गेवरा परियोजना विस्तार की जन सुनवाई स्थगित करने की मांग, तीखे विरोध के साथ गांवों में बैठकों का दौर शुरू

गेवरा परियोजना विस्तार की जन सुनवाई स्थगित करने की मांग, तीखे विरोध के साथ गांवों में बैठकों का दौर शुरू

कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने एसईसीएल की गेवरा ओपन कास्ट कोयला खदान परियोजना के क्षमता विस्तार के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए होने वाली जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग की है तथा पूर्व में अधिग्रहित किए गए भूमि पर भूविस्थापितों के लंबित रोजगार, मुआवजा, बसावट आदि की समस्याओं का निराकरण करने और  कोयला खनन के कारण बढ़ते प्रदूषण और गिरते जल स्तर की समस्या को प्राथमिकता से हल करने की मांग की है।

आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि कोरबा जिला पहले से ही देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल है। जिले के लोगों के स्वास्थ पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है और आम जनता कई प्रकार की प्रदूषणजनित बीमारियों का शिकार हो रही हैं। इसके बावजूद एसईसीएल स्वास्थ्य शिविरों और विस्थापित परिवारों को इलाज की कोई सुविधा नहीं देती हैं और कोल उत्पादन से मिलने वाले डीएमएफ फंड को अन्य क्षेत्र में खर्च किया जाता है, जिससे प्रभावितों को कोई लाभ नहीं होता।

उल्लेखनीय है कि गेवरा ओपन कास्ट कोयला खदान परियोजना की क्षमता 49 मिलियन टन वार्षिक से बढ़ाकर 70 मिलियन टन किया जा रहा है, जिसके कारण इस परियोजना का रकबा 4184.486 हेक्टेयर से बढ़ाकर 4781.798 हेक्टेयर किया जाना प्रस्तावित है। जन सुनवाई इसी विस्तार के लिए पर्यावरण स्वीकृति हासिल करने के उद्देश्य से की जा रही है।

भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव, दामोदर श्याम, रघु यादव आदि ने आरोप लगाया है कि यह जन सुनवाई वास्तविक तथ्यों को छुपाकर, गलत आंकड़ें पेश कर तथा आम जनता को गुमराह करके की जा रही है, ताकि पर्यावरणीय स्वीकृति आसानी से हासिल की जा सके। भू विस्थापितों ने कहा है कि पूर्व में खदान खोलने के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन 40 साल बीत जाने के बाद भी भू विस्थापित रोजगार व बसावट के लिए भटक रहे हैं और अपने अधिकार को पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं।

किसान सभा ने कहा है कि  केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार कोरबा का औद्योगिक क्षेत्र देश का तीसरा सबसे ज्यादा प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्र है। यहां का प्रदूषण सूचकांक 69.11 दर्ज किया गया है, जिसके कारण यहां की आबादी का 12% हिस्सा अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और त्वचा रोग जैसी बीमारियों से जूझ रहा है। कोरबा के पर्यावरण और स्वास्थ्य की इस तबाही में एसईसीएल अपनी जिम्मेदारी से इंकार नहीं कर सकता और इसने आज तक पर्यावरण विभाग द्वारा जारी किसी भी गाईडलाइन का पालन नहीं किया है। इसलिए एसईसीएल को पहले पर्यावरण और इस क्षेत्र के रहवासियों के प्रति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए।

किसान सभा के नेता दीपक साहू ने कहा है कि खदान विस्तार से छोटे किसान अपने आजीविका से वंचित हो जायेंगे। इन छोटे खातेदारों को रोजगार नहीं देने की नीति एसईसीएल ने बना रखी है। इसलिए खदान परियोजना विस्तार का समर्थन नहीं किया जा सकता।

किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने कहा है कि यदि पर्यावरण जन सुनवाई को स्थगित नहीं किया जाता, तो इस क्षेत्र की जनता का तीखा विरोध एसईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन को झेलना पड़ेगा।

प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।

नमस्कार, हम एक गैर-लाभकारी संस्था है। और इस संस्था को चलाने के लिए आपकी शुभकामना और सहयोग की अपेक्षा रखते है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।

Log In

Forgot password?

Don't have an account? Register

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.

Exit mobile version