नमाज़ की जगह विराजे गोवर्धन महाराज

नमाज़ की जगह विराजे गोवर्धन महाराज

सुसंस्कृति परिहार : सड़क पर नमाज के खिलाफ अभी माहौल गर्म चल ही रहा था कि इस बीच कुछ कथित हिंदुओं ने दीपावली के दूसरे रोज़ उसी सड़क प्रकरण उसी जगह जहां नमाज़ अदा होती आ रही थी आज गोवर्धन महाराज को सड़क पर स्थापित कर पूजा पाठ किया जिसमें बड़ी तादाद में महिलाएं शामिल रहीं। यह प्रतिरोध स्वरूप सरकार पर हमला था या शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज़ को रोकने का उपक्रम था। कहा नहीं जा सकता किन्तु यह सत्य है  कि इससे हिंदू मुस्लिम तो हो ही जाता ।जिसकी तलाश में इन दिनों एक पार्टी विशेष तौर पर सक्रिय है।नमाज़ पढ़ने वालों ने अपनी सहृदयता का परिचय देते हुए नमाज़ एक मस्जिद में अदा की।

यह घटना गुरुग्राम के सेक्टर 47 की है। यहां के लोगों ने सेक्टर 57 में स्थित अंजुमन जामा मस्जिद में जुमे की नमाज़ की।यह स्थल कार पार्किंग का स्थल है जो  अवकाश के दिनों को छोड़कर अमूनन ख़ाली ही रहता है आज यहां पहली दफा कई टन गोबर लाकर गोवर्धन बनाकर पूजा की गई। मुस्लिमों का कहना है कुछ दक्षिण पंथी लोग आकर यहां के लोगों को जबरन लेकर यह पूजा करवाए हैं। जहां तक नमाज़ पढ़ने का सवाल है हम लोग अपनी मर्जी से नहीं बल्कि प्रशायन की अनुमति से यहां नमाज पढ़ते रहे हैं।प्रशासन के आग्रह पर ही आज हमने  आज अंजुमन जामा मस्जिद में नमाज़ अदा की है। उनका ये भी कहना है कि गुड़गांव यानि गुरुग्राम में कुल 37स्थल प्रशासन ने मुहैया कराए हैं जहां नमाज़ हो रही है। सिर्फ सेक्टर 18 और 47में  ही आपत्तियां आई हैं लेकिन कोई दिक्कत नहीं आई।

परेशानी का सबब ये है कि गुरुग्राम की टाऊन प्लानिंग के समय हर सेक्टर में एक मस्जिद का प्रावधान होना चाहिए था वह नहीं किया गया सिर्फ एक मस्जिद सेक्टर 57 में है। जिसमें कुल 300लोग ही एक बार नमाज़ पढ़ सकते हैं। अंजुमन जामा मस्जिद में चार बार नमाज़ आमतौर पर होती है जिसमें सिर्फ 1200लोग ही शरीक हो पाते हैं।जबकि गुरुग्राम में मुस्लिम आबादी 5 लाख के करीब है। रमजान में तो पांच बार तक नमाज़ की गई।कोरोना प्रोटोकाल का पालन भी मुश्किल होता है।ऐसी स्थिति में वे क्या करें?

अब अतिवादी हिंदुओं का यह काम जिसके पीछे गृहमंत्री अमित शाह की शह है देश को कहां ले जा रहा है चिंताजनक है।मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना और  वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश दुनिया में देने वाला हमारे देश के लिए आज यह अतिदुखद वाकिया है।सभी धर्मावलंबियों को अपनी पूजा पद्धति को अपनाने का हक है तो यह विघ्न क्यों ? उन्हें इबादतगाह बनाने ज़मीन दी जाए जिस पर वे अपनी नमाज़ अदा कर सकें।उनके संवैधानिक अधिकार का भी ख़्याल करना होगा । प्रतिरोध स्वरूप यदि हम भी सड़क पर गोवर्धन महाराज बिठाएं तो गलत ही होगा।हमारे पूजा पंडाल , गणेशोत्सव की सज्जा,और धार्मिक प्रवचनों हेतु सड़कों पर जो अवरोध होता है वह भी यदि नमाज़ के लिए कानून बनेगा तब सब पर लागू होगा। इसलिए सहिष्णुता का परिचय दें।चंद लोग एक धर्म विशेष के विरोधियों से दूरी बनाए रखना चाहते हैं इसे समझना होगा वरना हमारी गंगा जमुनी तहजीब जिस पर हमें नाज़ है क्षत विक्षत हो जाएगी। सोचिए हम क्या बनने आए थे और क्या बना बैठे, कहीं मस्जिद बना बैठे, कहीं मंदिर बना बैठे। हमसे तो अच्छी एक परिंदे की जात है, कभी मंदिर पे जा बैठे, कभी मस्जिद पे जा बैठे।

लेखिका स्वतंत्र लेखक एवं टिप्पणीकार है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।

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