19 साल बाद दूसरी बार होगा नव कुंडात्मक विष्णु महायज्ञ 15 मार्च से, 18 साल से संत कर रहे है खड़ेश्वरी

भीलवाड़ा। जिले के शाहपुरा में भगवान श्री आनणा देवनारायण मन्दिर बिलिया प्रांगण में 15 मार्च से 21 मार्च तक श्री श्री 108 श्री खंडेश्वर जी महाराज दाता पायरा की सद् प्रेरणा और श्री श्री 108 श्री चेतन दास जी महाराज के सानिध्य में विश्व शांति और कोरोना महामारी के शीघ्र निवारण की कामना हेतु सप्त दिवसीय श्री नव कुंडात्मक श्री विष्णु महायज्ञ का आयोजन होगा। जिसकी तैयारी हेतु रविवार शाम को श्री आनणा देवनारायण मंदिर बिलिया पर यज्ञ समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में आसपास के करीब एक दर्जन गांवों के भक्तों ने भाग लिया व यज्ञ के सफल आयोजन हेतु अपने सुझाव रखे। महायज्ञ की व्यवस्था हेतु विभिन्न कमेटियों का गठन किया गया। जिसमें जल वितरण कमेटी,स्वच्छता कमेटी, भोजन व्यवस्था हेतु प्रत्येक दिन के हिसाब से अलग-अलग गांव की जिम्मेदारी तय की गई।जो क्रमशः प्रथम दिवस से बिलिया, खामोर, सारांश, घरटा ,आमली कालू सिंह, सूरजपुरा व अंतिम दिवस समस्त गांवों की जिम्मेदारी रहेगी। महायज्ञ में प्रथम दिवस 101 गांव की हरि बोल प्रभात फेरी व 101 कलशों की कलश यात्रा भी होगी। भागवत कथा का आयोजन प्रतिदिन दोपहर 12से 3बजे तक होगा। इसी प्रकार नागौर की प्रसिद्ध मंडली द्वारा रामलीला का मंचन प्रत्येक दिन रात्रि 8 से 11:15 बजे तक होगा। यज्ञ की विभिन्न बोलियां भी लगाई गई जिसमें प्रधान कुंड के यजमान की बोली 61000 विक्रम सिंह राठोर खामोर की चल रही है। यज्ञ मंडप में जोड़ें द्वारा घृत की आहुति के लिए 1100 रुपए शाकिल्य के 500 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया। साथ ही कमेटी ने निर्णय लिया कि इस आयोजन में कोरोना की गाइडलाइन का पालन सख्ती से किया जाएगा। यज्ञ समिति के अध्यक्ष देवराज सिंह राठौड़ ने सभी भक्तों से तन मन धन से सहयोग कर इस यज्ञ को सफल बनाने में अपना योगदान देने का आह्वान किया।इससे पहले देव नारायण बिलिया में समस्त चोखला के सहयोग से नव कुंडात्मक महायज्ञ का आयोजन 2002 में हुआ था इसके बाद 18 साल बाद फिर एक बार नव कुंडात्मक महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है प्रायश्चित कर्म,मंडप प्रवेश,कल्प वृक्ष विवाहोत्सव यज्ञ पूर्णाहुति,संत विदाई कार्यक्रम होगा यज्ञाचार्य याज्ञिक सम्राट प.श्री राधेश्याम वेदाचार्य (वेदप्रकाश तिवारी) उप आचार्य द्वारा करवाया जाएगा।तथा नर मादा कल्पवृक्ष विवाहोत्सव भी होगा।धार्मिक आयोजन को लेकर क्षेत्रवासियों में खुशी जलक रही हैं तथा आमजन का भरपूर सहयोग मिल रहा है जिससे प्रतेज व्यक्ति खुशी महसूस कर रहा है।

महायज्ञ में पधारे संत 18 साल से कर रहे है खड़ेश्वरी तपस्या – महायज्ञ में दूर दूर से संत महात्माओं का आगमन होगा जिसको लेकर तेयारिया पूर्ण हो चुकी है धार्मिक भावनाओं से जुड़े इस महा कुंभ में दूर दूर से समाजसेवी व भक्त पहुंच रहे हैं जिनमें एक संत ऐसे है जो 18 साल से ऐसी तपस्या कर रहे है जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते दरअसल उदयपुर जिले के फागी तहसील के आमली वाले हनुमान मंदिर से पधारे श्री श्री 108 महंत चेतनदास महाराज जो 18 वर्षों से तपस्या कर रहे है वो भी ऐसी तपस्या की कभी बैठते नहीं ओर कभी लेटते नहीं केवल खड़े रहते है खाना,पीना सोना सब खड़े खड़े करते है।उनसे बात करने पर उन्होंने बताया कि आध्यात्म भक्ति ओर स्वेच्छा से उन्होंने ये निर्णय लिया है उनका मानना है की तपस्या का अर्थ तप से है तप से आत्मा शुद्ध होती है, कषाय मिट जाते हैं। तप का अर्थ क्या है इसे समझना आवश्यक है। यदि हमें मक्खन से घी बनाना है तो सीधे ही उसे आंच पर नहीं रख देते। उसे किसी बर्तन में डालना होगा। यहां उद्देश्य बर्तन को तपाना नहीं है बल्कि मक्खन को तपाकर उसे शुद्ध करना है। इसी तरह आत्मा का शुद्धिकरण होता है। तपस्या का एक अर्थ है जहां इच्छाएं समाप्त हो जाए। हम लोग भूखे रहने की तपस्या तो काफी कर रहे हैं पर तपस्या के पीछे छिपे उद्देश्य को भूल रहे हैं। हमारे यहां चातुर्मास में तपस्या की होड़ लग जाती है। यह अच्छी बात है परन्तु क्या तपाराधना के साथ हम इन्द्रिय संयम और कषाय-मुक्ति का लक्ष्य रख पाते हैं। इन्द्रियों के उपशमन को ही उपवास कहते है। इन्द्रिय विजेता ही सच्चा तपस्वी है।इस लंबी तपस्या से हुए पैरों में सूजन व घाव भी हो गए है लेकिन फिर भी प्रभु के प्रति कठोरता से समर्पित है।

झंडारोहण व भूमि पूजन के दिन से लगातार चल रही है घुणी – नव कुंडात्मक विष्णु महायज्ञ को लेकर 30 जनवरी से श्री श्री 1008 खड़ेश्वर महाराज दाता पायरा के आह्वान पर मंदिर स्थल में रात दिन घुणी जगायमान रहती है तथा एक पंडित वहा विराजमान रहता है जो घुणी को सुचारू रूप से जागायमान रखने को लेकर तत्पर रहता है।क्षेत्र के लोगों का कहना है कि 30 जनवरी से 21 मार्च तक ये घुणी जलती रहेगी। धार्मिक आयोजनों ओर अनुष्ठानों के यज्ञ, भागवत सहित अनेक कार्यक्रमों के बीच बड़,पीपल जोड़े व नर, मादा का विवाह भी संपन्न होगा साथ ही यज्ञ पूर्णाहुति व संत विदाई कार्यक्रम होगा।

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मोहम्मद दिलशाद खान
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