
जयपुर। प्रदेश की राजधानी को बढ़ते प्रदूषण को कुछ हद तक राहत दिलाने की गरज और राजधानी के दस लाख परिवारों के 40 लाख लोगों को भूमिगत गैस पाइप लाइन का नेटवर्क विकसित कर घरेलू ईंधन लागत में कमी व निर्बाध गैस आपूर्ति का सपना 16 साल के बाद भी साकार होने का नाम नहीं ले रहा है। इसके बाद भारत सरकार ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस निर्यातक बोर्ड दिल्ली की स्थापना की थी जिसने इस भूमिगत पाइप लाइन को सिरे चढ़ाने की कछुआ चाल को गति देने की प्रक्रिया शुरू की थी जिसका लोगों को 16 साल से इंतजार है।
एक सेवानिवृत आईपीएस एस.पी. गुप्ता की माने तो उन्होंने इस प्रोजेक्ट को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र लिखा है जिसके अनुसार भूमिगत गैस पाइप लाइन के साथ सीएनजी स्टेशन भी स्थापित किये जायेंगे जिससे वाहन पेट्रोल-डीजल के बजाय इस गैस का उपयोग करेंगे। इससे शहर का पर्यावरण भी सुधर जायेगा। वहीं घरेलू ईंधन लागत में भी कमी व निर्बाध गैस आपूर्ति संभव होने के साथ ही प्रदूषण पर भी प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा।
वहीं राज्य सरकार ने कोटा में घरेलू गैस की 141 किमी. पाइप लाइन बिछा कर 8 हजार नये कनेक्शन जारी करने का निर्णय कर लिया है। कोटा शहर में शहरी गैस वितरण नेटवर्क विकसित करते हुए सात सीएनजी स्टेशनों की स्थापना भी की जा चुकी है।
तेल कम्पनियों के स्टेट कार्डिनेटर सुनील गर्ग ने जयपुर के इस प्रकरण में बताया कि अडाणी और टोरेंट समूह के बीच कानूनी मामला चल रहा है। लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि जयपुर के लिए भी जल्दी ही काम शुरू होगा।
