त्रिपुरा में दो महिला पत्रकारों पर एफआइआर दर्ज, असम पुलिस ने हिरासत में लिया

त्रिपुरा में दो महिला पत्रकारों पर एफआइआर दर्ज, असम पुलिस ने हिरासत में लिया

‘त्रिपुरा जल रहा है’ ये चार शब्द लिखने भर से एक पत्रकार पर यूएपीए जैसा काला कानून लादने के बाद अब त्रिपुरा में सशरीर रिपोर्टिंग करने गईं दो महिला पत्रकारों को पुलिस ने रिपोर्ट करने से रोका तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। रात में उनके होटल में पुलिस तैनात कर दी गई। सुबह उन्हें हिरासत में ले लिया गया। उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर दी गई। यह सब भी पिछले सात सालों से देश में चल रही तानाशाही की ही एक कड़ी है।

त्रिपुरा में हालिया सांप्रदायिक घटनाओं पर रिपोर्ट लिखने के लिए त्रिपुरा पहुंची दो महिला पत्रकारों को असम पुलिस ने रविवार को असम-त्रिपुरा सीमा के करीब सिलचर हवाई अड्डे के रास्ते में करीमगंज में हिरासत में ले लिया। दोनों राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है।

 

‘एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क’ की पत्रकार समृद्धि सकुनिया और स्वर्ण झा को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक समर्थक की शिकायत के आधार पर रविवार को त्रिपुरा के फातिक्रोय थाने में दर्ज एक प्राथमिकी में नामजद किया गया। आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपनी खबरों के जरिए त्रिपुरा की छवि खराब की है। 

एडिटर्स गिल्ड, आईडब्ल्यूपीसी ने 2 महिला पत्रकारों को हिरासत में लेने की निंदा की
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) और भारतीय महिला प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) ने रविवार को एक प्राथमिकी के आधार पर दो महिला पत्रकारों को असम पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने की निंदा की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने पत्रकार की छवि खराब की है। 

दोनों राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है कि हाल ही में सांप्रदायिक घटनाओं पर लिखने के लिए रविवार को त्रिपुरा गए एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क के पत्रकार समृद्धि सकुनिया और स्वर्ण झा को असम पुलिस ने सीमा के पास करीमगंज के नीलम बाजार में हिरासत में लिया था। 

ईजीआई ने एक बयान में कहा कि एडिटर गिल्ड इस कार्रवाई की निंदा करते हैं और उनकी तत्काल रिहाई और स्वतंत्र यात्रा करने की बहाली की मांग करते हैं। वहीं आईडब्ल्यूपीसी ने कहा कि हम समझते हैं कि दो महिला पत्रकारों, सकुनिया और स्वर्ण झा को पूछताछ के लिए त्रिपुरा वापस ले जाया जाना है। हम मांग करते हैं कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए और उन्हें अपना काम करने दिया जाए।

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द हरिश्चंद्र स्टाफ
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