राजनीति में माना तो यही जाता है कि जो व्यक्ति सही समय पर निर्णय ले, वह सफल होता है। देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी की लगातार विफलता से प्रतीत होता है कि पार्टी के नेता खास कर गांधी परिवार के सदस्य सभी समय पर निर्णय नहीं ले रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण 4 सितंबर को दिल्ली में होने वाली महंगाई विरोधी रैली का आयोजन है।
कांग्रेस को लगता है कि महंगाई की वजह से आम आदमी त्रस्त है। कांग्रेस महंगाई विरोधी रैली तब कर रही है, जब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का कहना है कि मजबूत अर्थव्यवस्था के मामले में भारत दुनिया के टॉप 5 देशों में शामिल हो गया है। हर भारतीय को गौरवान्वित करने वाली बात यह है कि जिस ब्रिटेन ने 200 वर्षों तक राज किया, वह ब्रिटेन अर्थव्यवस्था में भारत से पिछड़ गया है। दुनिया में ब्रिटेन का नंबर छठा हो गया है। चालू वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर है, जबकि ब्रिटेन की 816 अरब डॉलर आंकी गई है।
देश की अर्थव्यवस्था को यहां तक पहुंचाने में कांग्रेस का भी सहयोग है, क्योंकि 75 में से 50 वर्षों तक देश में कांग्रेस का ही शासन रहा। हो सकता है कि पिछले 8 वर्षों में आर्थिक सुधार के जो निर्णय लिए गए हो उससे मजबूत स्थिति के आंकड़े तेजी से बढ़ हों। होना तो यह चाहिए कि मजबूत आर्थिक स्थिति का श्रेय कांग्रेस भी लेती, लेकिन इसके उलट कांग्रेस महंगाई का बहाना कर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का विरोध कर रही है। विरोध की गंभीरता तब और कमजोर नजर आती है, जब त्योहारी सीजन में बाजार में खरीदारी 35 प्रतिशत तक बढ़ गई है। यदि महंगाई का प्रभाव होता तो न तो देश की आर्थिक स्थिति बढ़ती। बाजार में खरीदारी बढ़ने से जाहिर है कि लोग अपनी आवश्यकता का सामान खरीदने में सक्षम है। व्यक्ति वस्तुएं तभी खरीदता है, जब उसकी आय बढ़ती है। यानी बाजार में वस्तुओं के दाम बढ़े हैं तो लोगों की आय में भी वृद्धि हुई है। साइकिल वाला स्कूटर, स्कूटर वाला कार खरीदने को तत्पर है। यही वजह है कि कार निर्माता कंपनियां मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं दे पा रही है। पेट्रोल-डीजल में मूल्य वृद्धि के बाद भी पर्यटन के क्षेत्र में जबरदस्त उछाल आया है।
अब जब आम व्यक्ति ने वस्तुओं के बढ़े दाम स्वीकार कर लिए है, तब कांग्रेस महंगाई के मुद्दे पर विरोध कर रही है। जहां तक 4 सितंबर की दिल्ली रैली में भीड़ का सवाल है तो दिल्ली सटे राजस्थान में कांग्रेस का शासन है। इसलिए भीड़ तो एकत्रित हो ही जाएगी। रैली को सफल बनाने के लिए राजस्थान का सरकारी अमला भी सक्रिय हो गया है।
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