डॉक्टरों ने दो घंटे तक किया कार्य बहिष्कार, आज भी करेंगे हड़ताल

Doctor strike in jodhpur

जोधपुर। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार को दो घंटे तक कार्य का बहिष्कार किया। रेजिडेंट्स के कार्य बहिष्कार के कारण दो घंटों तक सभी प्रमुख अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्थाएं प्रभावित हुई। मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ा।

ये है प्रमुख मांगें
– पीने के पानी के लिए सभी हॉस्टल में प्रति 50 रेसिडेंट एक आरओ व वाटर कूलर लगाया जाए।
– तीन बोरवेल खुदाकर उनकी लाइन को इंटरकनेक्टेड किया जाए, जिससे पानी की निर्बाध आपूर्ति संभव हो सके।
– हॉस्टल्स में जितनी भी लिफ्ट हैं, उन्हें दुरुस्त किया जाए और उनकी वार्षिक मेंटेनेंस निश्चित की जाए। हर लिफ्ट पर एक लिफ्टमैन 24 घंटे के हिसाब से ड्यूटी पर रहे।
– हॉस्टल्स में प्रति सप्ताह कॉलेज पदाधिकारियों की ओर से निरीक्षण किया जाए, जिसमें एसोसिएशन सदस्य शामिल हों।
– हॉस्टल संख्या 4 के बाथरूम के टूटे गेट, पानी की टूटी पड़ी लाइन को ठीक करवाया जाए।
– कॉलेज कैंपस में कहीं भी समय पूर्व ताला नहीं लगाया जाए और लाइब्रेरी को 24&7 के हिसाब से खोला जाए।

डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेन्द्र फगेडिय़ा ने बताया कि रेजिडेंट्स को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व में समस्या समाधान के लिए एक कमेटी बनाकर सात दिवस के भीतर समाधान करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। रेजिडेंट्स को पीने के पानी तक के लिए तरसना पड़ रहा है। कोरोनाकाल में रेजिडेंट्स ने पूरी लगन व निष्ठा के साथ अपनी सेवाएं प्रदान की। अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन का दायित्व है कि वे उनकी समस्या का समाधान करे। विभिन्न मांगों को लेकर रेजिडेंट्स ने आज सुबह 9 से 11 बजे तक दो घंटे कार्य का बहिष्कार किया। वे कल भी इसी तरह दो घंटे तक कार्य का बहिष्कार करेंगे। यदि फिर भी उनकी मांगों पर कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। रेजिडेंट डॉक्टरों ने प्रिंसिपल डॉ. जीएल मीणा को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन भी सौंपा है। रेजिडेंट्स की कार्य बहिष्कार के दौरान एमडीएम, महात्मा गांधी व उम्मेद अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्थाएं प्रभावित रही। अधिकांश स्थान पर सबसे पहले मरीजों को रेजिडेंट्स ही संभालते है। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए आज दो घंटों तक इंतजार करना पड़ा।

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द हरिश्चंद्र स्टाफ
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