जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक माने जाने वाले 20 भाजपा विधायकों ने विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया को टारगेट कर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को जो पत्र लिखा, इस पर कटारिया ने जानकारी दी कि वो अभी तक किसी भी मीडिया में प्रसारित नहीं हुई। पत्र में भले ही भाजपा विधायकों ने विधानसभा में बोलने, स्थगन प्रस्ताव रखने आदि को लेकर कटारिया की कार्यशैली पर हमला किया हो, लेकिन कटारिया ने कहा कि पत्र लिखने वाले 20 विधायकों में से 14 ने इसी बजट सत्र में अपनी बात रखी है। शेष छह विधायकों ने मुझे कभी बताया ही नहीं कि वे विधानसभा में बोलना चाहते हैं। वरिष्ठ विधायक कालीचरण सराफ ने स्थगन प्रस्ताव भी रखा है। मेरे पास जो भी विधायक आया है, उसे बोलने का अवसर दिया। कटारिया ने कहा कि मुझ पर ऐसे आरोप लगाना उचित नहीं है। मैं अभी सभी पत्र लिखने वाले 20 विधायकों से व्यक्तिगत मिलूंगा और उनके दर्द को समझूंगा। मुझे लगता है कि पत्र लिखने के पीछे इन विधायकों की मंशा और ही है। मैं इन्हें यह भी बताऊंगा कि अपनी मंशा को मंच पर रखे। कोई भी निष्पक्ष व्यक्ति विधानसभा की कार्यवाही देख सकता है। पत्र में लिखी बातें सही नहीं है। जहां तक राजस्थान में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे का सवाल है तो अभी विधानसभा चुनाव में तीन वर्ष बकाया है। क्या तीन वर्ष पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जा सकता है? मैं हमेशा पार्टी के प्रति वफादार रहा हूं। पूर्व में जब मैंने मेवाड़़ क्षेत्र में यात्रा निकालने की घोषणा की थी तो वसुंधरा राजे ने विरोध किया था। इस्तीफ़े तक की धमकी दी थी, तब मैंने अपनी यात्रा रद्द कर दी। मैं नहीं चाहता था कि मेरे कारण वसुंधरा राजे इस्तीफा दें।
हालांकि कटारिया ने स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा के किसी भी विधायकों को बोलने से नहीं रोका गया है, लेकिन कांग्रेस के तेज तर्रार प्रवक्ता आरसी चौधरी अपने इन आरोपों पर कायम रहे कि भाजपा में बोलने की आजादी नहीं है और विधानसभा में भी जन प्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाने का अवसर नहीं दिया जाता है। चौधरी ने भाजपा को लोकतंत्र की हत्या करने वाली पार्टी बताया। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सुमित्रा सिंह ने भी कुछ इसी तरह की बातें रखी। जबकि भाजपा में नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान में कटारिया को टारगेट किया गया है। वर्ष 2013 से 2018 की अवधि में वसुंधरा राजे ने सबसे ज्यादा भरोसा कटारिया पर ही किया था। राजे ने अपने मंत्रिमंडल में कटारिया को गृहमंत्री बनाए रखा। राजे ने पूरे पांच वर्ष कटारिया की प्रशंसा की। ऐसे में अब कटारिया को टारगेट करना भाजपा की आतंरिक कलह को उजागर करता है। भाजपा स्वयं को अनुशासित पार्टी होने का दावा करती है, जबकि 20 विधायक पत्र लिख कर पार्टी के अनुशासन की धज्जियां उड़ाते हैं। कटारिया की सफाई के बाद तो पत्र में लिखी बातें गलत प्रतीत होती हैं।
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