बिहार : हो जाता स्थाई पुल का निर्माण तो बच जाती तीन नौनिहालों की जान !

मधुबनी : बिहार में भारी बारिश के बाद बाढ़ से कई जिले प्रभावित है । बाढ़ ने आम जन जीवन को खाशा प्रभावित किया है । सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अधिकारियों का हवाई दौरा जारी है । बाढ़ पीड़ितो को मदद पहुंचाने को लेकर भी बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं । बिहार में हर साल बाढ़ आती है, जो अपने साथ तबाही लाती है, और कभी ना भूलने वाली जख्म दे जाती है । बाढ़ के स्थाई समाधान को लेकर बड़े बड़े और कभी ना पूरे होने वाले दावे भी किए जाते हैं, लेकिन फिर भी बाढ़ आती है और आती ही है । हर साल लाखों परिवार बेघर होकर, अपने को खोकर फिर से जिंदगी की तलाश में आगे बढ़ जाते हैं, इस वादे को पीछे छोड़कर – “बाढ़ के स्थाई समाधान वाला वादा” , क्योंकि उनको भी पता है,  “कसमें वादे प्यार वफा सब, बाते हैं, बातों का क्या” ? उनका भूलना प्राकृतिक कह सकते हैं , क्योंकि हर साल बाढ़ में बरबाद होने के बाद , खुद को आबाद करने में वो इतने व्यस्त हो जाते हैं, कि उनके पास वादों को याद रखने का वक्त कहां होता । उजड़े घर को फिर से बसाना, परिवार को संभालना और उनके दो वक़्त की रोटी के लिए बिहार से बाहर किसी मेट्रो सिटी में रोजगार की खोज में निकल जाना । पीछे छूट जाते हैं छोटे बच्चे, बूढ़े मां बाप और परिवार, जिनका बाढ़ की विभीषिका के बीच स्वयं ईश्वर भी खोज खबर मुश्किल से ले पाते हैं । बाढ़ की उफनती लहरों के बीच घर, मवेशी, राशन सहित घर में रखें भगवान को भी इंसान को ही बचाना व संभालना होता है । इस सब के बीच आवागमन भी जरूरी होता है, और आवागमन तो सड़क मार्ग से ही संभव है, हवाई दौरा तो है नहीं कि हेलीकॉप्टर या चौपर में बैठो और निहार आओ समूचे बाढ़ ग्रस्त इलाकों को, और दे दो निर्देश अधिकारियों को – उचित मुआवजा और यथासंभव मदद उपलब्ध कराने का । अब अधिकारी भी दिए गए निर्देशों को पूरा करने निकल जाते हैं हवाई दौरे पर , हो गई मदद, मिल गया उचित मुआवजा ।

बात हो रही थी आवागमन की, इसी आवागमन के क्रम में आज तीन नौनिहालों की जान चली गई, वो तो आवागमन कर रहे थे उनको क्या पता, जहां से वो आवागमन कर रहें हैं, वहां स्थाई पुल होनी चाहिए थी, लेकिन बाढ़ के स्थाई निदान के बीच वहां सालों से स्थाई चचरी पुल ही आवागमन का स्थाई निदान है, अपने मां बाप के कलेजे के टुकड़े तीनो बच्चे चचरी पुल से फिसलकर गहरे पानी में गिरे जिनसे उनकी असमय मौत हो गई । स्थानीय ग्रामीणों की कोशिशें भी नाकाम साबित हुई, वो पानी में गिरे किसी भी बच्चे को बचा नहीं पाए । घटना जी जानकारी होते ही संबंधित परिवारों में कोहराम मच गया, परिजनों के चीत्कार और कुंद्रण से समूचे गांव में मातम पसर गया । मातमी घटना के बाद दुख से आक्रोशित ग्रामीणों ने सड़क को बंद कर प्रदर्शन करने लगे, जिससे आवागमन बाधित हुआ और दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी कतार लग गयी । मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों के द्वारा आक्रोशित ग्रामीणों को समझाने का प्रयास भी विफल साबित हुआ ।

जिले के रहिका थाना के डुमरी गांव के लोग जिस जगह घटना घटी उस जगह स्थाई पुल के निर्माण के लिए स्थानीय जनप्रिनिधियों सहित प्रशासन के वरीय पदाधिकारियों तक कई बार गुहार लगा चुके है, गुहार अगर स्वीकार होता तो चचरी पुल अब तक क्यों होता ?? और अगर स्थाई पुल होता तो निस्तेज पड़े ये तीन नौनिहाल भी अपने अपने घर आंगन में खेल रहा होता ।

बिहार : हो जाता स्थाई पुल का निर्माण तो बच जाती तीन नौनिहालों की जान !

इस जगह अब स्थाई पुल का निर्माण शीघ्र ही हो जाएगा, आज डिजिटल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया तो कल के अखबारों की सुर्खियों में इन तीन नौनिहालों के डूबने की मातमी घटना इस जगह स्थाई पुल का निर्माण संभव कर देगा, और उस स्थाई पुल से गुजरते हुए वो बदनसीब मां बाप जिन्होंने अपने कलेजे के टुकड़ों को खो दिया , ना चाहते हुए भी इस तारीख और दिन को स्मरण करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे, तब तक आंसू भले ही सूख कर जम गए हो, खामोशी से चीत्कार करता हृदय का पीड़ा हर बार कहेगी, बार बार कहेगी “अगर इस चाचरी पुल की जगह पहले ही स्थाई पुल होता तो उनके कलेजे के टुकड़े भी उनके आसपास होता” ।।

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Keshav Jha
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