Covid जनता के स्वस्थ्य के लिए खतरा है तो Corruption देश के स्वास्थय और जनता के भविष्य के लिए खतरा है!

Covid-corruption india

भारत में प्रतिवर्ष कितने घोटाले होते है, कितने मामलों कि खबरें अखबारों में प्रकाशित होती है और कितने मामलों में जांच के बाद दोषियों को सजा मिलती है? इस सवाल के साथ यह जानना भी जरूरी है कि जितने रुपयों का (Corruption) घोटालों द्वारा गमन हुआ उनमे से कितने रुपयों कि रिकवरी हुई? हालांकि यह सवाल एक बड़ी पड़ताल का विषय है और बारीकी से पड़ताल किए बिना इनमे से किसी भी सवाल का सटीक जवाब नहीं मिल सकता। लेकिन जनता को इन सवालों के जवाब जानने का पूरा हक है क्यों कि इन घोटाले के आंकड़ों में गरीबों के खून-पसीने कि गाढ़ी कमाई शामिल है यह वही पैसे है जो सरकारे विकास के नाम पर टैक्स के रूप में जनता से वसूलती है लेकिन बड़े हैरत कि बात है सरकारों के पास अब तक ऐसे कोई इंतजामत नहीं है कि वह जनता कि गाढ़ी कमाई कि सुरक्षा कर सके।

खेर जनवरी 2021 से अब तक यानि अप्रेल 2021 तक कि कुछ सुर्खियों पर एक नजर डालते हुए आगे बढ़ते है। जनवरी 2021, खबर आई कि 17,000 हजार करोड़ का रोज वैली घोटाला बंगाल का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है, करोड़ के रोजवैली चिटफंड घोटाले में, सीबीआइ की विशेष अदालत ने कंपनी के एक अधिकारी अरुण मुखर्जी को दोषी करार देते हुए सात साल की जेल की सजा सुनाई, साथ ही, ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

इसके बाद जनवरी 2021 में, BJP ने केजरीवाल सरकार पर 26,000 करोड़ के घोटाले (Corruption) का आरोप लगाया। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आरोप कहा कि 5 सालों में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड को 41,000 करोड़ रुपये का लोन दिया, जिसमें से 26,000 करोड़ रुपये का कोई हिसाब-किताब ही नहीं है।

फिर फरवरी 2021 में खबर आई कि राशन घोटाले की जिसमे बताया गया कि  8680 बच्चियों की बजाय महिला बाल विकास ने कागजों पर 1.71 लाख को बांट दिया राशन इस खबर के मुताबिक जिन 2 लाख 8 हजार 531 बच्चियों का कोई अस्तित्व नहीं है, उनमें से करीब 1 लाख 71 हजार बच्चियों से अधिक को कागजों में ही हर साल करीब 60 करोड़ का टेक होम राशन बांटा जा रहा था।

इसके बाद मार्च 2021 में ई डी ने खुलासा किया कि कोयला घोटाले में 1300 करोड़ की रिश्वत ली गई थी, ईडी ने पहली बार ये खुलासा किया है कि घोटाले में 730 करोड़ रुपये अकेले मिश्रा बंधुओं यानी विनय मिश्रा और विकास मिश्रा ने लिए।

इसके बाद मार्च 2021 में खबर आई कि झारखंड स्थापना दिवस-2016 के दौरान स्कूली छात्र-छात्राओं के बीच टॉफी व टी-शर्ट का वितरण किया जाना था. लेकिन प्रदेश के 9000 स्कूलों में ये बंटे ही नहीं, पर कागज पर आपूर्ति दिखा दी गयी।

इसके बाद मार्च 2021 में खबर आई कि सीबीआई के अनुसार, कपिल और धीरज वधावन ने 14,000 करोड़ रुपये से अधिक के ‘फर्जी व काल्पनिक’ होम लोन (Corruption) मंजूर किए हैं। साथ ही इसके लिए पीएमएवाई के तहत सरकार से 1,880 करोड़ रुपये की ब्याज सब्सिडी भी हासिल कर ली।

इसके बाद अप्रेल में तो जैसे भूचाल ही आ गया खबर आई कि किरीट सोमैया ने अपने ट्वीट में कहा कि ठाकरे सरकार ने 2000 करोड़ का वसूली घोटाला किया है जिसके तहत पुलिस/आरटीओ तबादले, टीआपी, बुकी, Drug आदि के मामले शामिल हैं।

सवाल किसी खबर पर नहीं है क्यों कि ऐसी दर्जनों और सेकड़ों खबरें है जो जनता रोज देखती है। सवाल तो है खबर के बाद क्या हुआ, खबरों से पहले क्या हुआ, कितने लोगों ने इन मामलों को उजागर करने में अपनी भूमिका निभाई, कितने लोगों ने सरकार से घोटालों कि शिकायते कि और कितने मामलों में सरकार को भ्रष्टाचार कि शिकायते मिली, सरकार को इन घोटालों कि जानकारी कैसे मिली, कितने मामलों में जांच शुरू हुई और कितने मामलों में जनता से वसूले गए घन कि रिकवरी हुई? और सबसे अहम सवाल तो यह है कि घोटालों और घोटालों कि शिकायतों तथा शिकायतकर्ताओं के नाम और घोटालों के विषयों के अनुसार गिनती रखने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों ने किन विभागों एवं विभागीय अधिकारियों को यह जिम्मेवारी दी है?

जाहीर सी बात है जनता जब किसी अधिकारी, मंत्री, सरकार को शिकायत करती है तो उस अधिकारी, मंत्री, सरकार का यह फर्ज बनता है कि वह जनता कि शिकायत को विषय के अनुसार अलग अलग संरक्षित रखे ताकि मामले में संज्ञान के समय विषय के अनुसार प्राथमिकता तय कि जा सके। वर्ष 2018 में प्रधान मंत्री कार्यालय को भ्रष्टाचार और घोटालों के संबंध में सूचना के अधिकार के तहत दो आरटीआई कि गई थी दोनों आरटीआई में किए गए सवाल और उनके जवाब आपके सामने है।

RTI Application

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इन आरटीआई पर प्रकाश डालना इस जरूरी है क्यों कि सरकार आज जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए देश, राज्य, जिला, शहर, गांव, पंचायत, वार्ड और ऐरिया के हिसाब से कोविड (Covid-19) नेगेटिव और पॉज़िटिव के आंकड़े रख रही है, लेकिन जिन आंकड़ों ने देश के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया और पहुंचा रहे है उनके आंकड़े कहाँ है?

खेर 2018 में जब जब कोविड (Covid-19) नहीं था तब शायद सरकार को ना पता हो कि आंकड़े कैसे इखट्टा करते है और कैसे जनता को परोसते है अब जबकि सरकारों ने आंकड़े जमा करने और परोसने में महारथ हासिल कर ली है तो जनता अवश्य उम्मीद कर रही होगी कि सरकारे वह आंकड़े भी जनता के सामने रखे जिनसे देश और जनता का भविष्य जुड़ा हुआ है।

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द हरिश्चंद्र स्टाफ
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