
सुसंस्कृति परिहार : पावन नगरी राम जन्मभूमि अयोध्या से एक ऐसी महत्वपूर्ण ख़बर मिली है जिसे सुनकर फर्जी डिग्री धारी बड़ों बड़ों के होश फाख्ता हो गए होंगे।मामला गंभीर है तथा सत्तारूढ़ भाजपा विधायक से जुड़ा हुआ है। हालांकि ऐसे आरोप प्रधानमंत्री और उनकी केबिनेट मंत्री एक महिला पर भी लगे पर वे रफा दफा हो गए या यूं कहें उनको बिना जांच पड़ताल के समाप्त कर दिया । लेकिन एक सवाल तो वह है ही भले ,अनुत्तरित हों।सच आज नहीं तो कल सामने आएगा ही।
वर्तमान में जो मामला प्रकाश में आया है वह है अयोध्या की गोसाईगंज सीट से भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी का है जिन्हें फर्जी मार्कशीट के मामले में, पांच साल की सुनाई गई है। 29 साल पहले साकेत महाविद्यालय में अंक पत्र व बैक पेपर में कूट रचित दस्तावेज के सहारे धोखाधड़ी व हेराफेरी करने के मामले में खब्बू तिवारी विधायक के साथ ही, साकेत महाविद्यालय, छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व सपा नेता फूलचंद यादव और चाणक्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृपा निधान तिवारी पर सोमवार को, धारा 420/467/468/471 IPC का अपराध साबित होने पर एमपी/एमएलए कोर्ट ने दोषी माना गया है।
यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) पूजा सिंह ने भाजपा विधायक इन्द्र प्रताप तिवारी खब्बू सहित तीनों आरोपितों को पांच-पांच वर्ष की सजा सुना दी। सभी पर 19 हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया है। फैसले के बाद तीनों आरोपितों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया गया। साक्ष्य के रूप में पेश हुए, वादी एवं गवाहों के बयान के आधार पर कोर्ट की विशेष न्यायाधीश पूजा सिंह ने मामले में तीनों को दोषी पाया था।
इसके बाद इन तीनों को धारा 420 में तीन साल की सजा और छह हजार जुर्माना, 468 में पांच साल की सजा और आठ हजार जुर्माना और धारा 471 में दो साल की सजा और पांच हजार जुर्माना से दंडित किया।तीनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी सहित तीन आरोपियों की एमपी-एमएलए कोर्ट से सजा की खबर सुनकर कचहरी परिसर के आसपास उनके समर्थकों की भारी भीड़ जमा हो गई। लेकिन उन लोगों को सुकून भी पहुंचा है जो आर टी आई कार्यकर्त्ता वर्षों से पदों पर फर्जी डिग्रियों के सहारे जमे बैठे लोगों पर कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं। विशेष न्यायाधीश पूजा सिंह द्वारा दिया ये फैसला अभिनंदनीय है।यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस मामले की सुनवाई हुई और मुल्जिम को सज़ा मिली। ऐसा इसलिए हो सका कि एमएलए, एमपी के लिये गठित विशेष अदालतों ने अपना काम जल्दी निपटाया। काश! इसी त्वरित गति से फैसले हो पाते तो जाने कितने फर्जी लोगों के चेहरे उजागर हो जाते तथा वे लोग जो जबरिया विभिन्न क्षेत्रों में पदस्थ हैं उनकी जगह योग्य पात्र काम कर रहे होते।
इस फैसले से एक सुखद संदेश देश भर में पहुंचा है उम्मीद की जा सकती है कि और न्यायाधीश भी ऐसे मामलों में तुरंत हस्तक्षेप कर फर्जीवाड़ा में शामिल तमाम लोगों को दंडित कर समाज को ऐसे कठिन दौर में आशा की किरण दिखाकर उनमें उजास भरेंगे।
