भारी बारिश के बाद बाढ़ से बिहार के कई जिलों में जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया | बाढ़ के बाद उपजे हालात ने आम लोगों की मुस्किले काफी बढ़ा दी है | बाढ़ से सूबे के दर्जन भर जिले पानी-पानी हो गया है, खेतों में लगी फसल खराब हो चुकी है, घर में रखें अनाज पानी में भिंग के बर्बाद हो चुके है, कई घर पानी के तेज धार में बह गए और जो बच गए अब वहां बाढ़ के पानी ने अपना आशियाना बना लिया है, जिससे वहां रहने वाले गरीब लाचार असहाय परिवारों के सामने अब भूख प्यास के साथ साथ खुले आसमान के नीचे रहने की समस्या खड़ी हो गई है |
मुजफ्फरपुर जिले के कांटी और आहियापुर के गांवों में बूढ़ी गंडक नदी का पानी घुसने के बाद वहां के हालात काफी बिगड़ गए हैं |घरों में पानी घुसने के बाद वहां रहने वाले सैकड़ों परिवारों ने मुजफ्फरपुर – सीतामढ़ी एनएच – 77 के डिवाइडर पर सड़क के बीचों बीच अपना अस्थाई डेरा डाल दिया है | बाढ़ में सब कुछ तबाह होने के बाद अब उनके सामने रहने खाने और पीने के पानी तक के लाले पड़ चुके हैं | सड़क के बीचों बीच बांस बल्ले से खड़ी की गई टेंट में बाढ़ से विस्थापित सैकड़ों परिवार अपना गुजारा करने को विवश हैं | सड़क पर आने जाने वाले तेज रफ्तार वाहन से किसी भी समय कोई अप्रिय घटना से इनकार नहीं किया जा सकता | विस्थापित परिवारों के द्वारा अपने बच्चो को लेकर काफी एहतियात बरतने पड़ रहें हैं, कि कहीं किसी वाहन से कोई अनहोनी ना घट जाए | लाख मुश्किलात सामने होने के वावजूद बाढ़ का पानी उतरने तक अब इसी एनएच -77 का डिवाइडर इन बदनसीबों का प्रेजेंट और परमानेंट एड्रेस है | इनके गांव और घर जलमग्न हो चके हैं, जहां आने जाने का अब एक ही साधन है वो है नाव |
इंसान तो इंसान पालतू जानवरों को भी इस मुश्किल घड़ी में भूखे पेट रहने को मजबूर होना पर रहा है | सभी खेतों में पानी भर जाने के बाद मवेशियों को ना तो खुटा में बंध कर चारा मिल रहा है ना ही वो खेत में जाकर घास चर के अपनी भूख मिटा पा रहे हैं |
बिहार के मुजफ्फपुर जिले के कांटी और अहियारपुर के गांवाें में बूढ़ी गंडक ने मचाई तबाही, घरों में घुसा पानी जलमग्न हुए गांव | विस्थापितों ने एनएच-77 पर डाला डेरा | प्रभावितों के सामने खाने पीने और रहने का संकट || pic.twitter.com/uPiZqtKCBs
— केशव झा (@KeshavJhaPress) July 8, 2021
विस्थापित परिवार के सदस्यों ने स्थानीय प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा, उन्हें किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं मिला है, ना खाने के लिए अनाज है और ना ही पीने के लिए पानी, बारिश और तेज धूप से बचने के लिए एक अदद प्लास्टिक भी उनको उपलब्ध नहीं करवाया गया | हम और हमारे बच्चे भूखे प्यासे खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं, इस सड़क से होकर शासन प्रशासन के अधिकारी अपनी गाड़ियों में बैठकर हमारी बदनसीबी को निहारते निकल जाते हैं, लेकिन किसी ने भी हमारी हालातों पर तरस खाकर मदद करना तो दूर, हमारा हाल चाल जानना भी मुनासिब नहीं समझा | कल सीएम के हवाई सर्वे की जानकारी मिली तो उम्मीद बंधी की अब मदद आएगा, लेकिन उसके बाद भी निराशा ही हाथ लगी , हालातों से समझौता कर हम लोग भूखे पेट ही सही लेकिन सांस ले रहे हैं |
यहां बताना जरूरी होगा कि कल बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ ग्रस्त इन इलाकों का हवाई सर्वे कर अधिकारियों को बाढ़ पीड़ितो को हरसंभव मदद पहुंचाने का निर्देश दिया था, वावजूद इसके अब तक इन विस्थापित परिवारों को मदद ना मिलना कहीं ना कहीं सीएम द्वारा दिए गए निर्देशों को अधिकारियों के द्वारा हलके में लेना कहा जा सकता है ||
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