शिवराज सिंह “बुलडोजर मामा” का ऐलान काबिले गौर पर…

शिवराज सिंह “बुलडोजर मामा” का ऐलान काबिले गौर पर…

सुसंस्कृति परिहार : आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मामा जी के नाम से लोकप्रिय शिवराज सिंह के एलान से रेत माफियाओं को उनके बुलडोजर का आतंक सताने लगा है। उन्होंने भिंड में सरकारी अधिकारियों के बीच बैठक में ऐलान किया है कि रेत माफिया और अन्य माफियाओं को बख्शा नहीं जायेगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि सरकारी कामकाज में रिश्वतखोरी बर्दाश्त नहीं होगी। बड़ी ही दिलचस्प और लोकलुभावन बातों में मामा मोदी जी से भी कहें तो ज़्यादा माहिर हैं। आज इस ऐलान ने तो चंबलवासियों का दिल ही जीत लिया। सारे प्रदेश में इसे एलर्ट के रूप में देखा जा रहा है। चंबल का पानी भी राहत की सांस ले रहा होगा जिसका जिगरा रेत माफियाओं ने छलनी कर रखा है। चंबल ने डाकुओं का प्यार पाया है लेकिन रेत के नाम पर इतनी बेशर्म लूट ने उसे बेज़ार कर रखा है। कहा जाता है कि यहां मात्र टी आई बनकर आने वाले लोग मालामाल हो कर जाते हैं उनके सहयोग से बल्कि रेत माफिया तो सबको खरीदने की अकूत ताकत रखता है इसलिए विरोध करने वाले अधिकारी टेक्टर से यहां कुचले जाते हैं।

शिवराज सिंह “बुलडोजर मामा” का ऐलान काबिले गौर पर…

शिवराज सिंह “बुलडोजर मामा” का ऐलान काबिले गौर पर…

शिवराज सिंह “बुलडोजर मामा” का ऐलान काबिले गौर पर…

शिवराज सिंह “बुलडोजर मामा” का ऐलान काबिले गौर पर…

बहरहाल, मामा अब बुलडोजर से लैस हो चुके हैं देखना है कितना कमाल करके दिखाते हैं।खरगौन में बुलडोजर का दम आप सबने देखा लिया है। लोग कह रहे हैं वह मामला ध्रुवीकरण का है जबकि यह मामला चुनावे चंदे का एक जाना पहचाना हथकंडा है।जब चुनाव करीब आते हैं तो नेताओं के बयान यूं ही जनता को भटकाने वाले आने लगते हैं। सरकार भली-भांति जानती है कि इन विरोधी डानों को कब और कैसे दबोचना है। धनोपार्जन के लिए कौन सा हथकंडा चलेगा। ईडी, सीबीआई वगैरह तो पुराने फार्मूले हो गए या कहें गुजरे दौर की बात हो गई। अब तो फिट एक ही फार्मूला है सब कुछ बचाना है तो भगवा पट्टा बांधों और मुंह मागी खैरात दो। रेत माफिया समुदाय इतना बड़ा है कि उसका याराना दोनों प्रमुख दलों से चलता है लेकिन यदि हिंदू राष्ट्र बनाना है तो पट्टा तो बांधना ही होगा वरना बुलडोजर का ख़तरा जोड़ी माया को धूल में मिला देगा।

शिवराज सिंह “बुलडोजर मामा” का ऐलान काबिले गौर पर…

इसी तरह सरकार के आज्ञाकारी कर्मचारियों से कही ये बात भी साफ साफ इशारा कर रही है कि रिश्वतखोरी ना हो मतलब अब सब हमारे हवाले कर दो वरना—-नौकरी और सम्पत्ति गई समझो।ऐसे ऐलान रोमांच पैदा करते हैं। कथनी और करनी का भेद गोपनीय रखते हैं। नौकरियों के ऐलान,आवेदन, परीक्षाएं आयोजित होना भी शुरू हो सकती हैं। ख़ुश हो जाईए। चुनाव आते हैं तो दाम भी एक दो रुपए घटने की संभावना रहती ही है।ई श्रम कार्ड ख़ूब बनाए गए हैं सुनने में आया है कि लोगों ने अपने पते डाल दिए हैं जबकि वे जहां श्रम करते हैं उस संस्थान का नाम पता देना था।ख़ूब नकली काम हुआ देखना यह है चुनाव से पहले कितने ई श्रम कार्ड धारकों को एक हजार मिल पाते हैं। नये उद्यम,नये रोजगार सृजन का भी वक़्त करीब आ पहुंचा है।

देखना यह है चतुर राजनीतिक मामा कैसे कैसे हथकंडों को अंजाम देते हैं। प्रधानमंत्री पद के एक वारिस की हैसियत वे भी रखते हैं उन्हें पिछले कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के प्रति काफी नरम देखा गया पर अब उनके तेवर योगी बाबा की तरह साफ दिखाई दे रहे हैं। लगता है उन्होंने भी जैसी बहे बयार पीठ तब तैसी कीजे के सिद्धांत को अपना लिया है। बुलडोजर से प्यार का नशा शिव पर चढ़ता जा रहा है।

कांग्रेस तो अपनी खरगोश जैसी चाल में सुकून से है। उधर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर बुलडोजर पर बेन लगाने की अपील की है। उनका कहना है कि अदालत के आदेश पर ही बुलडोजर चलाए जाएं। अरे साहब अब संविधान ख़तरे में है नेता राजा बन बैठा है। फिर हालत तो ऐसी भी है कि व्यवस्थापिका का आदेश मानने अदालत बाध्य है किंतु डरिए नहीं कथित राजा को हटाने का अधिकार अभी भी हमारे पास है।

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सुसंस्कृति परिहार
लेखिका स्वतंत्र लेखक एवं टिप्पणीकार है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।