पांच अगस्त के बहाने चंद गंभीर सवालात ! एक तरफ़ ग़मगीन कश्मीरी अवाम और दूसरी ओर जश्न मनाती सरकार है।

सुसंस्कृति परिहार : साथियों 05 अगस्त 2019 साहिब और उनकी भगत मंडली के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था। इसकी महत्ता की शुरुआत होती है जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर के विभाजन से। यह सब चुपचाप राज्यपाल की सहमति लेकर केंद्र सरकार करती है. अवाम और उनके नेताओं के बिना सलाह मशविरा के। जो विधि सम्मत नहीं है और जम्मू-कश्मीर के नागरिकों की तौहीन है।यह दिन उनके लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वहां तमाम नेताओं को जेल में ठूंस दिया जाता है और जनता की इस तरह घेराबंदी की जाती है कि वे मोबाइल के ज़रिए भी बात नहीं कर सकते थे। वे 370 के बाद इस शांत माहौल से ख़ुश रहे। नेट सुविधा से वंचित लोगों ने इस दौरान जो तकलीफें झेली हैं वे किसी तानाशाह मुल्क की तस्वीर पेश करती हैं।

पांच अगस्त के बहाने चंद गंभीर सवालात ! एक तरफ़ ग़मगीन कश्मीरी अवाम और दूसरी ओर जश्न मनाती सरकार है।
Photo : Fairobserver

साहिब की सरकार ने यदि उन सबको क्या आतंकी समझ इस तरह का व्यवहार किया तो यह समझ लेना चाहिए कि कश्मीरी अवाम के ये सब, उन्हीं लोगों के वंशज हैं जिन्होंने कश्मीर पर हुए कबाइली हमले के वक्त, जब महाराजा हरिसिंह श्रीनगर छोड़ जम्मू भाग जाते हैं, तब सीधा लालचौक तक मोर्चा संभाला था साथ ही साथ पाकिस्तान के साथ अपने मज़हब और ताल्लुकों की परवाह किए बिना भारत के धर्म निरपेक्ष रवैए के साथ अटूट रिश्ता जोड़ा था. वजह साफ थी कश्मीर में हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध का जो परस्पर भाईचारा विरासत में मिला था उसे वे कायम रखना चाहते थे. जिसका सिला वर्तमान केंद्र सरकार ने उन्हें इस तरह दिया। एक तरफ़ ग़मगीन कश्मीरी अवाम और दूसरी ओर जश्न मनाती सरकार है। क्या कश्मीरियों के दर्द को भारत सरकार समझने का प्रयास करेगी। उसे कम से कम अपना निर्णय लेने का हक तो मिलना ही चाहिए। उसे अपनी चयनित सरकार भी चाहिए।

बहरहाल, फिर आता है पांच अगस्त 2020 जब अशुभ मुहूर्त में राम मंदिर निर्माण का भूमिपूजन किया जाता है। यह भी धारा 370 से कहीं बड़ी उपलब्धि मानी जाती है सरकार की। इस भूमि पूजन से मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ होता है और सरकार निश्चिंत हो जाती है कि राम मंदिर निर्माण के कारण जनता का मिलने वाला अपार समर्थन उनका ना केवल उत्तर प्रदेश में बेड़ा पार करा देगी बल्कि 2024 में उन्हें पुनः सत्ता तक पहुंचने में मददगार होगी। किन्तु कतिपय पंडित अशुभ मुहूर्त में किए भूमिपूजन का वास्ता देते हुए कह रहे हैं कि राम मंदिर के कारण अब उनकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। विदित हो ये दोनों मुद्दे भाजपा के पिछले घोषणा पत्र में थे। जिनको निपटाने उन्होंने नाज़ायज तौर तरीकों का भी धड़ल्ले से इस्तेमाल किया। अब मंदिर निर्माण में होने वाले घोटाले और चंदे पर सवालों से सरकार घिरी हुई है इसलिए उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार का मोदी और शाह द्वारा जो आग़ाज़ हुआ है उसमें राम मंदिर सिरे से फिलहाल गायब है। वास्तविकता यह है कि जनता का मनोरथ पूरा हुआ, अब ध्यान समस्याओं पर है।

Photo : Internationalaffairs

तो साहिबान, अब इस वर्ष का 05अगस्त 2021एक नई थीम के साथ प्रकट हुआ है। वह है साहिब का राशन और पोषण के दिलचस्प थैले से प्रचार का। यह ऐतिहासिक दिन उत्तर प्रदेश में ही फिलहाल लांच हुआ है। बताते हैं 25 किलो के इस थैले पर साहिब की बड़का और योगी जी की छुटका फोटो लगी है। अखबारों और मीडिया को फुल पेज बड़े बड़े विज्ञापन मिले। गरीब की इस मोदी झोली को दिवाली तक पांच किलो अनाज से भरे जाने का पुख्ता वादा है।दाल राशन में नहीं मिलेगी ? साहिब का ये कैसा गरीबों का पोषण करने का तरीका है, समझ से परे है। हर बार की तरह इस बार साहिब जी ने राशन दुकानों से सामान लेने वालों से बातचीत कर फिर रिकॉर्ड कायम किया है। मोदी से बात और मोदी थैला देखिए कितनी करामात दिखाता है। उत्तर प्रदेश प्रशासन सतर्क है इसमें घपला ना होने पाए। बिहार चुनाव में भी इस तरह झोले चले थे। हो सकता है झोला यहां कमाल दिखा दे। वाह मोदी चुनाव के आते ही आपकी चुस्ती देखते ही बनती है काश इतना वक्त रियाया की तकलीफों को समझ कुछ काम धाम दिया होता। ये तो गुड़ गोबर हो सकता है क्योंकि जनता 15लाख की आस आज भी लगाए बैठी है। नौजवान एक करोड़ रोजगार चाहते हैं। झोला कितना काम आएगा?

Photo : Livehindustan

हालांकि पांच अगस्त की तिथि में किए गए काम अब तक साहिब को फायदेमंद साबित नहीं हुए हैं। वे आजकल इंशाअल्लाह भी बोल रहे हैं मुस्लिम भले खुश हो लें लेकिन हिंदू मोदी के बदलते गिरगिटी रंग को समझ उनसे चिढ़ रहे हैं।संघ की सीख काम आने वाली नहीं लगती। उधर पेगासस जासूसी मामले में बुरी तरह सरकार फंसी हुई है। तिस पर राहुल गांधी का नाश्ता प्रसंग तथा ममता का दिल्ली आकर मोदी हटाओ देश बचाओ हेतु एकजुटता की आवाज़ देश के गलियारों में गूंज रही है। सड़क पर किसान संसद जारी है। अब कांग्रेस भी संसद से बाहर सड़क पर संसद कर वो तमाम मुद्दे उठाने जा रही है जो सदन में बोलने का अवसर नहीं मिलता।

अब तो लगता है, पांच अगस्त का सरकार का ख़्वाब टूटने ही वाला है तथा देश में एक नया मोर्चा 09अगस्त को अंग्रेजों भारत छोड़ो की तर्ज पर भाजपा भारत छोड़ो आंदोलन में तब्दील कर सकता है।

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