सुसंस्कृति परिहार : आज रोम में मोदी जी से किसी गुजराती भाई ने पूछा —-केम छे ? तो उन्होंने उत्तर दिया माजा में छे। आज ही मोदी जी की सरकार के गृहमंत्री अमित शाह ने लखनऊ के डिफेंस एक्सपो ग्राउंड में सभा को संबोधित करते हुए यूपी की कानून व्यवस्था की तारीफ की। शाह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब 16 साल की बच्ची भी गहने लादकर रात को 12 बजे सड़क पर निकल सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले जहां हर जिले में दबंग नज़र आ जाते थे वे अब वे दूरबीन से ढूंढने पर भी नहीं नज़र नहीं आते। दबंग विहीन उत्तर प्रदेश के सिवा और करता चाहिए। दबंग ही तो बलात्कार,हत्या, लूटपाट और राजनीति को गंदा किए थे। यानि अब उत्तर प्रदेश माजा में छे।
कमाल है प्रियंका जी का जादू चल गया वे दबंगों से पीड़ित परिवारों से क्या मिलीं अमित जी ने उत्तर प्रदेश से सारे दबंग ही गायब कर दिए। लड़की हूं-लड़ सकती हूं नारे ने तो भई करिश्मा ही कर दिया है। हाथरस, उन्नाव लखीमपुर खीरी और आगरा कांड के तमाम दोषी या तो जेल पहुंच चुके होंगे या योगी ने अपने विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उन्हें अपराध से मुक्त घोषित कर दिया होगा। बहरहाल अभी ये सिर्फ भाषण में है रिपोर्ट आयेगी तब समझी जाएगी। फिर भी अगर अमित शाह का यह शाही झूठ जनता को पसंद आ जाता है तब तो उनकी एकतरफा जीत हो सकती है। लेकिन जिस तरह महिलाओं के बीच लोकप्रिय हो रहीं हैं और अखिलेश भाजपा को उखाड़ने भाजपा को तोड़ने में लग गए हैं। उससे साफ ज़ाहिर हो रहा है कि यह भाषण भाजपा को हराने ही दिया गया है। विदित हो संघ और मोदी शाह में गहरी अनबन है और वे हर हाल में योगी को हटाने प्रतिबद्ध हैं।
अगर महिलाओं के ख़िलाफ़ अंजाम दिए गए सबसे जघन्य अपराधों जैसे बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, अग़वा किए जाने से लेकर पोक्सो आदि मामलों में अपराध के ग्राफ़ पर नज़र डालें तो एक दिलचस्प बात नज़र आती है.जहां एक ओर उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ किए गए कुल अपराधों की संख्या बढ़ती हुई नज़र आ रही थी. वहीं, जघन्य अपराधों के आंकड़े में मामूली ही सही, लेकिन गिरावट देखने को मिल रही है.उदाहरण के लिए, साल 2016 में उत्तर प्रदेश में गैंग-रेप के दर्ज किए गए मामलों की संख्या 682 थी जो कि 2020 तक घटकर 271 रह गयी, यानी इसमें लगभग 60 फ़ीसदी की कमी हुई.
एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, जोकि पूरे देश भर के हर राज्य में अपराधों पर पूरा लेखा-जोखा तैयार करता है, के मुताबिक साल 2020 तक उत्तर प्रदेश की स्थिति अपराध के मामले में बहुत बेहतर नहीं हुई है. अगर हम साल 2017 जब यूपी में समाजवादी पार्टी सरकार जाने के बाद बीजेपी की सरकार आई थी उन दोनों सरकारों के बीच के अपराध के ग्राफ की बात करें तो साल 2017 तक प्रदेश में अपराध की जो स्थिति थी उसमें कई मायनों में सुधार हुआ है तो कई लिहाज से स्थिति और बदतर भी हुई।
साल 2020 के एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक उत्तर प्रदेश में हर 2 घंटे में एक रेप का मामला रिपोर्ट किया जाता है. जबकि बच्चों के खिलाफ रेप का मामला हर 90 मिनट में रिपोर्ट हुआ है. एनसीआरबी के मुताबिक साल 2018 में उत्तर प्रदेश में रेप पर कुल 4322 मामले दर्ज हुए थे. इसका सीधा मतलब है कि हर रोज करीब 12 रेप के मामले हो रहे थे.
महिलाओं के खिलाफ 2018 में 59445 मामले दर्ज किए गए. जिसका अर्थ है कि हर रोज महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध के मामले 162 रिपोर्ट किए गए. जो कि साल 2017 के मुकाबले 7 परसेंट ज्यादा है. साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 56011 मामले दर्ज किए गए थे. यानी उस वक्त यह आंकड़ा हर दिन के हिसाब से 153 केस था. साल 2018 में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के कुल 144 मामले दर्ज किए गए. जबकि साल 2017 में यह आंकड़ा 139 था.
साल 2017 अप्रैल में बीजेपी की सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत से ऐसे कार्यक्रम शुरू किए जिससे कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़े कम हो सकें. एंटी रोमियो स्क्वॉड, मिशन शक्ति जैसे कार्यक्रम इसीलिये शुरू किए गए। लेकिन वे सब विवादों में उलझ कर रह गए ।
मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे बड़े अपराधियों ने अपना तबादला दूसरे राज्यों की जेलों में करा लिया. लेकिन अगर आंकड़ों की बात करें तो NCRB के डेटा के मुताबिक यूपी में साल 2016 में जहां कुल अपराध के 4,94,025 मामले दर्ज किए गए वहीं साल 2018 में 5,85,157 मामले दर्ज किए गए यानि की अपराधों में करीब 11 प्रतिशत का उछाल दर्ज हुआ। अतीकक्ष अहमद से शुरू हुआ ये सिलसिला हरिशंकर तिवारी, राजा भैया अमरमणि त्रिपाठी से आज अजय मिश्रा टेनी तक साफ दिखाई दे रहा है।
यूपी सरकार एनसीआरबी के इन आंकड़ों को नकारती है, सरकार के मुताबिक यूपी में अपराध पर नियंत्रण हुआ है और अगर आंकड़ों की बात की जाए तो ये प्रदेश की जनसंख्या के लिहाज से पूरे देश की तुलना में कम है। यूपी सरकार हाल के दिनों में अपराध पर नियंत्रण के लिए ताबड़तोड़ एनकाउंटर और रासुका जैसे कड़े कानून का इस्तेमाल अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए कर रही है। सरकार अपनी इसी कोशिश के हवाले से प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण का दावा भी कर रही है।
कुल मिलाकर अमित शाह के दोनों बयान सच से कोसों दूर हैं। कौन माजा में छे । जनता भली-भांति जान रही है। बदलाव का अलाव जल चुका है। छल बल की राजनीति से लोग मुक्त होने बेताब है।