
गुवाहाटी : सभी भारतीय का डीएनए एक वाले बयान के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर कहा कि इससे किसी मुसलमान को कोई दिक्कत नहीं होगी । सीएए और एनआरसी का हिंदू-मुस्लिम विभाजन से कोई लेना-देना नहीं है । गुवाहाटी में भागवत ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए इसे साम्प्रदायिक रूप दिया गया है ।
1930 से योजनाबद्ध तरीके से मुस्लमानों की संख्या बढ़ाने के प्रयास हुए, ऐसा विचार था कि जनसंख्या बढ़ाकर अपना वर्चस्व स्थापित करेंगे और फिर इस देश को पाकिस्तान बनाएंगे: गुवाहाटी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत pic.twitter.com/UuVGtCHyjy
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 21, 2021
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख ने बताया कि नागरिकता कानून पड़ोसी देशों में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करेगा । “हम आपदा के दौरान इन देशों में बहुसंख्यक समुदायों तक भी पहुंचते हैं । इसलिए अगर कुछ ऐसे हैं जो खतरों और डर के कारण देश में आना चाहते हैं, तो हमें निश्चित रूप से उनकी मदद करनी चाहिए ।”
CAA किसी भारत के नागरिक के विरुद्ध बनाया हुआ कानून नहीं है। भारत के नागरिक मुसलमान को CAA से कुछ नुकसान नहीं पहुंचेगा। विभाजन के बाद एक आश्वासन दिया गया कि हम अपने देश के अल्पसंख्यकों की चिंता करेंगे। हम आजतक उसका पालन कर रहे हैं। पाकिस्तान ने नहीं किया: गुवाहाटी में मोहन भागवत pic.twitter.com/0ISfqT0A9S
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 21, 2021
सांप्रदायिक कहानी बनाकर लाभ लेना चाहते हैं कुछ लोग-
पुस्तक विमोचन पर मोहन भागवत ने कहा कि सभी देशों को यह जानने का अधिकार है कि उसके नागरिक कौन हैं। उन्होंने कहा, “मामला राजनीतिक क्षेत्र में है क्योंकि सरकार इसमें शामिल है। लिहाजा लोगों का एक वर्ग इन दो मुद्दों के इर्द-गिर्द एक सांप्रदायिक कहानी बनाकर राजनीतिक लाभ लेना चाहता है।”
ये विचार पंजाब, सिंध, असम और बंगाल के बारे में था, कुछ मात्रा में ये सत्य हुआ, भारत का विखंडन हुआ और पाकिस्तान हो गया। लेकिन जैसा पूरा चाहिए था वैसा नहीं हुआ: गुवाहाटी में मोहन भागवत https://t.co/5ptei04DPv
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 21, 2021
असम के दो दिन के दौरे पर गए भागवत ने बुधवार को गुवाहाटी में कहा,”CAA किसी भारत के नागरिक के विरुद्ध बनाया हुआ कानून नहीं है । भारत के नागरिक मुसलमान को CAA से कुछ नुकसान नहीं पहुंचेगा ।”
भागवत ने गुवाहाटी में एक पुस्तक विमोचन समारोह में अपने भाषण में कहा कि कि नागरिकता क़ानून से पड़ोसी देशों में दमन का शिकार अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिल सकेगी ।
उन्होंने पाकिस्तान का ज़िक्र करते हुए कहा,”1930 से योजनाबद्ध तरीके से मुसलमानों की संख्या बढ़ाने के प्रयास हुए, ऐसा विचार था कि जनसंख्या बढ़ाकर अपना वर्चस्व स्थापित करेंगे और फिर इस देश को पाकिस्तान बनाएंगे ।”
उन्होंने कहा कि भारत ने अल्पसंख्यकों का हमेशा ख़याल रखा है-
उन्होंने कहा,” विभाजन के बाद एक आश्वासन दिया गया कि हम अपने देश के अल्पसंख्यकों की चिंता करेंगे । हम आजतक उसका पालन कर रहे हैं, पाकिस्तान ने नहीं किया ।”
Today, @RSSorg Sarsanghchalak, Param Pujaniya @DrMohanBhagwat Ji & HCM Dr @himantabiswa launched the book, “Citizenship Debate Over NRC & CAA: Assam and the Politics of History” by Prof @ngmahanta in the presence of Mins, MLAs & intellectuals.
Best Wishes to Prof @ngmahanta💐💐 pic.twitter.com/DhSiIbuOJg
— Pallab Lochan Das (@pallablochandas) July 21, 2021
मोहन भागवत ने साथ ही कहा कि सीएए और नागरिकता रजिस्टर एनआरसी का हिंदू-मुस्लिम से कोई लेना-देना नहीं है और इसे लेकर सांप्रदायिक कहानी कुछ लोगों ने राजनीतिक लाभ उठाने के लिए रची है ।
नागरिकता रजिस्टर की चर्चा करते हुए भागवत ने कहा कि हर देश को ये जानने का अधिकार है कि उसके अपने नागरिक कौन हैं ।
उन्होंने कहा,”ये मामला राजनीतिक पाले में है क्योंकि इसमें सरकार संबद्ध है । कुछ लोग इससे राजनीतिक फ़ायदा उठाने के लिए इन दोनों मुद्दों को सांप्रदायिक रंग देना चाहते हैं ।”
We are honoured with the gracious presence of Param Pujaniya Sarsanghchalak, @RSSorg, @DrMohanBhagwat Ji who very kindly launched the book and enlightened us with his insights & perspectives.
We seek his guidance & blessings always. 2/2 pic.twitter.com/rEd9zKV81E
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 21, 2021
आरएसएस प्रमुख असम में इस वर्ष बीजेपी के सत्ता में दोबारा लौटने के बाद पहली बार राज्य की यात्रा पर पहुँचे हैं ।
Disclaimer: This post was created with our nice and easy submission form; The views expressed in this article are based on the authors experience, research and thoughts. It is not necessary that The Harishchandra agrees with it. Only the author is responsible for all claims or objections related to this article. Create your post!
