वसीम अकरम त्यागी : त्रिपुरा में मुसलमानो के ख़िलाफ होने वाली हिंसा के ख़िलाफ राहुल गांधी के ट्वीट करने से क्या होगा? ज़ाहिर है इससे ज्यादा कुछ नहीं होगा। जितना नुक़सान होना था, वह हो चुका है, जितना होना बाक़ी है वह भी होकर रहेगा। पुलिस प्रशासन को दंगाईयों के ख़िलाफ जैसी ‘लीपा-पोती’ करनी है, वह भी होगी। सरकार को दंगाईयों को जैसा संरक्षण देना है, वह भी मिलेगा। हिंसा के मामलों में ‘बैलेंस’ बनाने के लिये बेगुनाह मुसलमानों पर उपद्रवी बताकर मुकदमा लादे जाएंगे। सवाल फिर वही है कि राहुल के इस हिंसा के विरोध में राहुल के बोलने से क्या होगा? इसका जवाब राहत इंदौरी के इस शेर में तलाशिए-
फिर एक बच्चे ने लाशों के ढेर पर चढ़कर,ये कह दिया के अभी खानदान बाक़ी है। ये कह दिया के अभी खानदान बाक़ी है।
हिंदुत्व की राजनीतिक के उभार ने ग़ैर-भाजपाई दलों को यह ‘संदेश’ अगर तुमने मुस्लिम का नाम भी लिया तो ‘हिंदू’ नाराज़ हो जाएगा। लगभग तमाम ‘सेकुलर’ राजनीतिक दल मुसलमानों का नाम तक लेने से डर रहे हैं। त्रिपुरा में सप्ताह भर में कई बार मुसलमानों के ख़िलाफ हिंसा हुई है, इस हिंसा में मुसलमानों के मकान, दुकान के अलावा मस्जिदों को निशाना बनाया गया है। लेकिन एक सप्ताह में कई बार हुई इस हिंसा के ख़िलाफ किसी भी विपक्षी दल के नेता ने बोलना जरूरी नहीं समझा।
त्रिपुरा में हमारे मुसलमान भाइयों पर क्रूरता हो रही है। हिंदू के नाम पर नफ़रत व हिंसा करने वाले हिंदू नहीं, ढोंगी हैं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 28, 2021
सरकार कब तक अंधी-बहरी होने का नाटक करती रहेगी? #TripuraRiots
जैसे ही राहुल गांधी ने इस हिंसा के ख़िलाफ ट्वीट किया तो उसके दूसरे दलों ने भी त्रिपुरा की हिंसा की निंदा करना शुरू कर दिया। राहुल गांधी ने बिना किसी लाग लपेट के अपने ट्वीट में ‘मुसलमान भाइयों’ लिखा। यह उस वक्त में हुआ जब मुसलमानो के ‘मसीहा’ होने का दावा करने वाली पार्टियों के नेता भी मुसलमान शब्द लिखने से परहेज़ करते हुए “अल्पसंख्यक” लिखकर ही काम चला रहे हों, तब राहुल गांधी का स्पष्ट तौर से उसी संप्रदाय का नाम लेना, जिसके साथ हुई हिंसा हुई, वह उनकी राजनीतिक विचारधारा को बताता है। यह बताता है कि राहुल न सिर्फ अपनी विचारधारा पर अडिग हैं, बल्कि वे उससे किसी भी तरह का समझौता करने के लिये तैयार नहीं हैं। राहुल की यह बेबाकी उस संप्रदाय को उम्मीद दिला रही है, जिसे फिलहाल राजनीतिक रूप से अछूत बना दिया गया है, यह बेबाकी उस संप्रदाय मानो कह रही हो कि कोई है जो आपके लिये बोल रहा है, और विपरीत परिस्थितियों में भी आपके साथ खड़ा है।