनके पत्ते भी खुल जायेंगें।

कुल मिला कर के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो अगले प्रधानमंत्री हैं ही किन्तु जो लोग अपने आपको अगले प्रधानमंत्री का प्रत्याशी प्रोजेक्ट करेंगे उनमें प्रथम तो कांग्रेस के राजकुमार राहुल गांधी ही रहनें वालें है। बंगाल में सरकारी संसाधनों के सहारे ममता बनर्जी ,बिहार में सरकारी संसाधनों से सहारे नितिश कुमार और दिल्ली सरकार के सहारे अरविन्द केजरीबाल ताल ठोकेंगे, तो शरद पंवार अपने अनुभव एवं वरिष्ठता के कारण मैदान में कूदेंगे।  तो इस तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अतिरिक्त करीब करीब 5 प्रधानमंत्री प्रत्याशी जनता के सामने इस वक्त मौजूद हैं ।

Disclaimer : उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। ये जरूरी नहीं कि द हरिशचंद्र इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।

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