भारत के बाजार में एक दुकान यह भी है, गुजरात में है और जनता की गाढ़ी कमाई डकार रही है।

भारत के बाजार में एक दुकान यह भी है, गुजरात में है और जनता की गाढ़ी कमाई डकार रही है।

भारत में जब भी काले धन पर बात होती है तो सबसे पहले स्विस बैंक को याद किया जाता है लेकिन भारत में ऊंची ऊंची इमारतों को देखकर कोई कुछ नहीं कहता। जबकि स्विस बैंक से ज्यादा सुरक्षित बेंक है ईंट पत्थरों से बनी इमारतें जो काला धन हजम करने के बाद डकार तक नहीं लेती। पर यह सब हमारे ही देश में है और इससे जुड़े लोगो की संख्या काफी ज्यादा है तो इसे ठीक उसी तरह नजर अंदाज कर दिया जाता है जैसे सिग्नल पर 50-100 की घुस लेने वाले को। मई 2016 की एक ख़बर बताती है की भारत में केवल 24.88 करोड़ लोगो के पास ही अपना घर है। मार्च 2017 की एक ख़बर के अनुसार भारत में मात्र 32 फ़ीसदी लोगो के पास ही अपना घर है। वही दिसंबर 2020 की एक खबर के मुताबिक 25000 रुपये से कम कमाने वाले 56.8 प्रतिशत लोगों के पास अपना मकान तक नहीं है। यह सभी आंकड़े बेहद चौकाने वाले है, खासकर तब जब अमृत महोत्सव की धूम मची हो। आजादी के अमृत महोत्सव पर हम कहां खड़े है यह एक-बार ठीक से देख लेना चाहिए। जो कुछ भी चल रहा है उसे देखकर ऐसा भी लगता है कि जनता की राह का सबसे बड़ा रोड़ा वे सरकारी अधिकारी है जिनकी खराब कार्यप्रणाली, कामचोरी और कमाउनीति के चलते आज स्थ्ति यह आ गई है कि बिल्डर, खरीददार को घर कि कीमत बताने के साथ साथ यह भी बताता-समझता है कि कितना काला धन देना पड़ेगा, कितनी टैक्स चोरी करनी पड़ेगी और सरकार को कितना चुना लगाना पड़ेगा।

खैर अब मुद्दे पर आते है। गुजरात सरकार ने मई 2017 में गुजरात के रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण को लागू किया था। इससे पहले यह पता लगाना काफी मुश्किल था की गुजरात में कुल कितने प्रोजेक्ट बने, कितने मकान, दुकान, बने तथा बेचे और खरीदे गए। RERA लागू होने के बाद आंकड़े जुटाना आसान हो गया। तो चलिए अब आंकड़ों पर भी नजर डालते है। प्राप्त आकड़ों के अनुसार RERA के तहत गुजरात में अब तक कुल 10117 प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड हुए जिनमे से 4294 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके है। फाइनेंसियल वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक उक्त प्रोजेक्टों में कुल 1251156 यूनिट बताए जाते है जिसमे से 623590 यूनिट बेचे जा चुके है। यह तो हुए पूरे गुजरात के आंकड़े। अब यदि गुजरात के एक जिले वलसाड की बात करें तो कुल 222 प्रोजेक्ट (आवासीय 87, वाणिज्यिक 21, मिश्रित 110, प्लॉट 4) रजिस्टर्ड हुए है जिनमे कुल 24034 यूनिट बताए जाते है जिनमे से 13961 यूनिट बेचे गए है। वलसाड जिले के यह आंकड़े दिसंबर 2022 तक प्राप्त जानकारी के अनुसार है।

गुजरात और मामूली घोटाला, हो ही नहीं सकता!
अब मुख्य सवाल यह है कि 10117 प्रोजेक्टों में कितने प्रोजेक्ट ऐसे है जिनमे काला बाजारी, काले धन की लेन-देन या टैक्स चोरी पर आयकर या अन्य संबंधित विभागों को सूचना, शिकायतें मिली या आयकर अधिकारियों ने स्वयं जानकारी जमा कर कार्यवाही की? यह सवाल इस लिए क्यों कि वलसाड जिले के 222 प्रोजेक्टों में से कुछ एक प्रोजेक्टों कि पड़ताल करने पर पता लगा कि आयकर नियम यहां किताबी बातें है। कोई 20 फ़ीसदी काला धन मांग रहा है तो कोई 40 फ़ीसदी तो कोई 70 फ़ीसदी से भी अधिक और वो भी खुलेआम। आंकड़ा लाखों में नहीं, करोड़ों में नहीं बल्कि अरबों में है पर आयकर अधिकारियों को फुर्सत कहां। सबसे ज्यादा चौकाने वाले आंकड़े मिले Sunrise Avenue – 2, बिल्डर कि कंपनी का नाम Shree Vinayak Enterprise है जिसका RERA नंबर PR/GJ/VALSAD/PARDI/Others/MAA08582/070621 है। अन्य 222 प्रोजेक्टों कि बात फिर कभी फिलहाल उक्त एक प्रोजेक्ट जिसका नाम Sunrise Avenue – 2 है कि बात करते है। उक्त प्रोजेक्ट में एक दुकान जिसका क्षेत्रफल 871/- स्क्वेयर फिट है, उसे प्रति स्क्वेयर फिट 11500/- रुपये के हिसाब से बिल्डर बेच रहा है जिस हिसाब से एक दुकान कि कीमत हुई 10016500/- रुपये। परंतु बिल्डर उक्त दुकान का पंजीकरण, दस्तावेज़, केवल और केवल 3100 रुपये प्रति स्क्वेयर फिट के हिसाब से ही करेगा, केवल इतनी रकम ही सरकार को बताई जाएगी यानि कि मात्र 2700100/- रुपये, यानि सरकार को बताई गई रकम से तीन गुना से भी ज्यादा काला धन7316400/- एक दुकान में। अब कितनी स्टेम्प चोरी हुई, कितनी जीएसटी चोरी हुई, आयकर को कितना चुना लगेगा, इसका हिसाब कोई भी लगा सकता है। देखने वाली बात यह है कि बेचने वाला भी टेक्स चोरी कर रहा है और खरीदने वाला भी। तो अब आगे बढ्ने से पहले एक बार पुनः ऊपर दिए गए आंकड़े भी देख लीजिए कि गुजरात में कुल कितने प्रोजेक्ट है और वलसाड जिले में कुल कितने प्रोजेक्ट और यूनिट है। आंकड़े देखकर शायद आप अंदाजा लगा सकते है की जब एक प्रोजेक्ट के एक यूनिट में इतनी टैक्स चोरी हो रही है तो पूरे वलसाड जिले का कुल आंकड़ा क्या होगा और पूरे राज्य का आंकड़ा क्या होगा।

मजे कि बात तो यह है कि सभी शहरों में आयकर विभाग के कार्यालय भी मौजूद है। वही काला बाजारी, काले धन कि लेनदेन तथा कर चोरी पर अंकुश लगाने, कार्यवाही करने के लिए एक खास विभाग भी है। आयकर अन्वेषण विभाग, उक्त विभाग के संयुक्त/अतिरिक्त निदेशक का कार्यालय वलसाड जिले के वापी शहर में स्थित है, उक्त कार्यालय सरकार ने किराए पर ले रखा है लाखों का किराया चुकाया जाता है दर्जनों कर्मचारी है। पर कर्म दिखाई नहीं देता। क्या उक्त विभाग के अधिकारी दावे के साथ यह कह सकते है कि गुजरात या वलसाड जिले में स्थित किसी प्रोजेक्ट में किसी प्रकार के काले धन कि लेनदेन या टैक्स चोरी नहीं हुई है या नहीं हो रही है? यदि दावा नहीं कर सकते तो काम क्या कर रहे है यह जानने का हक सबको है।

सबका साथ सबका विकास, सेटिंग भी तो ऊपर तक है।
पर बात यही खत्म नहीं होती। उक्त एक प्रोजेक्ट के अलावे वलसाड जिले में स्थित Infinity Industrial Park. Sunrise Avenue, Ashapura Complex, Sun Flora, Nilkanth Atulyam, Sun Trade Center जैसे सेकड़ों प्रोजेक्ट और हजारों यूनिट है (222 प्रोजेक्टों की लिस्ट देखना चाहे तो यहां क्लिक कर लिस्ट देख सकते है) जिनमे करोड़ों कि टैक्स चोरी हो रही है और आयकर विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे है कि कब मोदी जी निर्देश देंगे और कब यह अपनी कुंभकरणी निंद्रा से जगेंगे। पर लगता है ऐसे कामचोर अधिकारियों को निर्देश नहीं निलंबन का आदेश देना चाहिए तभी यह सुधरेंगे ऐसा इस लिए क्यों कि बिल्डरों का कहना है इस काले खेल के बारे में आयकर अधिकारियों को पहले से पता है और ऊपर तक सेटिंग है अब कितनी ऊपर तक सेटिंग है यह तो वक्त आने पर पता चलेगा।

लेखक द हरिश्चंद्र के संस्थापक संपादक हैं; और हरिश्चंद्र प्रेस क्लब एंड मीडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।

Log In

Forgot password?

Don't have an account? Register

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.

Exit mobile version