भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने बजट को बताया कट, कॉपी, पेस्ट

जयपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को विधानसभा में 2021-22 का डिजीटल बजट प्रस्तुत किया। बजट भाषण की समाप्ति के पश्चात् भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने तीखी प्रतिक्रिया करते हुए गहलोत पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बजट में की गई घोषणाओं और उन पर अमल, दोनों में विरोधाभास है। यह बजट पूरी तरह से कट, कॉपी और पेस्ट है। इसकी शक्ल तो अच्छी है, पर नीयत ठीक नहीं।

प्रदेशाध्यक्ष पूनिया ने कहा कि बजट में मुख्यमंत्री ने इतनी लम्बी-चौड़ी घोषणाएं करके केवल अपना राजनैतिक चेहरे को सेव किया है। इस बजट में आंदोलनरत बेरोजगारों के लए कुछ भी नहीं कहा गया। संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की जो पुरानी मंशा थी, वह पूरी नहीं हुई। इससे पहले के बजट में जो स्कूल, कॉलेज या अन्य इंस्टीट्यूट खोले गये, उनके इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में कुछ अता-पता नहीं है। इस बजट में यह कहीं नहीं दिखा कि कोरोना जैसी महामारी के बाद राज्य को कैसे उबारा जाए।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बजट में सरकार के वादे तो दिखाई देते हैं, पर इरादे नहीं। सरकार ने जिन प्रमुख योजनाओं की घोषणा की, उनमें से अधिकांश भाजपा की है। हमारे समय की कई योजननाएं तो एसी है जिनका नाम बदल कर नए रूप में जनता के सामने वर्तमान सरकार ने परोसी है। स्वास्थ्य बीमा योजना हमारी भामाशाह और केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना का ही बदला हुआ स्वरूप है। हमने किसानों के बिजली के बिल माफ किये तो सरकार ने बंद कर दिया था। जब विरोध हुआ तो बजट में शामिल करना पड़ा। जल मिशन और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना तो केन्द्र सरकार की है। इसको भी बजट में शामिल कर झूठी वाह-वाही लूटने का प्रयास किया है।

प्रतिपक्ष नेता गुलाबचन्द कटारिया ने बजट को घोषणाओं का इतना लंबा अंबार बताते हुए कहा कि सरकार को किसी अनिष्ट की आशंका है, इसलिए घोषणाओं का पिटारा खोल दिया है। इसे देखकर यह संकेत मिलता है कि शायद राज्य में मध्यावधि चुनाव होने वाले हैं। कटारिया ने कहा कि मैंने पक्ष-विपक्ष में रहकर कई बजट सुने, लेकिन घोषणाओं का इतना लंबा अंबार कभी नहीं सुना।

प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने बजट पर कहा कि बजट भाषण के जादूगरी के इन्द्रजाल की पोल खुल गई। उन्होंने मुख्यमंत्री की ओर से अलग से कृषि बजट की घोषणा को झुनझुना बताया।

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Avinash Kumawat
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