रोटी, कपड़ा और मकान यह तीन ऐसी जरूरते है जिनके बिना सुखी जीवन की कपल्ना नहीं की जा सकती पर गनीमत है कि मकान की तरह रोटी कपड़े के लिए दुकानदार काला धन नहीं मांगते वरना दुनिया में भारत की रेंकिंग क्या होती यह बताने की जरूरत नहीं है। दिनांक 30 जनवरी 2023 को रियल स्टेट कारोबार और काले धन की लेन देन पर एक विशेष खबर प्रकाशित की गई थी ( खबर का लिंक ) अब तक उक्त खबर पर कोई संज्ञान लिया गया या नहीं यह तो नहीं पता पर अब उसी खबर से जुड़ी काले धन कि एक और कहानी देखिए। प्रोजेक्ट का नाम है INFINITY INDUSTRIAL PARK, प्रमोटर है PRINCE INFRAVENTURES LLP, जिसका LLP Identification Number है AAL-1575 तथा उक्त कंपनी में कुल 10 निदेशक है।
- SHEFALI KETAN GALA
- CHINTAN JAYESH SHAH
- MANTHAN MAHESH SHAH
- ARVIND SHAMJI CHHEDA
- MANAN JAYESH SHAH
- MAHENDRABHAI DAMJIBHAI CHHEDA
- MANISH MULCHAND CHHEDA
- TARUN KUMAR
- BHAVIN MAHESH SHAH
- BHADRESH MANSUKHLAL DODHIA
इन दस निदेशकों वाली कंपनी PRINCE INFRAVENTURES LLP के प्रोजेक्ट INFINITY INDUSTRIAL PARK प्रोजेक्ट का लेंड एरिया है 396079 स्क्वायर फीट, प्रोजेक्ट में कुल यूनिट है 219 और अब खेल देखिए। बिल्डर उक्त प्रोजेक्ट में 13500 रुपये प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से प्रॉपर्टी बेच रहा है जबकि प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन मात्र 4500 रुपये प्रति स्क्वायर फीट करने को कह रहा है यानि सीधे सीधे 9000 रुपये प्रति स्क्वायर फीट ब्लेक मनी लेकर, 9000 हजार रुपये प्रति स्क्वायर फीट पर 6 फीसदी स्टाम्प और 12 फीसदी जीएसटी चोरी के साथ साथ आयकर को भी करोड़ो का चुना लगा रहा है। कुल 219 यूनिट मे से बिल्डर ने एक यूनिट जिसका क्षेत्रफल G+1 मिलाकर 2122 स्क्वायर फीट है उसका रेट 29524200 रुपये बताया तथा रजिस्ट्रेशन मात्र 9549000 रुपये होगा यानि 67 फ़ीसदी से अधिक काला धन।
बिल्डर द्वारा बताई गई कीमत के अनुसार एक यूनिट जिस पर 6 फ़ीसदी स्टेम 1771452 रुपये का तथा 12 फ़ीसदी जीएसटी 3542904 रुपये होता है उसे बिल्डर की तिकड़म ने 6 फ़ीसदी स्टाम्प 572940 रुपये तथा 12 फ़ीसदी जीएसटी 1145880 रुपये कर दिया, यानि 6 फ़ीसदी स्टाम्प और 12 फ़ीसदी जीएसटी मिलाकर 3595536 की टैक्स चोरी वो भी सिर्फ एक यूनिट में। अब यदि एक यूनिट में हुई स्टाम्प और जीएसटी चोरी को 219 यूनिट से गुणा करें तो रकम आती है 787422384 रुपये और चौकाने वाली बात तो यह है कि यह पूरा खेल खुलेआम खेला जा रहा है पर रोकने वाला कोई नहीं। वैसे उक्त प्रोजेक्ट की जमीन खरीद से संबन्धित दस्तावेज़ देखकर लगता है घोटाला काफी बड़ा है दस्तावेज़ के अनुसार उक्त जमीन 12 Otc 2018 को 29 करोड़ रुपये में खरीदी गई, इस हिसाब से प्रति स्क्वायर फिट जमीन की कीमत हुई 732 रुपये स्क्वायर फीट। अब बिल्डर कितने में बेच रहा है एक बार फिर से पढ़ लीजिए और हिसाब लगा लीजिए की जमीन की कीमत से कितने गुना टैक्स चोरी हो रही है।
अब उक्त पूरे प्रोजेक्ट जिसमे 219 यूनिट है उसकी कुल कीमत क्या होती है तथा पूरे प्रोजेक्ट में स्टाम्प, जीएसटी के साथ साथ आयकर विभाग को कितने करोड़ का चुना लगाया जा रहा है इसका सटीक हिसाब तो आयकर विभाग के अधिकारी ही लगा सकते है बशर्ते उनका हिस्सा पहले से तय न हो। ऐसा इस लिए क्यों कि वलसाड जिले में बिल्डरों द्वारा की जा रही स्टाम्प, जीएसटी और आयकर चोरी पर न तो यह मामला पहला है न ही खुलासा। इससे पहले भी कई खुलासे हो चुके है पर आम आदमी पढ़कर भूल जाने का आदि है या आदि बनाया जा रहा है। टीवी मीडिया से लेकर स्थानीय मीडिया तक की प्राथमिकता जनता की बजाए नेता हो चुके है जबकि आम आदमी आज भी रोटी, कपड़ा, मकान की जुगत में लगा है। करोड़ों लोगो के पास अपना घर तक नहीं है फिर भी कहने को भारत जबर्दस्त तरक्की कर रहा है आगे बढ़ रहा है। खैर मामले में थोड़ा और आगे चलते है। पड़ताल करने पर पता लगा की प्रोजेक्ट INFINITY INDUSTRIAL PARK, की कंपनी जिसका नाम PRINCE INFRAVENTURES LLP है तथा उक्त कंपनी में ऊपर जिन 10 निदेशकों की सूची है। वह 10 निदेशक नीचे दी गई 20 कंपनियों में भी निदेशक है।
- CLEVERMART PRIVATE LIMITED
- SIMANDHAR TECHNOLOGIES PRIVATE LIMITED
- PRINCE INFRAVENTURES LLP
- SUNDER AVENUE BUILDCON PRIVATE LIMITED
- FIT BRIGADE LLP
- RASHMI SHELTER PRIVATE LIMITED
- GROWTH AVENUES ASSET ADVISORS PRIVATE LIMITED
- NEHAL IMPORTS PVT LTD
- ARENA REALTY PRIVATE LIMITED
- AVENEW INFRAVENTURES LLP
- SUNSOLIS INFRAVENTURES LLP
- PRINCE MULTIPLAST PRIVATE LIMITED
- PRINCE CONTAINERS PRIVATE LIMITED
- DODHIA CHEM-TECH PRIVATE LIMITED
- THE SYNTHETIC AND RAYON TEXTILES EXPORTPROMOTION COUNCIL
- DODHIA EXIM LLP
- DODHIA VENTURES PRIVATE LIMITED
- DODHIA SYNTHETICS LIMITED
- HUM ESTATE FACILITATORS LLP
- DODHIA CHEM-TEX PRIVATE LIMITED
अब जरा सोचिए कि जब एक कंपनी के एक प्रोजेक्ट में साफ साफ इतनी टैक्स चोरी दिखाई दे रही है तो उक्त 20 कंपनियों में क्या-क्या हो रहा होगा। समय रहते आयकर विभाग के वरीय अधिकारियों को उक्त मामले में संज्ञान लेते हुए बारीकी से जांच करनी चाहिए साथ ही साथ आयकर विभाग के उन स्थानीय अधिकारियों पर पैनी नजर रखनी चाहिए जिनकी छत्रछाया में यह सब खुलेआम चल रहा है।