जोधपुर। अपने ही आश्रम की नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीडऩ मामले में जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आसाराम की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। आसाराम की तरफ से कहा गया कि आज उनके वरिष्ठ अधिवक्ता दिल्ली से पहुंच नहीं पाए है। ऐसे में अगली तिथि तय की जाए। इस पर आज बहस नहीं हो पाई और खंडपीठ ने अगली सुनवाई तिथि आठ मार्च तय कर दी।
दरअसल आसाराम ने सजा को चुनौती देने वाली याचिका की जल्द सुनवाई करने की एक याचिका लगाई गई थी। इसके बाद उनकी याचिका को पहले सुना जा रहा है। इसके बावजूद आसाराम की तरफ से बहस को शुरू नहीं किया जा रहा है। प्रत्येक पेशी पर उनकी तरफ से तारीख बढ़वाई जा रही है। मंगलवार को हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाह की खंडपीठ में इस मामले में आसाराम, राज्य सरकार व पीडि़ता की तरफ से बहस होनी थी। बहस के आधार पर खंडपीठ अपना फैसला सुनाएगी। आसाराम ने सजा स्थगन की भी एक याचिका दायर कर रखी है, लेकिन हाईकोर्ट में सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पहले हो रही है।
बता दे कि वर्ष 2013 में आसाराम के गुरुकुल में पढ़ाई करने वाली एक नाबालिग छात्रा ने जोधपुर के पास मणाई गांव के एक आश्रम में आसाराम पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इसके बाद 31 अगस्त 2013 को आसाराम को मध्यप्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार किया गया। आसाराम पर पोक्सो एक्ट, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, दुष्कर्म, आपराधिक षडयंत्र और दूसरे कई मामलों के तहत केस दर्ज हुए। उसके बाद से आसाराम लगातार जेल में बंद है। आसाराम की तरफ से देश के कई नामी वकील उन्हें जमानत दिलाने के लोअर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक एक दर्जन से अधिक प्रयास कर चुके है। सभी कोर्ट से आसाराम को निराशा ही हाथ लगी। अप्रेल 2018 में जोधपुर स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।