गुवाहाटी : असम-मिजोरम के बीच सीमा विवाद सोमवार को फिर भड़क उठा । असम के कछार जिले से लगती मिजोरम की सीमा पर असम पुलिस और मिजोरम के लोगों के बीच हिंसा हुई । असम के सीएम हेमंत बिस्व सरमा ने कहा कि इस हिंसा में उनके 6 जवानों की मौत हुई । मिजोरम के सीएम जोरमथंगा ने भी हिंसा का विडियो सोशल मीडिया में शेयर कर आरोप लगाया कि असम पुलिस ने आम लोगों पर आंसू गैस के गोले और लाठियां बरसाई हैं ।
- मिज़ोरम में इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व पत्रकार एडम हैलीडे ने कहा, “दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद तो रहा है, लेकिन दोनों राज्यों की पुलिस एक-दूसरे के सामने खड़े होकर गोलियां चलाने लगेगी, यह तो पहले कभी नहीं हुआ । यह स्थिति क्यों उत्पन्न हुई होगी यह जांच का विषय है । सवाल यही है कि पुलिस बल को गोली क्यों चलानी पड़ी । यह पुलिस अधिकारियों की कामकाजी शैली पर भी सवाल है ।”
- समाचार एजेंसी पीटीआई की गुवाहाटी ब्यूरो चीफ़ दुर्वा घोष बताती हैं, “दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद काफ़ी पुराना है । अलग-अलग जगहों से झड़प की ख़बरें आती रहती हैं, लेकिन यह इतना बड़ा विवाद हो जाएगा और फ़ायरिंग में पुलिसकर्मियों की मौत हो जाएगी, इसका अंदाज़ा शायद ही किसी को होगा । गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी ।”
- सिलचर यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफ़ेसर जॉयदीप बिश्वास इस घटना पर कहते हैं, “गृहमंत्री के दौरे के तुरंत बाद ऐसी घटना तो नहीं होनी चाहिए । हालांकि, समझने की ज़रूरत यह है कि यह विवाद लंबे समय से चला आ रहा है और इस विवाद को सुलझाने के लिए अब तक कोई गंभीर कोशिश भी नहीं हुई है ।”
कई साल पुराना है यह सीमा विवाद –
जुलाई के शुरू में असम पुलिस ने अपनी जमीन बताते हुए अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू किया था, जिसके बाद से 100 साल पुराना यह सीमा विवाद फिर गरमा गया है । असम पुलिस के एक अफसर ने बताया कि सीमा पार से उपद्रवियों ने उस समय अचानक गोलीबारी शुरू कर दी, जब दोनों पक्षों के अफसर मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे थे । इस हिंसा में कछार के एसपी समेत 50 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं ।
दोनों राज्यों के बीच क्यों है सीमा विवाद ?
असम-मिजोरम पड़ोसी राज्य हैं और एक-दूसरे पर अतिक्रमण का आरोप लगाते रहते हैं । मिजोरम के तीन जिले आइजोल, कोलासिब, ममित और असम के तीन जिले कछार, करीमगंज और हैलाकांडी एक दूसरे से सटे हुए हैं ।
सुलझाने की कितनी कोशिशें हो पाईं?
सीमा विवाद को खत्म करने के लिए 1995 के बाद से कई वार्ताएं हुई हैं लेकिन इनका कोई फायदा नहीं हुआ। मिजोरम ने हाल ही में एक सीमा आयोग का गठन भी किया। बीते दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने भी पूर्वोत्तर जाकर बैठक की।
क्या है इस विवाद की असल जड़?
मिजोरम के एक अधिकारी ने कहा कि मिजोरम जहां बंगाल पूर्वी सीमांत नियम, 1873 के तहत 1875 में अधिसूचित 509 वर्ग मील के आरक्षित वन क्षेत्र के अंदरुनी हिस्से को सीमा मानता है। वहीं, असम 1933 में तय संवैधानिक नक्शे को मानता है। उन्होंने कहा कि 1933 के नक्शे की सीमा थोपी गई थी क्योंकि परिसीमन के समय मिजोरम की राय नहीं ली गई थी और दोनों राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से सीमाओं का सत्यापन नहीं हुआ था ।
क्या कुछ और राज्यों से भी विवाद?
असम का मेघालय के साथ भी सीमा विवाद है । बीते दिनों असम के सीएम ने विवाद पर शिलॉन्ग में अपने मेघालय समकक्ष कोनराड संगमा के साथ चर्चा की। मेघालय सचिवालय के योजना भवन में शुक्रवार शाम हुई चर्चा के दौरान मेघालय सरकार ने राज्य के 12 विवादित स्थानों पर दावा किया । इस बीच, असम सरकार ने भी दस्तावेजों के साथ इसे सही ठहराते हुए कहा कि ये स्थान असम के हैं । तय हुआ है कि दोनों सीएम इन स्थलों का दौरा करेंगे ।
सोशल मीडिया पर भिड़े दोनों राज्यों के सीएम, गृह मंत्री अमित शाह को देना पड़ा दखल –
बीते रविवार को दोनों मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर ही भिड़ गए और अपने विडियो में प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को टैग कर उनसे दखल की मांग की । सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री ने अमित शाह ने दोनों मुख्यमंत्रियों से बात कर विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकालने को कहा है ।
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा दोनों एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते नज़र आए । भारतीय इतिहास में शायद ही इससे पहले दो पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच ऐसी स्थिति देखने को मिली थी ।
लेकिन सोशल मीडिया पर जो नहीं दिख रहा था, उसकी ख़बर कुछ ही घंटों के बाद सामने आ गई । हिंसक झड़प में असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई है । यह झड़प की स्थिति तब बनी जब दोनों राज्यों की पुलिस एक-दूसरे के सामने खड़ी हो गई । भारतीय इतिहास में इससे पहले ऐसी स्थिति कभी नहीं आई थी ।
असम के मुख्यमंत्री हों या फिर मिज़ोरम के मुख्यमंत्री, दोनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से गुहार लगाते सोशल मीडिया पर नज़र आए, जबकि इस घटना से महज़ एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शिलांग में सातों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिले थे । पूर्वोत्तर भारत की राजनीति पर नज़र रखने वालों की मानें तो इस बैठक में इन राज्यों के बीच सीमा विवाद भी एक मुद्दा था ।
क्यों और क्या क्या हुआ, राज्य सरकारों के दावे –
मिज़ोरम सरकार के मुख्यमंत्री ने अपने बयान में पूरे हादसे को दुखद बताते हुए कहा है कि यह पूरा संघर्ष तब शुरू हुआ जब रविवार को दिन के साढ़े ग्यारह बजे कछार ज़िले के वैरंगते ऑटो रिक्शा स्टैंड के पास बने सीआरपीएफ़ पोस्ट में असम के 200 से ज़्यादा पुलिसकर्मी पहुंचे और इन लोगों ने मिज़ोरम पुलिस और स्थानीय लोगों पर बल प्रयोग किया ।
Dear Himantaji, after cordial meeting of CMs by Hon’ble Shri @amitshah ji, surprisingly 2 companies of Assam Police with civilians lathicharged & tear gassed civilians at Vairengte Auto Rickshaw stand inside Mizoram today. They even overrun CRPF personnel /Mizoram Police. https://t.co/SrAdH7f7rv
— Zoramthanga (@ZoramthangaCM) July 26, 2021
पुलिस के बल प्रयोग को देखते हुए जब स्थानीय लोग वहां जमा हुए तो उन पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया और टियर गैस का इस्तेमाल किया जिसमें कई लोग घायल हुए हैं ।
Hon'ble @himantabiswa ji, as discussed I kindly urge that Assam Police @assampolice be instructed to withdraw from Vairengte for the safety of civilians. @narendramodi @AmitShah @PMOIndia @HMOIndia https://t.co/wHtMPhFRpP
— Zoramthanga (@ZoramthangaCM) July 26, 2021
कोलासिब के स्थानीय पुलिस अधीक्षक ने उन लोगों से मिलकर उन्हें समझाने की कोशिश की है । जब असम पुलिस ने ग्रेनेड फेंके और फ़ायरिंग की तो मिज़ोरम पुलिस ने शाम चार बजकर 50 मिनट पर फायरिंग की । मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने अपने बयान में कहा है कि मिज़ोरम पुलिस ने तब असम पुलिस का जवाब दिया जब कोलासिब के ज़िला पुलिस अधीक्षक असम के पुलिस अधिकारियों से बात कर रहे थे ।
Shri @AmitShah ji….kindly look into the matter.
This needs to be stopped right now.#MizoramAssamBorderTension @PMOIndia @HMOIndia @himantabiswa @dccachar @cacharpolice pic.twitter.com/A33kWxXkhG
— Zoramthanga (@ZoramthangaCM) July 26, 2021
यही एक बात है जो असम के मुख्यमंत्री के जारी बयान में भी एक समान है । असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने अपने बयान में कहा है कि यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब यथास्थिति का उल्लंघन करते हुए मिज़ोरम सरकार ने लैलापुर ज़िले यानी असम के इलाक़े में सड़क बनाने का काम शुरू किया है । इसी सिलसिले में 26 जुलाई को असम पुलिस के आईजी, डीआईजी और पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी वहां गए ताकि उन लोगों को यथास्थिति बनाए रखने के लिए समझाया जा सके ।
I have just spoken to Hon’ble Chief Minister @ZoramthangaCM ji.I have reiterated that Assam will maintain status quo and peace between the borders of our state. I have expressed my willingness to visit Aizawl and disscuss these issues if need be @AmitShah @PMOIndia
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 26, 2021
असम के मुख्यमंत्री के बयान के मुताबिक असम के पुलिस बल पर मिज़ोरम के आम लोगों ने पत्थरों से हमला कर दिया और मिज़ोरम पुलिस भी उनका साथ देती नज़र आई ।
Honble Zoramthanga ji could you please investigate why are civilians from Mizoram holding sticks and trying to incite violence ? We urge civilians to not take up law and order on their own hands and permit peaceful dialogue to take place between governments @AmitShah @PMOIndia https://t.co/BRkhWYuEUX
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 26, 2021
इस बयान के मुताबिक कोलासिब के पुलिस अधीक्षक ने असम के अधिकारियों से यह भी कहा कि उनका भीड़ पर नियंत्रण नहीं है और जब वे बातचीत कर ही रहे थे तभी मिज़ोरम के पुलिसकर्मियों ने गोली चलाई जिसमें असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई और कछार ज़िले के पुलिस अधीक्षक सहित पचास लोग घायल हुए हैं ।
Honble @ZoramthangaCM ji , Kolasib ( Mizoram) SP is asking us to withdraw from our post until then their civilians won't listen nor stop violence. How can we run government in such circumstances? Hope you will intervene at earliest @AmitShah @PMOIndia pic.twitter.com/72CWWiJGf3
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 26, 2021
मेघालय सीमा पर भी तनाव –
रविवार देर रात से असम और मेघालय की सीमा पर भी तनाव का असर दिखने लगा है । मेघालय की राजधानी शिलांग के स्थानीय पत्रकार जो थिंगखिइउ ने बताया, “मेघालय और असम की सीमा पर भी तनाव की स्थिति है । पिछले दिनों ही सीमावर्ती इलाकों में मेघालय राज्य के बिजली विभाग ने बिजली के पोल लगाए । अगले दिन असम के पुलिसकर्मियों ने आकर उन्हें हटा दिया । मतलब मेघालय सरकार जिस ज़मीन को अपना मान रही है, असम सरकार उस पर अपना दावा जता रही है ।”
जोए थिंगखिइउ के मुताबिक असम और मेघालय की सीमा के चार ज़िलों में सीमा विवाद बीते कई दशकों से चला आ रहा है और सीमा चिन्हित करने की दिशा में कोई काम नहीं होने से भी विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है ।
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