लक्ष्मी प्रताप सिंह : BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2 मई 2021 तक अमेरिका इंग्लैंड जैसे देशो से 25 फ्लाइट भरके करीब 300 टन मेडिकल सप्लाई दिल्ली एयरपोर्ट पे आ गयी थी वो बात अलग है की ये इक्विपमेंट एयरपोर्ट पर ही हेंगर में पढ़े रहे और हॉस्पिटल इक्विमेंट मांगते रहे। एक हफ्ते बाद अगले सोमवार को इनका डिस्ट्रीब्यूशन शुरू हुआ जब देश में कॉरोना मरीजों की संख्या आसमान छू रही थी। केरला की हालत ज्यादा ख़राब थी और उन्हें कोई विदेश से आयी ऑक्सीजन न मिलने पे राज्य सचिव डॉ राजन खोब्रागडे ने प्रधानमंत्रो ऑफिस से मदद मांगी, जब कुछ नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने अलग से प्रधानमंत्री मोदी को काल किया।
- यूनाइटेड किंगडम ने भारत को 1000 वेंटिलेटर्स दिए।
- जून में 27,000 ऑक्सीजन सिलिंडर्स और करीब 23,000 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स विदेशों से आये।
- 53 ऑक्सीजन प्लांट्स कनाडा, UAE और क़तर से आये जबकि ऑक्सीजन सिलिंडर्स इंडोनेशिया से आये।
- 27 अप्रैल 2021 से जून तक ही 331 करोड़ मेडिकल इक्विपमेंट व कोविड उपचार सामग्री विदेशों से भारत सरकार आ चुकी थी।
- हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार जिन में करीब 43 देशों से 100 कंसाइनमेंट भारत पहुंचे हैं जिनमें कॉन्संट्रेटर, ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाइयां, रेपिड किट्स इत्यादि शामिल थे।
- 7 मई को स्विटजरलैण्ड से कॉन्संट्रेटर इत्यादि का पहला व 12 मई को स्विटजरलैंड व न्यूजीलैंड दोनों से भारत में सामग्री पहुंची।
- 4 मई की रिपोर्ट के अनुसार आयरलैंड ने 2 ऑक्सीजन गेनेटर्स, 548 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, 365 वेंटिलेटर्स भेजे, इससे पहले भी एक बड़ा शिपमेंट आ चुका था।
हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डा. हर्ष महाजन ने बताया की विदेशों से आयी मदद कहा और कैसे डिस्ट्रीब्यूट हो रही थी इसकी कही कोई जानकारी नहीं थी। बड़े हॉस्पिटल्स भी चारो तरफ कोशिश कर रहे थे लेकिन कही से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी। ऑक्सफेम इंडिया के डायरेक्टर पंकज आनंद के अनुसार, ” किसी के पास कोई जानकरी नहीं थी, न ही किसी वेबसाइट पर कोई ट्रेकर था इक्विपमेंट या ऑक्सीजन का”
जब अमेरिकी पत्रकार ने अपनी सरकार से सवाल किया की वहां की जनता के पैसे से जो सामग्री भारत भेजी जा रही है वो आम जनता के पास तो पहुचंह नहीं रही है फिर उसका हिसाब और ट्रेकिंग कैसे रखी जा रही है तब ये बात खुली की भारत की केंद्र सरकार अपने हिसाब से इसे मैनेज कर रही है और भारत में राज्य सरकारों को कोरोना से निपटने के लिए आगे कर दिया था।
“A consignment of the Oxygen generators & 1,000 ventilators arrives from the United Kingdom. Each generator has the capacity to produce 500 litres of Oxygen per minute, enough to treat 50 people at a time”: MEA Spokesperson pic.twitter.com/2qcYXMDzGZ
— ANI (@ANI) May 9, 2021
A C17 Globemaster is on its way to Mumbai with 35 tonnes of medical equipment.
Visuals of loading at Frankfurt. pic.twitter.com/Nt5RAZbrqw
— ANI (@ANI) May 9, 2021
दिल्ली: यूनाइटेड किंगडम से 3 ऑक्सीजन जनरेटर और 1,000 वेंटिलेटर दिल्ली पहुंचे। हर ऑक्सीजन जनरेटर की एक मिनट में 500 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन करने की क्षमता है। #COVID19 pic.twitter.com/2vpqKLKLZn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 9, 2021
We received at least 300 tonnes of international aid. @PMOIndia isn’t telling us what has happened to it. How much life-saving material is stuck in storage due to bureaucratic drama?
This is not incompetence, it is the complete lack of compassion for fellow citizens pic.twitter.com/nRhbW2PGIo
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 4, 2021
कल अमेरिका ने फिर से 41 मिलियन डॉलर की मदद की घोषणा की है, अरबों की विदेशी मदद केंद्र सरकार के पास पहुँच चुकी है, लाखों करोड़ का चंदा PMCareFund में एकत्रित हुआ था, हज़ारों करोड़ भारत की ही कंपनियों ने अनुदान दिया था फिर भी भारत सरकार कोरोना में मरने वालों को न तो मुआवजा दे रही है, न ही कोई जिम्मेदारी ले रही है। ऊपर से डीजल पेट्रोल पर कीमत से ज्यादा टैक्स वसूल रही है और कहती है की इसका पैसा कोरोना में लग रहा है। जनता क्या इतनी बेवकूफ है जो समझ नहीं आ रहा ?
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)