मुख्यमंत्री गहलोत ने पायलट समर्थकों से मुकाबला करने की ठानी

विगत दिनों जब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने हैलीकॉप्टर में एक साथ यात्रा की तो प्रदेश के प्रभारी महासचिव अजय माकन ने ट्वीट कर इसे बड़ी उपलब्धि बताई। तब यह माना गया कि माकन के प्रयासों से गहलोत और पायलट के बीच दूरियां कम हो रही हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों की गतिविधियां बताती हैं कि दोनों नेताओं के बीच खाई और चौड़ी होती जा रही है। 12 मार्च को पायलट समर्थक विधायक रमेश मीणा, वेदप्रकाश सोलंकी और मुरारी मीणा ने मीडिया के समक्ष कहा कि गहलोत सरकार में एससी एसटी और अल्पसंख्यक वर्ग की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यहां तक कि इन वर्गों के विधायकों के साथ विधानसभा में भी भेदभाव होता है। तीनों विधायकों ने कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी से मुलाकात का समय मांगा है और साफ कहा है कि यदि राहुल गांधी मुलाकात नहीं करते हैं तो हम विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे। विधायकों के खुले ऐलान के बाद प्रदेश प्रभारी अजय माकन का कोई ट्वीट सामने नहीं आया। तीनों विधायकों के बयान से प्रतीत होता है कि अजय माकन भी उनकी समस्याओं का समाधान करवाने में विफल है। यदि अजय माकन समस्याओं का समाधान करवाते तो उन्हें राहुल गांधी से मिलने की जरूरत नहीं होती। सवाल सिर्फ तीन विधायकों का नहीं है। यदि इस्तीफों का दौर चला तो 15 से भी ज्यादा विधायक कांग्रेस से इस्तीफा देंगे। मालूम हो कि गत वर्ष जुलाई में सचिन पायलट के नेतृत्व में 18 विधायक दिल्ली में रहे थे। तभी सीएम गहलोत ने पायलट को नकारा, मक्कार और धोखेबाज कहा था। पायलट के प्रति गहलोत ही यह धारणा अभी तक नहीं बदली है, इसलिए माना जा रहा है कि जो विधायक दिल्ली गए थे, उनमें से अधिकांश इस्तीफा देंगे और इस्तीफे की शुरुआत सचिन पायलट से होगी। पायलट टोंक से कांग्रेस के विधायक हैं। गत 19 फरवरी को जयपुर के निकट चाकसू में पायलट की किसान महापंचायत में दिल्ली जाने वाले अधिकांश विधायक उपस्थित थे। विधायकों की उपस्थिति से जाहिर है कि पायलट को अपने विधायकों का समर्थन हासिल है। पायलट इसे अपनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं। पायलट समर्थक विधायकों में असंतोष की खबरों के बीच 13 मार्च को कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। इसमें सचिन पायलट पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का प्रचार करेंगे। सवाल उठता है कि जो पायलट अपने गृह राज्य से अपनी ही सरकार से संतुष्ट नहीं है वो पायलट बंगाल में कांग्रेस के लिए किस प्रकार वोट मांगेगे?

गहलोत ने भी ठानी:

प्रदेश के ताजा राजनीतिक हालातों से प्रतीत होता है कि अब सीएम अशोक गहलोत ने भी पायलट के समर्थक विधायकों से मुकाबला करने की ठान ली है। पायलट समर्थक विधायक चाहे कितना भी दबाव बनाएं, लेकिन गहलोत झुकेंगे नहीं। गहलोत अब पायलट को किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं करेंगे, भले ही उनकी सरकार चली जाए। हालांकि सरकार बचाने के लिए गहलोत ने निर्दलीय विधायकों के साथ साथ दो-तीन विधायकों वाले राजनीतिक दलों को पटा कर रखा हुआ है। पायलट जब स्वयं सहित 19 विधायकों को दिल्ली ले गए थे, तब भी गहलोत ने 100 विधायकों का जुगाड़ कर रखा था। यदि पायलट के कहने से रमेश मीणा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुरारी मीणा जैसे 15 विधायक इस्तीफा भी दे हैं तो भी गहलोत अपनी सरकार बचाने में सफल रहेंगे।

निर्दलीय विधायक गहलोत के साथ:

राजस्थान में 200 में से 13 निर्दलीय विधायक हैं। निर्दलीय विधायकों के प्रतिनिधि और किशनगढ़ (अजमेर) के विधायक सुरेश टाक ने कहा कि सभी 13 निर्दलीय विधायक सीएम अशोक गहलोत के साथ हैं। हालांकि निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस के राजनीतिक संकट से कोई सरोकार नहीं है, लेकिन विधानसभा में शक्ति परीक्षण के समय निर्दलीय विधायक अशोक गहलोत का साथ देंगे। हाल ही के बजट में सीएम ने निर्दलीय विधायकों की मांग के अनुरूप बजट निर्धारित किया है। हमने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जो भी कार्य बताए, उन सभी पर सीएम ने स्वीकृति दी है। चूंकि हमें अपने क्षेत्रों का विकास करवाना है, इसलिए हम मुख्यमंत्री के साथ है। वैसे भी सीएम गहलोत सभी निर्दलीय विधायकों से व्यक्तिगत संबंध रख रहे है।

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