नागदा जिला- स्वयंबर का धनुष तोड़ने में नकारा साबित हुए सत्ता के सूरमा।

नागदा।  रामायण काल में जनकपूरी में एक स्वयंबर हुआ था। इस स्वयंबर  का असली चिंतन  तो यह थाकि सुरमा कौन है। शक्तिशाली कौन है। इस स्वयंबर  का पैमाना यह थाकि  रखा धनुष को जो भी सूरमा तोड़ देगा, वह  उस मकसद का असली किरदार  होगा। धनुष  तोड़ने की जिसमें सामर्थ्य वहीं सूरमा होगा। फिर जनक की बेटी का हाथ थामने की जो उनकी मुराद है वह पूरी होगी।  वहां पहुचे कई सूरमाओं में से अधिकांश ने धनुष तोड़ने की प्रकिया के वक्त ऐसा आंडम्बर किया कि जैसा उनसे बलशाली  और कोई नहीं है। धनुष उठाने के पहले ही स्वयंभू बने और अपने बल और पराक्रम का गुणगान ऐसे  करते दिखे जैसे उनके बराबरी का कोई पराक्रमी नहीं है। उन आंडंबरियों का हश्र यह हुआ कि और कोई जो दूूर खड़ा था उसने अपनी ताकत का एहसास उन सारे आंडंबरी सूरमाओं को दिखा दिया। उस काल का यह प्रसंग हाल में नागदा की उपेक्षा कर रीवा जिले के एक मऊगंज को जिला बनाने की घोषणा से सामंजस्य कर गया। बाजी मऊगंज मार गया। नागदा के सत्ता के सूरमाआ शक्तिहीन और सामर्थ्यहीन साबित हुए। जनता सत्ता से ही उम्मीद करती है, लेकिन यहां तो सत्ता के सूरमा मुंह लटकाए खड़े  और बाजी और कोई मार गया।

उधर, शिवराज ने मऊगंज जाकर  जिला बनाने की घोषणा की।  जनता को इतना भी आश्वासन दिया कि स्वाधीनता दिवस का तिरंगा अब नए जिले मऊगंज में ही लहराएगा। जबकि प्रदेश में नागदा समेत अन्य दो नवीन जिलों के सृजन का प्रस्ताव कमलनाथ  मंत्रिपरिषद  में 18 मार्च 2020 को मप्र शासन  तत्कालीन मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी के हस्ताक्षर से अस्तित्व में है। नागदा, मैहर एवं चाचौड़ा को नवीन जिला सृजन की स्वीकृति मिली थी।

सरकार बदलते लटकाने की नीति

हाल में श्री अभय चौपड़ा के सूचना अधिकार में जो  जानकारी मिली (जो इस पत्रकार के पास भी सुरक्षित है) । उसके अनुसार नागदा को जिला बनाने के लिए पुनः नए सिरें से प्रक्रिया करने का  दाव कमलनाथ सरकार गिरने के बाद भाजपा सरकार ने खेला । ऐसा सरकार ने क्यों किया यह जनता को समझना होगा।

नागदा में विकास यात्रा आई तो सत्ता के किसी भी सूरमा ने इस मामले पर कोई बात नहीं की। यह हास्सास्पद बात हुई कि नागदा को 53 वां जिला बनाने के लिए पोस्टकार्ड अभियान चलाया जाएगा। यह बात विपक्षी कांग्रेस करती तो जनता  के गले भी उतरती। इस बात का यह हश्र हुआ कि 53 वां जिला बनाने के लिए यहां आंडबर हो रहा था और यह क्रम तो रीवा जिले के मऊगंज को नसीब हो गया। नागदा  के स्थानीय सत्ता के सूरमाओं की ताकत और सामर्थ्य का असली चेहरा सामने आ गया। बेहत्तर होता नागदा के स्थानीय सूरमा यह दलील पेश करते कि नवीन मऊगंज  का सर्जन करने के पहले जिन तीन जिलों की मंजूरी वल्लभ भवन मे पड़ी है उस पर पहले अमल में लाए। जाहिर हैकि या तो स्थानीय सत्ता के सूरमाओं को इस मसले पर शिवराज ने तव्वजों नहीं दी। या स्वयं की इच्छा शक्ति नहीं है।

जिला बनाने के नाम पर वोट मांगे

लेकिन जनता को वह बात भी तो याद हैकि भाजपा उम्मीदवार श्री दिलीपसिंह शेखावत ने वर्ष 2013 का विधानसभा चुनाव नागदा को जिला बनाने की पहली प्राथमिकता के साथ लड़ा था। जीत भी मिली लेकिन जनता की मुराद पूरी नहीं हुई।  तीसरा कारण यह भी संभव हैकि फिर जैसा विपक्ष बार-बार आरोप लगा रहा हैकि ग्रेसिम इस मामले में अवरोघक बना हुआ है। शायद इसी बात को लेकर जनता की मुराद पर कुठाराघात हो रहा है।

आंदोलन का धर्म कांग्रेस  निभाए

इस मांग को पहले कांग्रेस विधायक दिलीपसिंह गुर्जर ने 2008 में उठाया था। पहले तो भाजपा इस मांग पर मुंह मोड़ती रही फिर अनमने मन से साथ में हुई। स्थानीय भाजपा संभव इसलिए मूंह मोड़ रही थीकि कांग्रेस विधायक की यह मांग है। श्री गुर्जर को कही श्रेय ना मिल जाए इसलिए कन्नी काटी। अभी भी भाजपा सहमी और डरी हुई कि यदि जिला बनाए जाने की अधूरी प्रकिया को पूरी कर दिया जाएगा तो दिलीपसिंह गुर्जर को श्रेय मिलेगा। कारण कि कमलनाथ सरकार ने महज 15 महिनों में घोषणा कर दी तो भाजपा की सरकार 15 बरसों में नहीं कर पाई।    बेहत्तर होगा विपक्ष कांग्रेस अब विधानसभा में प्रश्न एवं याचिका के अलावा सीधे  आक्रामक जनआंदोलन के लिए आगे आए। शहर बंद भोपाल में घेराव कार्यकताओं की गिरफतारी जैेसे कदम उठाए और अपने विपक्ष  के धर्म को निभाए। अन्यथा जनता के साथ नाइंसाफी होगी .l

आप पार्टी के लिए सुनहरा मौका

अब इस मसले को आप पार्टी को लपकना होगा। स्थानीय स्तर पर इस पार्टी का नेतृत्व अब सुबोध स्वामी के हाथों में है। ये कांग्रेस का जिला कार्यवाहक अध्यक्ष  पद छोडकर आप पार्टी में आए हैं। सुबोध को जन आंदोलन खड़ा कर देना चाहिए। आंदोलन भी ऐसा कि उसकी गंूज राजधानी में गूंजना चाहिए। जबकि कांग्रेेस में कुबत हैकि इस प्रकार का आंदालन करें यदि आप पार्टी ऐसा करेंगी तो कांग्रेस  भी मजबूर हो जाएगी।              

ये सुलगत सवाल : 

 (1)  विधायक श्री दिलीप सिंह गुर्जर के विधानसभा के एक  सवाल पर सबसे पहले नागदा को जिला बनाने का जो परीक्षण  हुआ था उसे भाजपा सरकार में जून 2112 में यह कह कर खारिज कर दिया कि नागदा को जिला बनाने के तथ्य उभर सामने नहीं आए। यह प्रस्ताव जब अधिकारियों ने खारिज किया तब सत्ता  सूरमा क्यां कर रहे थे। जनता सत्ता पक्ष से ही उम्मीद करती है।

(2) जिस प्रस्ताव को भाजपा शासन काल में 2012 में निरस्त किया गया वहीं प्रस्ताव कमलनाथ के 15 माह के शासन काल में मान्य हो गया।

(3) भाजपा उम्मीदवार श्री दिलीपसिंह शेखावत ने वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में पहली प्राथमिकता नागदा को जिला बनाने के लिए  जनता से वोट मांगे और जीत भी मिली। वे बैंरग घर लौट आए। नागदा जिला नहीं बना। प्रदेश में भाजपा की ही सरकार थी।

(4)  कमलनाथ सरकार में 18 मार्च 2020 को नागदा को जिला बनाने की मंजूरी मिली बाद में सरकार गिर गई।  इस मंजूरी को आगे बढाने के बजाय इस मसले  को लटकाने के लिए भाजपा सरकार के 4 मंत्रियों की समिति ने पुनःपरीक्षण की मांग रख दी। यहा बात गौर करने लायक हैकि ऐसा क्यों किया गया। लेकिन समझदार अधिकारी ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

(5) कमलनाथ सरकार का प्रस्ताव आज भी अब वैधानिक रूप से अस्तित्व में है। सत्ता के सूरमा उसके प्रति खामौश क्यों है। यह प्रस्ताव तीन वर्ष से इंतजार कर रहा है।

(6) नागदा को जिला बनाने के लिए वजनदार राजनेता श्री थावरचंद गेहलोत ने कवरिंग पत्र के साथ मांग पत्र सीएम  शिवराज को नागदा आगमन पर दिया था। यह मांग पत्र 16 सितंबर 2010 कौ सौंपा गया।इस मांग पत्र पर श्री लालसिंह राणावत, श्री दिलीपसिंह शेखावत, डॉ तेजबहादुरसिंह चौहान और घर्मेंश जायसवाल के हस्ताक्षर थे। इन बडे़ राजनेताओं की मांग को अनदेखा किया गया। यह  ज्ञापन 12 वर्ष पहले दिया था। इसके पहले मऊगंज जिला बन गया।

(7 )भाजपा बहुमत की नपा परिषद  नागदा ने 30 अप्रैल 2010 को इस शहर को जिला बनाने का प्रस्ताव सवानुमति से पारित किया। कांग्रेस पार्षदों ने भी सहमति जताई। अपनी ही सरकार में यह प्रस्ताव 13 वर्षो के बाद मूर्तरूप नहीं ले पाया। मजेदार बात नपा का यह प्रस्ताव वल्लभ भवन भी नहीं पहॅुुचा।

 ( 8) मुख्यमंत्री ने नागदा में जिला बनाने कीघोषणा आर्शीवाद यात्रा में की जिसको भाजपा ने बहुत प्रचारित भी किया लेकिन हाल में विधायक गुर्जर के एक सवाल पर विधानसभा में सरकार ने इस घोषणा को भी नकार दिया।

( 9) नागदा से कब आबादी वाला शहर आगर, अलिराजपूर एवं मउगंज जिला बन गया और यहां के वाशिदों देखते रह गए। यह तो बड़े- बडे राजनेताओं का शहर है।

(10) कमलनाथ सरकार का प्रस्ताव अक्टूबर 2020 सें अस्तित्व में है। लगभग ढाई बरस बीत गए इसकी सूंध लेने की जिम्म्मेदारी किसकी थी। जनता सत्ता से ही तो उम्मीद रखती है।

Log In

Forgot password?

Don't have an account? Register

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.

Exit mobile version