चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किया तिब्बत का औचक दौरा- यह भारत को कैसे प्रभावित कर सकता है?

ल्हासा के पोटाला महल के बाहर उन्होंने एक जनसभा को संबोधित भी किया । चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, जिनपिंग के अपने संबोधन में कहा, “जब तक हम कम्युनिस्ट पार्टी का अनुसरण करते रहेंगे और समाजवाद के रास्ते पर चलते रहेंगे, हमारे लिए अपने राष्ट्र की कायाकल्प करना आसान हो जाएगा…”

नई दिल्ली : चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने अरुणाचल प्रदेश के पास स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तिब्बती सीमावर्ती शहर न्यिंगची का दौरा किया । चीनी राष्ट्रपति का तिब्बत का ये सरप्राइज दौरा था. 2013 में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद यह उनका पहला तिब्बत दौरा है. शी जब चीन के उपराष्ट्रपति थे तब उन्होंने पिछली बार 2011 में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र का दौरा किया था, जो तिब्बत के लगभग आधे हिस्से में फैला है । वहीं, उन्होंने ल्हासा, निंगत्री और शिगात्से का दौरा भी किया था ।

इंटरनेशनल कैंपेन फॉर तिब्बत (आईसीटी) ने कहा, ‘चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तिब्बत यात्रा इस बात का संकेत है कि चीनी नीतिगत विचारों में तिब्बत का कितना ऊंचा स्थान है । यह देखते हुए कि यह यात्रा तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के झूठे दावे की 70वीं वर्षगांठ से जुड़ी है । जब भीषण बाढ़ चीन के हेनान प्रांत को प्रभावित कर रही थी, उस दौरान शी तिब्बत में थे ।हालांकि, जिस तरह से यात्रा का आयोजन किया गया और यात्रा के किसी भी तत्काल राज्य मीडिया कवरेज की पूर्ण अनुपस्थिति से संकेत मिलता है कि तिब्बत एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है और यह भी कि चीनी अधिकारियों को तिब्बती लोगों के बीच उनकी वैधता पर भरोसा नहीं है ।’

आईसीटी ने एक सूत्र के हवाले से कहा कि शी पहली बार 20 जुलाई को दक्षिण-पूर्वी तिब्बत के निंगत्री में मेनलिंग हवाई अड्डे पर उतरे थे. शी ने निंगत्री में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि 10 साल पहले, जब वह 17 सूत्री समझौते की 60वीं वर्षगांठ को चिह्न्ति करने के लिए चीनी सरकार के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में आए थे, तो वह पहले ल्हासा गए थे । लेकिन इस बार, उन्होंने कहा, वह पहले निंगत्री में लोगों से मिलने आए, और उनसे कहा कि एक भी जातीय समूह को पूरी तरह से आधुनिक समाजवादी चीन बनाने के प्रयासों में पीछे नहीं रहना चाहिए । जनता को चीन के कायाकल्प और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अगले 100 वर्षों के लिए काम करना चाहिए ।

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Keshav Jha
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