आर के जैन : मनीष गुप्ता को गोरखपुर पुलिस ने पीट पीट कर मार डाला । पुलिसकर्मियों की बेरहमी से एक निर्दोष की और जान चली गई तथा एक हँसता खेलता परिवार और बर्बाद हो गया । पुलिस की बेरहमी व ज़्यादातियो में एक नाम और जुड़ गया।
मुझे इस घटना से अमेरिका के जार्ज फ़्लायड की याद आ गई जिसे एक पुलिसकर्मी ने बेरहमी से मार डाला था।इस घटना से पूरे अमेरिका में बवाल मच गया था और अमेरिकन राष्ट्रपति को छुप कर जान बचानी पड़ी थी । अमेरिका की पुलिस ने सड़कों पर घुटनों के बल बैठकर जार्ज फ़्लायड के परिवार और अमेरिकी जनता से माफ़ी मॉगी थी। अमेरिका की न्याय पालिका ने भी तेज़ी दिखाते हुऐ दोषी पुलिस कर्मी को 20 साल की सजा सुनाई और जार्ज फ़्लायड के परिवार को 20 करोड़ अमेरिकन डॉलर का मुआवज़ा देने का आदेश दिया था ।
यह सब इसलिए हो सका कि वह एक सभ्य ,जागरूक और अपने अधिकारों को जानने वाला समाज है । वह जानते हैं कि अगर आज इसे सहन कर लिया गया तो अगला निशाना हम भी बन सकते है ।
अब हमने देश की बात करते हैं । आज़ादी के 74 साल बाद भी हम न तो जागरूक बन सके और न ही अधिकारों को जान सके। सभ्य समाज बनने में तो हमें अभी कई सदियाँ और लगेगी क्योंकि अभी हमारे अंदर के जाति, धर्म और ऊँच नीच के कीटाणुओं को ख़त्म होने में समय लगेगा । हमारा शासन/ प्रशासन यह बात जानता है और इसलिए ऐसी घटनाओं पर न रोक लग सकती हैं और न ही कोई जन चेतना जाग सकती हैं ।
दरअसल हमारे सभी शासक नौकरशाहों/पुलिस फ़ोर्स के बल पर ही शासन करना जानते है । जनता आवाज़ न उठाये, अधिकार न माँगे, सवाल न करे और यह सब तभी हो सकता है कि जब जनता डरकर व सहम कर रहे और प्रशासन व पुलिस यही काम करते है । हमारे यहॉ पुलिस जनता की रक्षक कम बल्कि जनता को भयभीत करने का काम ज़्यादा करती है और इसलिए आम जन पुलिस में कोई शिकायत भी बड़ी मजबूरी में करता है । हमारे यहॉ का प्रशासन व पुलिस बल सत्ता के इशारों पर ही काम करता है और हम देखते भी रहते है कि सत्तारूढ़ दल के स्थानीय नेताओं की नेतागीरी कलक्टरेट/पुलिस थाने के दम पर ही चलती हैं । आम जन व संविधान के प्रति प्रशासन व पुलिस की न कोई जवाब देही है और न ही इसकी ज़रूरत ये समझते है और तभी सत्ता निरंकुश बनती है व मनमानी करती है।हमारी नौकरशाही व पुलिस प्रशासन की जवाबदेही यदि संविधान व आम जनता के प्रति हो तो कोई भी सत्ता न निरंकुश हो सकती हैं और न ही मनमानी कर सकती है ।
प्रशासन व पुलिस बल जब तक स्वायत्त नहीं होंगे और उनकी जवाब देही संविधान तथा जनता के प्रति नहीं होगी तब तक मनीष गुप्ता की हत्या जैसी घटनाऐ रूक नहीं सकती और आम जनता को क़ानून का राज नसीब नहीं हो सकता और इन्साफ़ भी सत्ता का मोहताज बना रहेगा । जनता जब तक जागरूक नहीं होगी और अपने अधिकारों को नहीं जानेगी तब तक किसी बदलाव व क़ानून के राज की उम्मीद करना बेमानी है और हम कुछ भी सहन करने के लिए विवश रहेंगे ।