फॉर्मूला 65 : क्‍या अपने बनाये फार्मूले में फंसती नजर आ रही है बीजेपी ?

फॉर्मूला 65 : क्‍या अपने बनाये फार्मूले में फंसती नजर आ रही है बीजेपी ?

वर्ष 2023 में देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव सक्रिय राजनीतिक पार्टियों की किस्मत का फैसला करने वाले हैं। बीजेपी हाईकमान जहां-जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं वहां एक ऐसी लिस्‍ट तैयार करवा रही है। जिसमें मंत्री, विधायकों की उम्र 65 पार है। जहां तक मध्‍यप्रदेश की बात की जाये तो यहां पर भी एक ऐसी ही लिस्‍ट पर काम किया जा रहा है। अब देखना दिलचस्‍प होगा कि प्रदेश में किन मंत्रियों/विधायक बीजेपी के इस फार्मूले की जद में आने वाले हैं। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, कर्नाटक, राजस्थान में होने वाले चुनावों को लेकर भाजपा ने अभी से ही कमर कस ली है। बताया जा रहा है कि इस बार भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी। एक तरफ जहां भाजपा पार्टी अंदरुनी अंर्तकलह से दो-चार हो रही है वहीं दूसरी तरफ 65 वर्ष से अधिक की आयु सीमा एक बड़ा चिंता का विषय बन गया है। मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां दिसंबर में 2023 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। ऐसे में आंकलन लगाया जा रहा है कि इस बार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से लेकर कई मंत्री और विधायकों के चुनाव टिकट कटने की संभावना है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आखिर भाजपा पार्टी के नेता और संगठन इस परेशानी का क्या इलाज ढूंढते हैं। क्योंकि अगर ऐसा रहा तो निश्चित ही आने वाला समय भाजपा के लिये मुसीबतों वाला साबित हो सकता है।

गुजरात का फॉर्मूला लागू करने की तैयारी

गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को काफी ऐतिहासिक जीत मिली थी। इस जीत के बाद एमपी के सीएम से लेकर बीजेपी संगठन के पदाधिकारियों ने कहा था कि एमपी में भी गुजरात जैसे ही परिणाम आएंगे। वहीं से बातें भी निकलकर सामने आई थी कि बीजेपी गुजरात फॉर्मूले पर ही एमपी में नेताओं के टिकट काटेगी।

गुजरात में बदल गया था मंत्रीमंडल

05 साल सीएम रहे विजय रुपाणी के साथ पूरा मंत्रिमंडल चुनाव से पहले बदला गया। 99 सीटों पर 40 प्रतिशत मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गये। विजय रुपाणी के साथ डिप्टी सीएम नितिन पटेल, प्रदीप जडेजा, भूपेंद्र सिंह जूडावत समेत कई उम्रदराज दिग्गजों के टिकट कटे। पाटीदार और ओबीसी समीकरण का ध्यान रखा नए चेहरे उतरे, एमपी में आदिवासी युवा चेहरों को जगह मिल सकती है।

प्रदेश के इन उम्रदराज नेताओं की बढ़ी चिंता

अब मध्यप्रदेश में लंबे समय से विधायक रहने वाले उम्र दराज नेताओं को अपने भविष्य को लेकर चिंता काफी बढ़ गई है। ऐसे में देखना होगा कि आगे किसका टिकट कटेगा। अगर गुजरात का फॉर्मूला लागू हुआ तो विधानसभा अध्यक्ष डॉ. गिरीश गौतम का टिकट भी कट सकता है। गौरतलब है कि 2018 के चुनाव से पहले 165 विधायकों में से भाजपा ने 53 विधायकों के टिकट काटे थे।

ये हैं 70 पार वाले बीजेपी विधायक

  1. गौरीशंकर बिसेन (70 वर्ष), सीताराम (73 वर्ष), सीतासरन शर्मा (72 वर्ष), रामलल्लू वैश्य  (73 वर्ष), अजय विश्नोई  (70 वर्ष), नागेंद्र सिंह  (71 वर्ष), नागेंद्र सिंह गुढ़  (77 वर्ष), पारस जैन  (73 वर्ष)।

ये हैं प्रदेश सरकार में 65 पार के वर्तमान मंत्री

बिसाहूलाल सिंह (73 वर्ष) शिवराज कैबिनेट में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री। गोपाल भार्गव (70 वर्ष) मध्यप्रदेश के लोक निर्माण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के मंत्री हैं। यशोधरा राजे (67 वर्ष) वर्तमान में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री हैं। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. गिरीश गौतम (70 वर्ष) है।

युवा नेताओं पर है पार्टी का फोकस

बताया जा रहा है कि इस बार भाजपा युवा नेताओं की फौज के साथ चुनाव में उतर सकती है। यही कारण है कि पार्टी नेताओं ने गुजरात का फॉर्मूला लागू कर दिया है। 2018 विधानसभा चुनाव में 20 से 29 साल के करीब 01 करोड़ से ज्यादा युवा मतदाता थे। जिसमें पहली बार वोट दे रहे 18 साल के उम्र वालों की संख्या 23 लाख थी। वहीं प्रदेश में 05 करोड़ से ज्यादा मतदाता थे। जिसमें युवा वर्ग की भूमिका 2019 लोकसभा में काफी ज्यादा थी। अब इन्हीं युवा मतदाताओं को जोड़ने के लिए बीजेपी प्लालिंग बना रही है।

मोदी और शिवराज पर क्या निर्णय लेगा संगठन?

जिस हिसाब से भाजपा पार्टी औऱ संगठन ने 65 वर्ष की उम्र का फॉर्मूला तय किया है उसे देखा जाये तो इस वर्ष मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चुनावी टिकट कटना पक्का है। क्योंकि मोदी 70 और शिवराज 64 की उम्र पार कर चुके हैं। अब देखने वाली बात यह है कि सत्ता और संगठन देश में प्रदेश में भाजपा को बचाव के लिए क्या अपने ही फैसले को गलत साबित करेगा। अगर ऐसा होता है तो फिर दूसरे मंत्री विधायकों के ऊपर भी इस फैसले को लागू नहीं करना चाहिए क्योंकि यह नैतिकता के खिलाफ होगा।

सिंधिया गुट को मिल सकता है फ़ायदा

कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुट के नेताओं को भाजपा की इस पॉलिसी का फायदा मिल सकता है। इसमें सिंधिया से लेकर, परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसोदिया, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बृजेन्‍द्र सिंह सहित कई मंत्री और विधायकों को फायदा मिल सकता है। कुल मिलाकर अगर भाजपा ने इस पॉलिसी को प्रदेश के आगामी चुनाव में लागू किया तो सिंधिया गुट बाजी मारने में सबसे आगे होगा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। 

लेखिका वरिष्ठ पत्रकार है और जगत विजन की संपादक है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।

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