एक्सक्लूसिव- न बाज़ार सजा, न भीड़ जुटी, फिर भी उत्तरायणी मेले के नाम पर लाखों उड़ाये

एक्सक्लूसिव- न बाज़ार सजा, न भीड़ जुटी, फिर भी उत्तरायणी मेले के नाम पर लाखों उड़ाये

उत्तराखंड। एक पुरानी कहावत है कि तीन छिपाए न छिपे– चोरी, हत्या, पाप, यह आज भी सही होता दिख रहा है। इसी का जीता-जागता उदाहरण है बागेश्वर जनपद में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले ऐतिहासिक, पौराणिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक उत्तरायणी मेला 14 जनवरी से शुरू होता है। बिना मेले के 16,78,315.00 रू खर्च कर गये माननीय, जिसकी अनिमित्ता छुपाये न छुप सकी। अब सर्वप्रथम आपको लेकर चलते हैं मेले व सरकारी धन को ठिकाने लगाने को लेकर क्या तैयारियों व कदम अपनाये गए। मामले को जानने के लिए पहले हमें पिछली खबरों को बारीकी से समझना होगा।

आपको बताते चलें कोरोना के कारण लगातार दो वर्ष से उत्तरायणी मेला नहीं हुआ है। लेकिन वर्ष 2022 में कोरोना की लहर कुछ थमी थी। जिसके कारण मेले के आयोजन को रणनीति बनाई जा रही थी। विधानसभा चुनाव को लेकर दिसंबर में यदि आचार संहिता लगी तो मेला प्रशासन कराएगा।

26 दिसम्बर 2022 को बागेश्वर में उत्तराणी मेले को लेकर विकास भवन सभागार में एक बैठक हुई। मेले को आकर्षित और भव्य बनाने का निर्णय लिया गया। तब तत्कालीन जिलाधिकारी विनीत कुमार ने कहा कि उत्तरायणी मेले से बागेश्वर की पहचान है। मेले को शांतिपूर्वक कराने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है। बागनाथ मंदिर और अन्य मंदिरों की सजावट फूलों और विद्युत मालाओं से होगी। मेले को भव्य रूप दिया जाएगा। बाहर से आने वाले लोग भी अच्छा संदेश लेकर जाएंगे।

उन्होंने तब बताया कि पर्यटन विभाग विदेशी पर्यटकों को भी उत्तरायणी मेले में लाने का प्रयास करेगा। सांस्कृतिक पहचान और धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति मिलेगी। स्थानीय कलाकारों को पारंपरिक विधाओं को उजागर करने का मौका मिलेगा। झोड़ा, चांचरी, छपेली को प्राथमिकता मिलेगी। विभाग नुमाइशखेत में स्टाल लगाएंगे। लोनिवि सड़कों को दुरुस्त करेगा। बागनाथ मंदिर के समीप निर्माणाधीन पुल को दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। बैठक में वर्तमान कैबिनेट मंत्री विधायक चंदन राम दास, नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल, जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार, गोविंद बिष्ट समेत सभी विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

वहीं उसके बाद एक बार फिर 8 जनवरी 2022 को कोविड-19 के नए स्वरूप ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए सात जनवरी को जारी सरकार की एसओपी के मद्देनजर डीएम विनीत कुमार ने उत्तरायणी मेले को लेकर जनप्रतिनिधियों और व्यापारियों की बैठक ली। डीएम ने कहा कि नई गाइडलाइन के अनुसार 16 जनवरी तक सभी सार्वजनिक समारोह (मनोरंजन/शैक्षिक/सांस्कृतिक आदि) गतिविधियों पर प्रतिबंध है। इसलिए पहले की बैठकों में उत्तरायणी मेले को तीन दिन तक आयोजित करने के निर्णय लिया गया था, जिसे स्थगित किया जाता है। अब उत्तरायणी के दौरान कोई भी आयोजन नहीं होंगे।

बैठक में नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल, एसपी अमित श्रीवास्तव, एसडीएम/मेलाधिकारी हर गिरि, सीओ शिवराज राणा, चेयरमैन रेडक्रॉस सोसाइटी संजय साह जगाती, किशन सिंह मलड़ा, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद भट्ट, अधिवक्ता गोविंद सिंह भंडारी आदि थे।

आपको इन दोनो बैठकों की सूचनाओं के आधार पर अंदाज़ा हो गया होगा कि मेला हुआ कि नही। व्यापार मण्डल के जिला अध्यक्ष बलवन्त सिंह नेगी बताते हैं कि मेला नही हुआ। नगर के अन्य वरिष्ठ व युवा व्यापारी बताते हैं कि मेला कोरोना ले गया।

न बाज़ार सजा, न भीड़ जुटी, न ढोल बजा, न झोड़ा, न चांचरी फिर भी जिला प्रशासन उत्तरायणी मेले के नाम पर लाखों उड़ाये। प्राप्त आरटीआई के अनुसार अब खुलासा हुआ है कि वर्ष 2022 में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले में सुरक्षा के दृष्टिगत चयनित 15 स्थानों पर 18 सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने हेतु 9,28,315.00 रू खर्च किए गये। छानबीन में पता लगा कि मेला क्षेत्र में कोई भी कैमरा न तो लगाया गया, न आज कोई कैमरा लगा है।

दूसरा 2022 में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक मेले को भव्य एवं आकर्षक बनाये जाने के लिए मेला स्थान पर एक एल०ई०ड़ी० प्रोजेक्टर लगाये जाने हेतु 7,50,000.00 रू खर्च कर दिए गए। अब आप कहेंगे अभी तो इन्होंने ही ऊपर जानकारी में बताया है (डीएम ने कहा कि नई गाइडलाइन के अनुसार 16 जनवरी तक सभी सार्वजनिक समारोह (मनोरंजन/शैक्षिक/सांस्कृतिक आदि) गतिविधियों पर प्रतिबंध है।) मेला नही होगा। फिर यह सब क्यों? क्या सरकारी धन खर्च करना ही मेला है? यह सब समझ से परे है।

इस पर आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी वित्तीय अनिमित्ता हुई, जब मंच ही नही सजा तो एल०ई०ड़ी० में क्या और किसे दिखाया गया? यह तो वही जाने या उनके मुलाजिम ही जाने। बागेश्वर के जनप्रतिनिधि व जनता को कानों कान खबर नही और जिला अधिकारी सरकारी धन ठिकाने लगा गये। कोरोना के चलते जहां आम जनमानस को घरों से बाहर निकलने पर मनाही थी और एक निश्चित संख्या में ही एकत्रित हो सकते थे। उस समय में एक ऐसा इतिहास बागेश्वर में ऐतिहासिक मेले को लेकर लिखा गया जो बागेश्वर के इतिहास में हमेशा याद रखा जायेगा।

इधर नगर पालिका बागेश्वर के अधिशासी अधिकारी सतीश कुमार ने बताया की वर्ष 2022 में मेला महज़ स्नान तक ही सीमित रहा। वैसा कोई मेला नही हुआ जैसा पहले होता रहा है। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में कोई धन उन्हें नही मिला और न ही उन्हें कोई जानकारी है।

Log In

Forgot password?

Don't have an account? Register

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.

Exit mobile version