भारत के लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार छत्तीसगढ़ में एक लोकतांत्रिक ढंग से चल रहे आंदोलन को प्रतिबंधित किया गया है जो कि अपने संवैधानिक अधिकारों की मांग को लेकर किया जा रहा है ।
बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदर राज ने जो असंवैधानिक, अन्याय पूर्ण निर्देश जारी किया है कि सिलगेर आंदोलन का कोई समर्थन ना करें और समर्थन करने वालों पर कार्यवाही की जाएगी यह पूरी तरह से पूरा देश भर में विरोध करने योग्य है । जो भी लोकतंत्र पसंद व्यक्ति हैं उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार के इस निर्णय का विरोध करना चाहिए, इतना ज्यादा तानाशाही तो आज तक केंद्र की मोदी सरकार ने भी नहीं किया है ।
छत्तीसगढ़ सरकार के इस तानाशाही पूर्ण कदम के पहले उनके मीडिया सलाहकार ने बस्तर में दौरा कर मीडिया को मैनेज करने की कोशिश की और इसी का परिणाम है कि सिलेगर की खबरें मुख्य धारा की मीडिया में पूरी तरह से दबा दिया गया । इस आंदोलन में भाग लेने वाले कई दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है जिसमें से कई छोटे बच्चे भी हैं जो स्कूल में पढ़ने वाले हैं ।
आज तक की हर सरकार की तरह आदिवासी आंदोलन को कुचलने के लिए भूपेश बघेल सरकार की कुटिलता ने उन्हें दो फाड़ करने की कोशिश की है और अब वादा कर रहे हैं कि आप पेशा कानून का ड्राफ्ट लाइए हम सख्ती से लागू करेंगे जबकि पेशा कानून का ड्राफ्ट कई वर्षों से इनके पास पड़ा हुआ है, बिना पांचवी अनुसूची के प्रावधानों का पालन किए बिना पैसा कानून का पालन किए बिना ग्राम सभा की बैठक के लिए उन्होंने लाखों हेक्टेयर आदिवासियों की जमीन अडानी टाटा जिंदल जैसे कंपनियों को सौंप दिया है, अभी तक पत्रकारों को ही मूर्ख बना रहे थे अब आदिवासियों को भी मूर्ख बनाने चले हैं
27 सितम्बर के देश व्यापी विरोध के समर्थन में सिलगेर आंदोलन के कवरेज व समर्थन के लिए पत्रकार व एक्टिविष्ट सिलेगर पहुंचे*
फिलहाल सिलेगर आंदोलन पूरे जोर-शोर से जारी है और 27 सितंबर को पूरे देश भर में किसानों के आंदोलन के समर्थन में यहां भी बंद रहेगा और बड़ा आंदोलन होने जा रहा हैं । मैं इस सरकार को चुनौती देता हूं कि वह मेरे ऊपर कार्यवाही करें मैं सिलगेर के साथियों के साथ हूं, यहां शांति पूर्वक अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे आदिवासियों के साथ हुँ
मैं प्रदेश के और देश के सभी पत्रकार साथियों से अपील करता हूं कि वह सीनियर आंदोलन को कवरेज करने 27 तारीख को जरूर विजयपुर पहुंचे और यह जानने की कोशिश करें कि छत्तीसगढ़ सरकार वहां क्या छिपाने की कोशिश कर रही है जिसके कारण से मीडिया को घुसने से रोका जा रहा है