हीरों की तलाश में जुटे पांच लोगों की फिर चमकी किस्मत

पन्ना। बेशकीमती हीरों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती इन दिनों हीरों की तलाश करने वाले लोगों पर मेहरबान है। यहाँ भिन्न – भिन्न इलाकों में कई जगह उथली हीरा खदानें लगाई जाती हैं जहाँ यदा कदा लोगों को हीरे मिलते रहते हैं। लेकिन ऐसा संयोग कम ही होता है कि एक ही दिन में पांच लोगों को बेशकीमती हीरे मिले हों। बुद्धवार २८ सितम्बर को यह चमत्कार घटित हुआ जब एक – एक करके शाम तक पटी व जरुआपुर की उथली हीरा खदानों में पांच लोगों को हीरा मिले। इन भाग्यशाली लोगों में एक महिला भी शामिल है।

हीरों की तलाश में जुटे पांच लोगों की फिर चमकी किस्मत

डायमण्ड ऑफिसर पन्ना रवि पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय में बुद्धवार को  पांच अलग-अलग लोगों के द्वारा उथली खदानों से प्राप्त हीरे जमा किए गए हैं। आपने बताया कि बारिश के दिनों में अमूमन हीरे अधिक लोगों को मिलते हैं। इसकी वजह हीरा धारित चाल (मिट्टी युक्त ककरू) धुलने के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता होती है। लेकिन एक ही दिन में पांच लोगों को अच्छे किस्म के हीरे मिलना दुर्लभ संयोग है। आपने बताया कि उथली खदानों में पूरे वर्ष हीरे मिलते रहते हैं लेकिन  इस वर्ष मिलने वाले हीरों की संख्या गत वर्षो की तुलना में अधिक है।

हीरा कार्यालय पन्ना में पदस्थ हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि कल्लू सोनकर निवासी पन्ना को कृष्णा कल्याणपुर पटी हीरा खदान में ६.८१ कैरेट का बेशकीमती हीरा मिला है। जेम क्वालिटी का यह हीरा बुद्धवार को मिले हीरों में सबसे बड़ा व कीमती है। इसी प्रकार राजा बाई निवासी छतरपुर को पटी खदान में १.७७ कैरेट, राजेश जैन निवासी पन्ना को पटी खदान में २.२८ कैरेट प्रकाश मजूमदार निवासी ग्राम जरुआपुर को जरुआपुर खदान में ३.६४ कैरेट एवं राहुल अग्रवाल निवासी जनकपुर पन्ना को पटी खदान में ४.३२ कैरेट वजन का हीरा प्राप्त हुआ है। इन सभी हीरा धारकों ने प्राप्त हुए हीरों को नियमानुसार हीरा कार्यालय में जमा किया है। हीरा पारखी ने बताया कि यह सभी हीरे उज्जवल किस्म के हैं, जिनका कुल वजन १८.८२ कैरेट है। जानकारों के मुताबिक उथली खदानों से प्राप्त हुए इन हीरों की कीमत लाखों में है, जो आगामी १८ अक्टूबर से होने वाली नीलामी में बिक्री के लिए रखे जाएंगे।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। ये जरूरी नहीं कि द हरिशचंद्र इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।

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