जिला पंचायत की हंगामेदार बैठक का हंगामा पहुंचा उत्तराखंड के डीजीपी तक

अपने-अपने क्षेत्रों के विकासकार्यों की कार्ययोजनाओं को लेकर आयोजित जिलापंचायत की सामान्य बैठक में जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी सदस्यों ने जिप अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाये। बैठक में हंगामा बढ़ता देख पुलिस को बुलाना पड़ा। जिसके बाद विपक्षी सदस्यों ने पुलिस पर सत्ता के दबाव में धमकाने का आरोप लगाया। 

आपको बताते चलें कि शुक्रवार को जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक पूर्व की भाती ही काफी हंगामेदार रही। बताया गया कि बैठक में सदन के बहुमत के आधार पर नौ करोड़ एक लाख रुपए का बजट पास किया गया। वहीं इस पर सदन में मौजूद विपक्षी सदस्यों ने अपना विरोध जताने के साथ ही उनके क्षेत्रों की अनदेखी करने व अध्यक्ष पर अपने चहेतों को लाभ पहुँचाने का मुद्दा छेड़ते हुये हंगामा करना शुरू कर दिया। मामला लगातार इस कदर बड़ता गया की उसकी गूंज उत्तराखंड के डीजीपी तक पहुंचते देर नही लगी। 

वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष का कहना है कि सभी सदस्यों से प्रस्ताव माँगे गये थे परन्तु उन्होंने प्रस्ताव ही नही दिये हैं। इस पर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष नवीन परिहार का कहना है कि उन्होंने प्रस्ताव की मांग तो की परन्तु यह नही दर्शाया कि कितनी धनराशि के प्रस्ताव उन्हें देने है, जिस कारण कोई भी सदस्य अपने क्षेत्र के विकास योजनाओं के प्रस्ताव नही दे पाये।  वहीं सदन में मौजूद विपक्षी सदस्यों का आरोप है कि अध्यक्ष सत्ता के नशे में अपनी मनमानी कर रही है, जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नही किया जायेगा। चाहे उसके लिये उन्हें न्यायालय की शरण ही क्यों न लेनी पड़े। जिसके बाद बढ़ते हंगामे को भाँपते हुए अध्यक्ष बैठक छोड़ चलती बनी। विपक्षी सदस्यों ने उपाध्यक्ष के साथ मिलकर अपर मुख्य अधिकारी राजेश कुमार व एकाउंटेंट को बैठक छोड़कर नही जाने दिया। उनसे इस पूरे बजट को लेकर पूछताछ करने लगे। 

अपर मुख्य अधिकारी व एकाउंटेंट को बंधक बनाने की अध्यक्ष ने की शिकायत

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष ने एसडीएम सदर हरी गिरी से विपक्षी सदस्यों द्वारा अपने अपर मुख्य अधिकारी व एकाउंटेंट को बंधक बनाने की शिकायत कर डाली। जिस पर एसडीएम सदर हरी गिरी से हमारे संवादाता राजकुमार सिंह परिहार की ने बात की तो पता चला की उन्हें इसकी सूचना स्वयं जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव ने दी, जिस पर उन्होंने त्वरित संज्ञान लेते हुए कोतवाली पुलिस को आवश्यक कार्यवाही के लिए आदेशित किया गया। वहीं कोतवाल कैलाश नेगी का कहना है कि उन्हें इस सम्बंध में लिखित तहरीर मिली थी जिसके आधार पर वह मौक़े में पहुंचे और उन्हें देखने को मिला की जिला पंचायत के बैठक हॉल में कुछ सदस्यों द्वारा अपर मुख्य अधिकारी व एकाउंटेंट को बंधक बना कर बैठाया गया था। उनके द्वारा सदस्यों को समझाने का काफी प्रयास किया गया। 

वायरल विडियो में सदस्यों को धमकाते दिखे कोतवाल को नही धाराओं का ज्ञान

प्राप्त सूचना के बाद आनन-फ़ानन में जिला पंचायत कार्यालय पहुंचे कोतवाल कैलाश नेगी द्वारा मीटिंग हाल में मौजूद महिला सदस्यों को धमकाने का वीडियो पल भर में सोशल मीडिया में वायरल हो उठा। वायरल विडियो में कोतवाल जिस भारतीय दंड संहिता की धारा 382 में बंधक बनाने के जुर्म में मुक़दमा लिखने की बात कहते नजर आ रहे हैं। वह उस धारा के अंतर्गत आती ही नही है। अब आप ही इस पर अंदाज़ा लगाइये की आंखिर हमारी मित्र पुलिस किस तरह से मित्रता निभाती नजर आ रही है। जिला पंचायत महिला सदस्यों ने कोतवाल कैलाश नेगी पर लगाया अभद्रता का आरोप। उन्होंने कहा की कोतवाल सत्ता के दबाव में उन्हें डराना चाहते हैं, परन्तु हम लोग डरने वाले नहीं हैं। अपने अधिकारों से लड़ने वाले लोग हैं। इस पर हमारे संवादाता राजकुमार सिंह परिहार द्वारा जब कोतवाल बागेश्वर कैलाश नेगी से सम्पर्क किया गया तो वह इस पर बचते नजर आये, साथ ही उनके पास भी विडियो होने का हवाला देते रहे और महिला सदस्यों द्वारा लगाये आरोपों को निराधार बताते रहे। 

कोतवाल की अभद्रता का मामला पहुंचा डीजीपी तक

आपको बताते चलें की जिला पंचायत की सामान्य बैठक का हंगामा उस वक्त परवान चढ़ा जब कोतवाल की अभद्रता का आरोप उत्तराखंड के डीजीपी तक पहुंचा। प्राप्त जानकारी के अनुसार नाराज़ सदस्यों द्वारा इसकी शिकायत जिला विकास अधिकारी बागेश्वर, पुलिस अधीक्षक बागेश्वर, जिला अधिकारी बागेश्वर, सचिव पंचायती राज को की है। जिस पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार सहित जिला पंचायत सदस्य भैरुचौबट्टा गोपा धपोला, जिला पंचायत सदस्य कन्यालीक़ोट रेखा देवी, जिला पंचायत सदस्य मन्यूड़ा रूपा कोरंगा, जिला पंचायत सदस्य सिमकूना पूजा आर्या, जिला पंचायत सदस्य वज्यूला इंद्रा परिहार, जिला पंचायत सदस्य बड़ेत वंदना ऐठानी, जिला पंचायत सदस्य चौरा सुरेश खेतवाल  के संयुक्त हस्ताक्षर हैं। अब देखने वाली बात यह है कि इस पर कोई कार्यवाही अमल में लाई जाती है या पूर्व की भाती ही इस मामले को भी ठण्डे बस्ते के हवाले कर दिया जाता है।

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