प्रक्रिया के इस दुरुपयोग पर क्या कहेंगे मी लॉर्ड!

गुजरात दंगों पर एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी ( Zakia Jafri ) की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने वर्षों बाद हाल में खारिज कर दिया था। एसआईटी की इस रिपोर्ट में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 63 अन्य अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ याचिका को खारिज किया बल्कि यह भी कहा, अंत में हमें यह गुजरात राज्य के असंतुष्ट अधिकारियों के साथ-साथ अन्य लोगों का एक संयुक्त प्रयास प्रतीत होता है कि ऐसे खुलासों से सनसनी पैदा की जाए, जो उनकी खुद की जानकारी में गलत थे। एसआईटी की गहन जांच के बाद उनके झूठे दावों को उजागर कर दिया गया। वास्तव में, प्रक्रिया के ऐसे दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा होना चाहिए और कानून के अनुसार उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।

प्रक्रिया के इस दुरुपयोग पर क्या कहेंगे मी लॉर्ड!

कहने की जरूरत नही है कि कानूनी प्रक्रिया पर यकीन करने वालों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का असर हुआ और तीस्ता सीतलवाड ( Teesta Setalvad ) तथा आरबी कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। 300 से ज्यादा वकीलों और एक्टिविस्टों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि जकिया जाफरी के फैसले का कोई प्रतिकूल परिणाम नहीं होगा। इस पत्र में तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व एडीजीपी आरबी श्रीकुमार और अन्य की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की गई है। दूसरी ओर, आप जानते हैं और देख रहे हैं या महसूस किया होगा कि मौके-बेमौके किसी के खिलाफ जांच शुरू होने की खबर आ जाती है। कुछ जांच तो वर्षों से चल रही है।

हाल में चर्चित नेशनल हेराल्ड का मामला इसमें शामिल है। वर्षों पुराने इस मामले में राहुल गांधी से लगातार कई दिन की पूछताछ के बाद सन्नाटा है।


15 जून 2022 आज तक की ख़बर के अनुसार…

कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ईडी की कई घंटों की पूछताछ हो चुकी है. उस पूछताछ में उनसे नेशनल हेरॉल्ड मामले में कई तरह के सवाल पूछे गए हैं. लेकिन कांग्रेस पार्टी की तरफ से वित्त मंत्री, गृह मंत्री और कानून मंत्री को लीगल नोटिस दे दिया गया है. सवाल पूछा गया है कि आखिर कैसे उन्हें पूछताछ की सारी जानकारी मिल रही है?

कांग्रेस ने गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कानून मंत्री किरण रिजिजू को ये नोटिस थमाया है. आरोप लगाया जा रहा है कि उन्हें राहुल गांधी से हो रही पूछताछ की सारी जानकारी मिल रही है.


22 जून Asianet News की खबर के अनुसार… 

नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) को लेकर राहुल गांधी की टेंशन फिलहाल कम हुई है। हालांकि राहुल गांधी को हाल-फिलहाल कोई नया नोटिस नहीं दिया गया है। राहुल गांधी से 21 जून को ED ने करीब 12 घंटे पूछताछ की थी। इससे पहले 20 जून और 13, 14 और 15 जून को भी वे ED में पेश हुए थे।

माना जा रहा है कि फिलहाल पूछताछ पूरी हुई

वायनाड (केरल) के कांग्रेस सांसद ने ED कार्यालय में 5 बैठकों में कुल 54 घंटे बिताए और उनसे कई सेशंस में पूछताछ की गई। राहुल गांधी के प्रीवेंशन आफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत उनका बयान दर्ज किए गए। अब उन्हें कोई नया समन जारी नहीं किया गया है। समझा जाता है कि उनसे हाल-फिलहाल पूछताछ समाप्त हो गई है।


सुप्रीम कोर्ट ने जब मुकदमे की प्रक्रिया को मामला गर्म रखने की कोशिश कहा है तो सरकारी जांच वर्षों चलना किस श्रेणी में आएगा खासकर तब अखबारों में लीक छपवाकर संबंधित पक्ष को बदनाम किया जाता है, पूछताछ और कार्रवाई के नाम पर लोगों को परेशान औऱ गिरफ्तार किया जाता है तथा अंत में कुछ नहीं निकलता है या मामले को ना बंद किया जाता है और ना परिणाम बताया जाता है।

यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता तथा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने जो आरोप लगाए थे वो गलत साबित हुए या अभी तक सच साबित नहीं हुए हैं और ना ही उन्हें सच साबित करने की कोशिश की गई है। कहने का आशय यह है कि प्रक्रिया का दुरुपयोग होता रहता है। अगर आम जनता कर सकती है तो सरकार भी कर सकती है। यह गलत है तो सरकार को भी नहीं करना चाहिए। आपको याद होगा सराकीर संरक्षण और सुविधाओं से मंत्रियों को ट्रस्टी बनाकर चलने वाले ट्रस्ट, पीएम केयर्स पर सवाल उठे, चीनी कंपनियों से चंदे का मामला आया तो सरकार ने जवाब देने की बजाय राजीव गांधी फाउंडेशन का मामला सामने कर दिया।

राजनीतिक मुकाबले के लिए जांच कराने में कोई बुराई नहीं है। पर वह बदनाम करने के लिए नहीं होना चाहिए और बदनाम भी तब किया जाए जब गड़बड़ी साबित हो जाए। पर देखा जा रहा है कि कार्रवाई ही बदनाम करने और डराने के लिए की जा रही है। और ऐसे एक-दो नहीं, सैकड़ों मामले हैं। वैसे तो इसमें कोई बुराई नहीं है पर दो साल हो गए, पीएम केयर्स आरटीआई और सवालों से परे हो गया। लेकिन राजीव गांधी फाउंडेशन ( Rajiv Gandhi Foundation ) पर जो आरोप लगाए गए थे उनका जवाब नहीं मिला। जांच पूरी हुई कि नहीं, चल रही है कुछ और मिला या नहीं मिला – कोई खबर नहीं है। आपको याद दिलाने के लिए उस समय की कुछ सुर्खियां पेश कर रहा हूं।

  1. राजीव गांधी फाउंडेशन-ट्रस्ट में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप, होगी जांच (आजतक, 8 जुलाई 2020)
  2. राजीव गांधी फाउंडेशन समेत गांधी परिवार के तीन ट्रस्ट सरकार के निशाने पर, फंडिंग की होगी जांच, (अमर उजाला, 26 जून 2020)
  3. राजीव गांधी फाउंडेशन समेत तीन ट्रस्ट को मिले फंड की होगी जांच, गृह मंत्रालय ने बनाई समिति (अमर उजाला, 23 जुलाई 2020)
  4. राजीव गांधी फाउंडेशन समेत तीन ट्रस्ट को मिले फंड की होगी जांच, गृह मंत्रालय ने बनाई समिति (आज तक, 08 जुलाई 2020)
  5. क्या है राजीव गांधी फाउंडेशन? चीन से चंदे को लेकर मचा है हंगामा, पीएम राहत कोष से पैसा ट्रांसफर करने का भी आरोप, (लाइव हिन्दुस्तान, 27 जून 2020)

कहने की जरूरत नहीं है कि जो खबरें छपीं या छपवाई गईं वह कई गुना ज्यादा है। आज जांच या कार्रवाई का विवरण ढूंढ़ते हुए इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर मिली इसके अनुसार राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट ( Rajiv Gandhi Charitable Trust )  को दान देने वालों में गेट्स फाउंडेशन ( Gates Foundation ), अमेरिकी आधार वाले ट्रस्ट आदि हैं। मुझे किसी गड़बड़ी की कोई सूचना नहीं मिली और अखबार ने लिखा है कि फाउंडेशन के अधिकारी ने संपर्क करने पर कहा कि मैं इस मामले में कुछ खास नहीं कहना चाहता हूं। हमारे खाते साफ-सुथरे हैं। सब कुछ घोषित है। सरकारी कार्रवाई राजनीतिक एजंडा है और कुछ नहीं। फाउंडेशन और ट्रस्ट की स्थापना क्रम से 1991 और 2002 में हुई थी और दोनों के कार्य, उद्देश्य व स्थिति पीएम केयर्स से अलग हैं।

साफ है कि पीएम केयर्स ( PM CARES Fund ) पर आरोप लगा तो इनका नाम लेकर सरकार ने पीएम केयर्स को बचा लिया और यह वही सरकार है जो आम आदमी को विदेशी चंदा लेने में पर्याप्त रोड़े अटकाती है और खुद विदेशी चंदे लेकर बैठ गई जनता बेहाल है। अब इस पैसे का जो उपयोग हो, जरूरत पर जनता के काम नहीं आया इसमें कोई दो राय नहीं है और ना ऐसा कहा जा सकता है कि जनता को सारी सुविधाएं उपलब्ध थीं, पैसों की कोई जरूरत नहीं थी।

Disclaimer: यह लेख मूल रूप से संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल पर प्रकाशित हुआ है। इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए द हरिशचंद्र उत्तरदायी नहीं होगा।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।

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