
जयपुर। गांधी परिवार के दामाद राबर्ट वाड्रा 26 फरवरी को दिनभर जयपुर में रहे। राबर्ट वाड्रा ने सुबह मोती डूंगरी स्थित गणेश मंदिर में दर्शन किए। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी वाड्रा के साथ मंदिर में थे। इस मौके पर मंदिर के महंत कैलाश नाथ शर्मा ने वाड्रा को दुपट्टा ओढ़ाकर प्रसाद दिया।
गणेश जी का आशीर्वाद लेने के बाद वाड्रा ने मीडिया के समक्ष मोदी सरकार पर हमला बोला। वाड्रा ने साफ कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार की नीतियों की वजह से आम आदमी मुश्किल में है। उसे यह समझ में नहीं आ रहा है कि 100 रुपए का एक लीटर पेट्रोल स्कूटर में डलवाऊं या फिर अपने बीमार माता पिता के लिए सौ रुपए की दवाई खरीदूं। यदि स्कूटर में पेट्रोल डलवाता है तो उसे माता पिता को कंधे पर बैठा कर अस्पताल ले जाना होगा। वाड्रा ने कहा कि हमारा परिवार आम लोगों की मुश्किलों को उजागर करता है, इसलिए परिवार के सदस्यों को राजनीतिक प्रताडऩा का सामना करना पड़ता है। लोगों की मुश्किलों को कम करने के लिए ही वे राजनीति में आएंगे। वैसे मैं समय-समय पर आवाज उठाता रहता हूं। वाड्रा ने माना कि यदि मैं लोकसभा का सदस्य होता तो संसद में ज्यादा प्रभावी तरीके से अपनी बात रख सकता था। अपने साले राहुल गांधी और पत्नी प्रियंका वाड्रा की काबिलियत पर राबर्ट वाड्रा ने कहा कि इन दोनों ने ही अपनी माता जी, दादी और नानी से राजनीति सीखी है और ये दोनों जनता के मुद्दों को उठा रहे हैं।
26 फरवरी को राबर्ट वाड्रा जिस तरह से मोदी सरकार पर हमलावर नजर आए उससे प्रतीत होता है कि सीएम अशोक गहलोत ने गांधी परिवार के पक्ष में एक और प्रभावी पहल की है। मौजूदा समय में गहलोत को ही गांधी परिवार का मुख्य सलाहकार माना जा रहा है। चाहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का मामला हो या फिर राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खडग़े को प्रति पक्ष का नेता बनाने का। सभी में गहलोत की राय को ही प्रमुखता दी गई है। 26 फरवरी को जयपुर में जिस तरह गणेश जी के दर्शन के बाद राबर्ट वाड्रा को मीडिया कर्मियों से मिलवाया गया, उसमें भी गहलोत की रणनीति रही।
