मशरूम हो सकता है महिलाओं के लिए रोजगार का बड़ा जरिया

मशरूम हो सकता है महिलाओं के लिए रोजगार का बड़ा जरिया

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की स्वयंसेवी संस्था पृथ्वी ट्रस्ट के द्वारा पन्ना जनपद के 5 गाँव में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मशरूम की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह अभिनव पहल गरीब परिवारों के लिए रोजगार का एक जरिया तो बन ही रहा है, परिवार के बच्चे भी सुपोषित हो रहे हैं। मशरूम खेती की प्रक्रिया आदिवासी एवं सिलिकोसिस पीड़ित परिवारों के साथ की जा रही है। 

पृथ्वी ट्रस्ट संस्था की निदेशक समीना यूसुफ ने बताया कि हमने पन्ना में कुछ दिन पहले देखा कि महिलायें सुबह सुबह लकड़ी अपने सिर पर रखके 10-10 किलो मीटर कडाके की ठण्ड में लकड़ी बेचने पन्ना आती हैं और उन्हें 100-150 रूपए के आसपास पैसे मिलते हैं। जिससे वे परिवार का भरण पोषण करती है लेकिन इतने पैसे से परिवार को पोषण युक्त भोजन नहीं मिल पाता न ही ये रोजगार का बड़ा जरिया है। यह काम जोखिम भरा भी होता है क्योंकि महिलाओं को लकड़ियाँ जंगल से लानी पड़ती हैं तथा जंगली जानवरों का हमेशा ख़तरा बना रहता है।

हमने पिछले साल 5 गाँव में मशरूम की खेती की प्रक्रिया को 60 महिलाओं के साथ किया था, 3 माह महिलाओं के घर सप्ताह में 3 दिन सब्जी के रूप में मशरूम बनाया गया था। इसके साथ ही परिवार को एक -एक हजार का लाभ भी हुआ था। इसलिए मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया को हम दूसरे 5 गाँव में कर रहे हैं ताकि इन गाँव में भी महिलायें अपना खुद का रोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर बन सकें।

इस प्रक्रिया में संस्था के द्वारा एक बार ही सहयोग किया है जिसमे मशरूम का बीज, जरुरी सामग्री, प्रशिक्षण आदि शामिल है। समीना यूसुफ कहती हैं कि हमे प्रशिक्षण का सहयोग इन्विरोनिक्स ट्रस्ट दिल्ली से मिला था जिससे हम गाँव में महिलाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं। मशरूम की खेती के लिए हमने आदिवासी एवं सिलिकोसिस पीड़ितों के परिवारों का चिन्हांकन किया है क्योंकि इन परिवारों में कमाने वाली केवल महिलायें ही हैं, जो अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं। इन्ही परिवारों में कुपोषण की समस्या भी तुलनात्मक रूप से अधिक है। समीना यूसुफ बताती हैं कि हमारा उदेश्य है कि परिवार में पोषण युक्त भोजन मिल सके और महिला को घर बैठे रोजगार का जरिया उपलब्ध हो सके।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। ये जरूरी नहीं कि द हरिश्चंद्र इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।

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अरुण सिंह
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