
संजय कुमार सिंह : इलाहाबाद हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद बिजनौर पुलिस अधीक्षक ने पत्रकार विनीत नारायण व अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द की। विहिप महासचिव श्री चंपत राय के भाई श्री संजय बंसल ने यह एफआईआर दर्ज करवाई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश की गलत व्याख्या करने के लिए भी फटकार लगाई और विनीत नारायण के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई सभी पोस्ट डिलीट करने के आदेश दिए। कहने की जरूरत नहीं है कि विनीत नारायण ने इस ममले में न तो माफी मांगी और न ही फेसबुक पोस्ट डिलीट करने का कोई प्रस्ताव किया था।
फेसबुक पर श्री चम्पतराय (अन्तराष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद/महामन्त्री, श्रीरामजन्मभूमि न्यास क्षेत्र समिति) पर की गयी अनर्गल पोस्ट के सम्बन्ध में पुलिस अधीक्षक बिजनौर की बाईट। #UPPolice @Uppolice @homeupgov@UPGovt @adgzonebareilly @digmoradabad@dmbijnor pic.twitter.com/fC4269DVCR
— Bijnor Police (@bijnorpolice) June 20, 2021
धाराएं लागू नहीं होतीं
बिजनौर के एसपी ने वरिष्ठ पत्रकार विनीत नारायण, उनके सहयोगी पत्रकार रजनीश कपूर व अलका लाहोटी के खिलाफ दर्ज केस को बंद किये जाने की रिपोर्ट आज अदालत में दाखिल की। उल्लेखनीय है कि पुलिस अधीक्षक बिजनौर ने 6 अगस्त को अदालत में दाखिल अपने शपथ पत्र में कहा था कि उन्होंने एफ़आईआर को ध्यान से नहीं पढ़ा था। उन्होने यह भी माना था कि इसमें लगाई गयी धाराओं में से कोई भी धारा श्री नारायण व् अन्य पर लागू नहीं होती। इस लापरवाही के लिए पुलिस अधीक्षक बिजनौर को अदालत की हर तारीख पर कड़ी फटकार लगी थी। माननीय न्यायाधीशों ने 5 अगस्त के अपने आदेश में उत्तर प्रदेश पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त की थी।


गलत व्याख्या के लिए फटकार
मामले की सुनवाई करते हुए माननीय अदालत ने शिकायतकर्ता, विहिप महासचिव श्री चंपत राय के भाई श्री संजय बंसल को 6 अगस्त के अपने आदेश की गलत व्याख्या करने के लिए कड़ी फटकार लगाई और उनसे विनीत नारायण के खिलाफ लिखी गईं सभी भ्रामक पोस्ट को सोशल मीडिया से फ़ौरन डिलीट करने के लिखित आदेश दिए। उल्लेखनीय है कि संजय बंसल द्वारा 6 अगस्त के आदेश को गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा था कि विनीत नारायण को अदालत की फटकार लगी और उन्होंने अदालत में संजय बंसल से माफी मांगी व् अपनी पोस्ट डिलीट कर दी। जबकि हकीकत यह है कि माफी संजय बंसल के वकील ने मांगी थी ना कि विनीत नारायण ने।
माफी मांगने का संदर्भ
6 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट में जब सुनवाई चल रही थी तो श्री संजय बंसल के वकील श्री अशोक मेहता ने उक्त फर्जी एफआईआर दर्ज करने के लिए खुली अदालत में माफी मांगी उन्होंने यह भी कहा कि हमें नहीं पता था कि विनीत नारायण अंतरराष्ट्रीय ख्याति के पत्रकार हैं। हम इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते, यहीं खत्म कर देना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हम अदालत से निवेदन करते हैं कि विनीत नारायण की फेसबुक पोस्ट को डिलीट करवा दें क्योंकि उसके कारण हमारा नगीना में रहना मुश्किल हो रहा है। इस पर श्री नारायण के वकील श्री सौरभ यादव ने श्री नारायण को फोन पर कहा कि इस विवाद को समाप्त करने कि दृष्टि से माननीय न्यायाधीश पूछ रहे हैं कि क्या यह पोस्ट डिलीट की जा सकती है।
दुष्प्रचार के लिए फटकार
माननीय न्यायाधीशों की भावना का सम्मान करते हुए श्री नारायण राजी हो गए। जिसका संजय बंसल ने जमकर दुष्प्रचार किया और आज इसी कारण उनको अदालत ने कड़ी फटकार लगाई। साथ ही दोनों पक्षों से इस एफआईआर के मामले में कोई और पोस्ट न लिखने के आदेश भी दिए। फेसबुक पर श्री नारायण की उस पोस्ट को पढ़ने के बाद और इसके मसौदे को देखने के बाद यह स्पष्ट होता है कि इसमें कोई भी बात किसी निहित उद्देश्य से नहीं लिखी गयी थी। बल्कि सामान्य रूप में जो एक पत्रकार की भूमिका होती है कि तथ्यों को समाज के सामने रखना उसी दृष्टि से यह पोस्ट लिखी गई है। सर्वोच्च न्यायालय हाल ही में आये ‘विनोद दुआ फ़ैसले’ में पत्रकारों की अभिव्यक्ति की इस स्वतंत्रता को पुनः स्थापित किया गया है।
शिकायत तो अल्का लाहोटी की है
वैसे भी यह पोस्ट आरएसएस की पदाधिकारी व श्री कृष्ण गौशाला, नगीना की अध्यक्ष श्रीमती अलका लाहोटी के बयान और उनके द्वारा दिए गए तमाम क़ानूनी व प्रशासनिक दस्तावेजों पर आधारित है। जिसका सत्यापन उन्होंने पुनः अपने वीडियो बयान में कर दिया है। जिसमें उन्होंने श्री चम्पत राय जी से पुनः अपील की है की वे अपने कुनबे के लोगों द्वारा श्री कृष्ण गौशाला पर किए गए अवैध क़ब्ज़े और उस पर उनके भाईयों द्वारा अवैध तरीक़े से बनाए डिग्री कॉलेज को हटवाएँ। इस वीडियो बयान की लिंक भी नीचे है। आश्चर्य है कि श्री संजय बंसल और उनके साथियों ने माननीय अदालत की कारवाई और उसके लिखित आदेशों को भी तोड़ मरोड़कर सोशल मीडिया पर प्रचारित किया। यह अदालत की अवमानना का संगीन मामला बन सकता था।
