जोधपुर। संभाग के जैसलमेर जिले में गोवंश के नाम पर कई गौशालाओं के फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हुआ है। जिसमें सालाना करोड़ों रुपए का अनुदान राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं के जरिए से उठाया गया, लेकिन धरातल पर गोवंश के लिए कोई भी व्यवस्था दिखाई नहीं दे दी। ऐसे में गोवंश संरक्षण के नाम पर संचालित गौशालाओं में बड़ा घपला सामने आया है।
गौ सेवा करने वालों की तो आपने कई कहानी सुनी होंगी। कई लोगों ने अपना पूरा जीवन गौ सेवा में लगा दिया, लेकिन जैसलमेर में गौ माता के नाम पर कुछ लोगों ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया है। मामला सामने आने के बाद पता कि कुछ गौशाला चलाने के नाम कोरोड़ो रुपये का अनुदान ले रहे हैं। दरअसल जैसलमेर में गौशालाओं के नाम फर्जीवाड़े का बड़ा खेल उजागर है। पशुपालन विभाग की टीम के निरीक्षण में गौशालाओं के संचालकों की पोल खुल गई। हाल ही में 25 गौशालाओं का भौतिक सत्यापन किया गया, इस दौरान 12 गौशालाओं में एक भी गाय नहीं मिली। तो 9 गौशालाओं में पिछले साल की तुलना में इस साल गोवंश की संख्या कम पाई गई। बावजूद इसके गौशालाओं के संचालक हर साल अनुदान राशि उठा रहे थे। इनमें 6 गौशालाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने पिछले साल करीब 62 लाख रुपये का भुगतान भी उठाया। सरकार हर साल गौशाला के नाम पर करोड़ों रुपये का भुगतान करती है जिसका गलत फायदा उठाकर लोग सरकार को ही गौशाला के नाम पर चूना लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि जैसलमेर जिले में गोवंश संरक्षण के लिए सैंकड़ों गौशालाओं का संचालन हो रहा है। संचालकों ने कागजों में गायों को दर्शाते हुए लाखों रुपए का फर्जी तरीके से अनुदान उठा भी लिया। ऐसे में हर साल विभाग की टीमों से जो भौतिक सत्यापन करवाया जाता है, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस वर्ष अनुदान के लिए जैसलमेर की कुल 143 गौशालाओं में से 76 के आवेदन प्राप्त हुए थे। जिसके बाद पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक के निर्देशों के बाद आकस्मिक भौतिक सत्यापन किया गया। जैसलमेर ब्लॉक की 25 गौशालाओं का निरीक्षण किया गया, तो गौशालाओं की हकीकत सामने आई। कि गौवंश के गौशाला संचालक फर्जी तरीके से कोरोड़ों रुपये का अनुदान उठा रहे हैं। ऐसे में विभाग पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।