
अमेरिकी सेना के सैंकड़ो सैन्यकर्मियों ने आज से भारतीय सेना के साथ मिलकर संयुक्त युद्धाभ्यास शुरु किया है। दोनो देशों की सेना का यह 16वां अभ्यास है जो दोनों साथ कर रहे हैं। सेना की दक्षिण-पश्चिमी कमान द्वारा विश्वस्तरीय ट्रेनिंग नोड के रूप में तैयार की गई एशिया की सबसे बड़ी महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारत व अमेरिका की सेनाओं के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास 21 फरवरी तक चलेगा। इस द्विपक्षीय अभ्यास में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व, सप्त शक्ति कमान की 11 वीं बटालियन जम्मू-कश्मीर राइफल्स कर रही है। वहीं अमेरिकी सेना के प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व 2 इन्फैंट्री बटालियन, 3 इन्फैंट्री रेजिमेंट, 1.2 स्ट्राइकर ब्रिगेड कॉम्बैट टीम के सैनिकों द्वारा किया जा रहा है। यह संयुक्त सैन्याभ्यास संयुक्त राष्ट्र जनादेश के तहत काउंटर टेररिज्म संचालन पर केंद्रित रहेगा।
सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल अमिताभ शर्मा ने बताया कि वर्ष 2004 में शुरू हुए भारत-अमेरिका द्विपक्षीय अभ्यासों की श्रृंखला में एक्सरसाइज का सोलहवां संस्करण है। पिछला संयुक्त अभ्यास अमेरिका के सिऐटल में आयोजित किया गया था। इस द्विपक्षीय युद्धाभ्यास में प्रतिभागी संयुक्त योजना, संचालन, संयुक्त सामरिक अभ्यासों से मिशन में संलग्न होंगे और क्षेत्र कमांडरों और सैनिकों के पेशेवर मामलों में एक-दूसरे के साथ बातचीत कर इस अभ्यास को सफल बनाएंगे। इस अभ्यास में भारतीय सेना और अमेरिकी सेना के बीच द्विपक्षीय सेना को बढ़ावा देने, अंतर संबंधों को बढ़ाने, सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों का आदान-प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान होगा। इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य दो सेनाओं के बीच सामरिक स्तर पर अभ्यास और एक दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं, सहयोग और तालमेल को बढ़ाना है। अमेरिकी सेना के करीब 270 सैनिक फायरिंग रेंज में पहुंच चुके है। इस दल में महिलाएं भी शामिल हैं। सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि देखने में भले ही यह युद्धाभ्यास छोटा है, लेकिन इसमें किए जाने वाले प्रयोग दोनों देश की सेनाओं के लिए लंबे अरसे तक कारगर साबित होंगे। भारतीय सेना इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (आईबीजी) पर काम कर रही है। उसमें अलग-अलग सैन्य टुकडिय़ां एक समूह में एकत्र होकर कम से कम समय में दुश्मन पर हमला करने की रणनीति पर काम करेंगे। इस युद्धाभ्यास में भी इसी रणनीति का अभ्यास होगा। ऐसे में यह युद्धाभ्यास भारतीय सेना को नया अनुभव प्रदान करेगा।
यह हुआ पहले दिन
पहले दिन दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज फहराये गए और राष्ट्रीय गान जन मन गन और सटार सपैन्गलड बैनर दोनों देशों के सैनिको के द्वारा गाए गए। 170 इन्फैंट्री ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर मुकेश भानवाला ने अमेरिकी दल का स्वागत किया। उन्होंने अभ्यास के सैन्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए इष्टतम सामंजस्य और अंतर संचालन को प्राप्त करने के लिए दोनों सैनिक दलों से अनुरोध किया। उन्होंने विचारों, अवधारणाओं के निशुल्क आदान-प्रदान के महत्व पर बल दिया, सैनिकों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं और एक-दूसरे के परिचालन अनुभवों से सीखने की आवश्यकता के साथ-साथ स्थितिजन्य जागरूकता को बढ़ाया। आने वाले कुछ दिनों में इस क्षेत्र में दोनों देशों के हथियारों से प्रदर्शन भी शुरू हो रहा है। शुरुआती दो दिन तक आतंकवाद पर रणनीतिक चर्चा होगी। एक तय नीति के तहत अमेरिका और भारत आतंकवाद पर फोकस करेंगे। ये सैनिक आने वाले दिनों में अलग अलग दल बनाकर युद्ध करते नजऱ आएंगे। 19 व 20 फरवरी को युद्ध जैसा दृश्य नजऱ आएगा। दोनों देश अपने हथियारों व उपकरणों का उपयोग कर सकेंगे। इस दौरान हेलीकाप्टर व टैंक के बीच सामंजस्य भी दिखाया जाएगा।
ऐसे होगा युद्धाभ्यास
महाजन फायरिंग रेंज में 21 फरवरी तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास में दोनों सेना जमीनी हमलों का अभ्यास करेगी। इस दौरान वास्तविक युद्ध सा माहौल नजर आएगा। सबसे पहले यह देखा जाएगा कि सेना की दो अलग-अलग टुकडिय़ां कितने समय में रणक्षेत्र में पहुंच सकती है। इसके बाद दो अलग-अलग प्रकृति की ब्रिगेड के सैनिक किस तरह एक स्थान पर एकत्र होकर आपस में कोर्डिनेशन स्थापित करते है। दोनों बेहतरीन आपसी तालमेल के साथ दुश्मन की जमीन पर हमला कर उस पर कब्जा जमाने का प्रयास करेंगे। इस दौरान भारतीय और अमेरिकी सेना आमने-सामने होगी। हर बार अलग फोरमेशन में सैन्य टुकडिय़ां आगे बढ़ेगी। रणनीति में रोजाना बदलाव होता रहेगा। साथ ही दुश्मन के प्रतिरोध के आधार पर भी रणनीति में बदलाव होता रहेगा। युद्धाभ्यास के दौरान परम्परागत, अपरम्परागत और दोनों के हाइब्रिड मॉडल को आजमाया जाएगा।
