भास्कर और भारत समाचार पर आईटी रेड से, क्या जासूसी मामले में ध्यान भटक सकता है?

नई दिल्ली :  सुबह दैनिक भास्कर के ठिकानों पर छापा पड़ा और अभी अभी ख़बर आ रही है कि लखनऊ से संचालित भारत समाचार चैनल के प्रधान सम्पादक के घर पर भी आयकर विभाग का छापा पड़ गया है । लखनऊ से मिली जानकारी के अनुसार ब्रजेश मिश्रा के गोमती नगर में विपुल खंड के आवास पर इनकम टैक्स की टीमों ने छापेमारी की है । साथ ही चैनल के स्टेट हेड वीरेंद्र सिंह सहित कई अन्य प्रमोटरों के यहां छापे की बात सामने आ रही है ।

गौरतलब है कि कोरोनाकाल में इस चैनल ने उत्तर प्रदेश सरकार की नाकामियों की अपनी धारदार पत्रकारिता से बखिया उधेड़ रहा था । चैनल के संस्थापक संपादक बृजेश मिश्रा ने पत्रकारिता के मानवीय मूल्यों की रक्षा करते हुये कोरोना काल- 2 में पश्चिम बंगाल समेत 5 राज्यों  के विधानसभा चुनाव की लाइव कवरेज करने की होड़ से खुद को अलग करते हुये अपने चैनल का पूरा फोकस कोरोना की दूसरी लहर में हाहाकार करती जनता की चीखों पर बनाये रख था ।

वो भारत समाचार चैनल था जो खुद को नंबर एक राष्ट्रीय चैनल की होड़ से अलग खुद को सिर्फ़ एक सूबे का समाचार चैनल होने तक सीमित रखते हुये लगातार रामराज्य मॉडल की धज्जियां उड़ा रहा था और इसके स्याह अंधेरे में छुपे मानवीय चीखों और पीड़ाओं को आवाज़ दे रहा था । भरत समाचार चैनल लगातार उत्तर प्रदेश में महिलाओं, दलितों और मुसलमानों के ख़िलाफ़ हो रहे दमन व अत्याचार को उजागर कर रहा था इसी के चलते वो सरकार के निशाने पर आ गया । छापा के बाद यह भी कहा जा रहा है, जो भी सरकार की कमियाँ उजागर करेगा वह नाप दिया जाएगा । यह घोषित आपात काल भले न हो लेकिन जो हालात हैं वह आपातकाल से भी भयावह है ।

छापा को लेकर ट्विटर पर छिड़ी बहस –

गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा कोरोना के ख़िलाफ़ निपटने की तानाशाही नीति और पीड़ित को सजा देने की रणनीति को रोल मॉडल घोषित किया था जिसकी भारत समाचार चैनल ने जमकर मजम्मत की थी । 99 फ़ीसदी मीडिया पहले से ही मोदी सरकार के शरणागत है । जो एक दो मीडिया हाउस सच दिखाने बताने का काम कर रहे हैं, उनकी आवाज़ को बुरी तरह कुचलने का प्रयास किया जा रहा है ।

बड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने की तो नहीं है कोशिश

सांसद का मानसून सत्र चल रहा है, कथित जासूसी कांड,कोरोना  से हुई मौतों की संख्या और ऑक्सीजन विवाद पर संंसद में हंगामे के बाद संसद सत्र को कई बार स्थगित भी करना पड़ रहा है |

इन मुद्दों को लेकर संसद सत्रा के दौरान कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल सरकार पर लगातार हमलावर रही है । इसी दौरान एक ही दिन दैनिक भास्कर और भारत सामाचार के दफ्तरों और अधिकारियों के यहां छापा को जानकार देश की जनता और विपक्षी दलों का ध्यान बड़े मुद्दों से हटाकर छापा जैसे मुद्दों पर केन्द्रित करने की कोशिश बता रहे हैं ।

वैसे चर्चा यह भी है जासूसी कांड से ध्यान भटकाने के लिए सरकार को किसी अन्य बड़े मुद्दे की जरूरत थी! क्यों कि मीडिया के पास जब भी एक नया बड़ा मुद्दा आता हे पुराना मुद्दा दफन हो जाता हे! अब भास्कर समूह पर आईटी की छापेमारी के बाद, भारत समाचार पर भी आईटी की छापेमारी की खबर सामने आई है। एक साथ दो मीडिया पर छापेमारी अवश्य एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। तो कहीं ऐसा तो नहीं कि एक साथ दो मीडिया पर छापेमारी कर सरकार जाजूसी मामले में ध्यान भटकाना चाहती है? यह सवाल इस लिए क्यों की अब तक सभी पत्रकारों का ध्यान जासूसी मामले पर था, लेकिन भास्कर समूह और भारत समाचार पर आईटी की छापेमारी के बाद मुख्य मीडिया के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी सभी पत्रकार छापेमारी पर लिखने में व्यस्त हो गए है?

भास्कर और भारत समाचार पर आईटी रेड से, क्या जासूसी मामले में ध्यान भटक सकता है?

एक पुरानी कहावत है “फुट डालो और राज कारों” इस कहावत का अर्थ यह भी है की अलग अलग कर दो! भास्कर समूह एक बड़ा मीडिया समूह है और इसके पत्रकारों कि संख्या भी अधिक है अब ऐसे में उक्त सभी पत्रकारों का ध्यान अपने संस्थान के रक्षण कि और जाना लाज़मी है। वही दूसरी और भारत समाचार पर भी यही बात लागू होती है। इसके अवाले अन्य मीडिया हाउस और पत्रकार भी अब कुछ दिनों तक छापेमारी पर चर्चा में व्यस्त हो सकते है। ऐसे में जासूसी मामले का क्या होगा? सवाल कई है और जवाब एक भी नहीं, क्यों कि एक सवाल के जवाब से पहले सरकार दूसरा सवाल सामने रख देती है। देश को कैसा मीडिया चाहिए? यह भी एक सवाल है इसी सवाल के साथ राजेश ज्वेल ने जो लिखा है वह भी पढ़ लीजिए।

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Keshav Jha
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