सुसंस्कृति परिहार : यह जानकर निश्चित आपके होश फाख्ता हो जायेंगे कि यह भाजपा का इकलौता सच है कि भारत में हिन्दू ख़तरे में है। विडम्बना यह है कि भारत एक हिंदू बहुल राष्ट्र कहलाता रहा है लोग भी ऐसा ही समझते रहे हैं भाजपा नेता भी। इसी बहुलतावाद के सूत्र ने उसे अब तक अल्पसंख्यकों से लड़ाया और दो लोकसभा चुनावों में अपनी जीत दर्ज कराई है। कुछ दिन पहले जयपुर से आई एक ख़बर ने भाजपा की हालत पतली कर दी है और ये ख़बर हिंदुओं और उनके धर्म के लिए भी एक चेतावनी है। राजस्थान के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के विधायकों ने साफ़ कर दिया है वे हिंदू नहीं है। सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका कि आदिवासियों का धर्म प्राकृत है वे हिंदू नहीं है। ओशो ने बहुत पहले कहा था –” हिंदू एक अल्पसंख्यक धर्म है जिसमें 80% शूद्र है उन्हें जिस दिन पुराना इतिहास पता चल गया वे या तो बौद्ध हो जायेंगे या फिर सिख धर्म अपना लेंगे। हिंदू धर्म शूद्रों की मूर्खता पर टिका हुआ है।”
अब इन खबरों से तो यही समझ आता है कि हिंदू और उसका धर्म ख़तरे में है इस असल बात को न बताकर उन्हें मुस्लिम अल्पसंख्यकों से लड़ाया जा रहा है जबकि अंदर अंदर दलित और आदिवासियों को प्रताड़ना दी जा रही क्योंकि वे हिंदू धर्म के लिए खतरा हो रहे हैं। इसकी वजह है इनके संगठन और उनसे फैली जागरूकता है इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जबकि वस्तुस्थिति से सब अवगत हैं कि कांग्रेस के शासन में संपूर्ण देश में शिक्षा का जो दौर चला उसका ही सुफल है कि आज आदिवासी समाज और अनुसूचित जाति के पढ़े लिखे लोग इस बात को समझने लगे हैं और उनके विधायक हिंदू न होने का स्वर मुखर कर रहे हैं। आपको रोहित वेमुला की याद होगी। वह सेंट्रल विश्वविद्यालय हैदराबाद का दलित शोध छात्र था उसके साथ जब नाइंसाफी की गई तो उसे मज़बूरन आत्महत्या करनी पड़ी। उसका दोष यही था वह जय भीम के नारे लगाता था और अम्बेडकर का फोटो छात्रावास के कमरे में लगाए था। अनुसूचित जाति के इस छात्र की आत्महत्या के बाद दलित संगठन जागरुक हुए तथा आगे चलकर रोहित वेमुला की मां सहित बहुत से लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया था। तब केन्द्र में स्मृति ईरानी मानव संसाधन मंत्री थी। उनकी उपेक्षा का ही परिणाम थी यह घटना ।
भीमराव अम्बेडकर की वह बात भी हिंदू धर्म के लिए एक चेतावनी ही थी जब उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा था कि “हिंदू धर्म में पैदा ज़रूर हो गया हूं जो मेरे बस में नहीं था लेकिन मैं मरुंगा किसी और धर्म में।” बताते हैं अंबेडकर जी ने तभी सभी धर्मों का गहन अध्ययन किया और उसमें सर्व श्रेष्ठ बौद्ध धर्म चुना और मृत्यु से पूर्व अपने एक लाख अनुयायियों के साथ स्वीकार किया। तब से इस चेतना का विकास हुआ और अब यह भाजपा के गले की फांस बन गई है। यदि समय रहते हिंदू धर्म के पहरुओं ने शूद्रों को उचित सम्मान देकर उनके साथ इंसानियत का व्यवहार किया होता तो शायद अंबेडकर और वेमुला जैसी ताकतें नहीं उभरती।
अब तक जिस तरह एसटी और एससी के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है उससे रुह कांप जाती है। दलित बस्तियों में जाकर उनके साथ घनघोर अमानवीयता को देखा जा सकता है। यौन हिंसा की चपेट में दलित बच्चियों की संख्या सर्वाधिक होती है। उत्तर प्रदेश तो सिरमौर बना हुआ है। अब सीधे साधे मेहनतकश तीन आदिवासियों को गौमांस के मामले में माब लिंचिग का जबरन शिकार मध्यप्रदेश में बनाया गया। घर में सोते हुए इन लोगों को जगाया जाता है उनके साथ इतनी मारपीट संघ के दो अनुषंगी संगठन करते हैं कि दो व्यक्तियों की जान चली जाती है, जबकि एक अस्पताल में मौत से जूझ रहा है। मध्यप्रदेश में आदिवासियों का उत्पीड़न पहले भी नेता और अधिकारी करते रहे हैं। उन तक वे तमाम योजनाएं नहीं पहुंची जिनका बजट भरपूर आया। मध्यप्रदेश में आदिवासी अब एकजुट हो रहे हैं। रानी कमलापति स्टेशन नामकरण या बिरसा मुंडा और टांट्या भील पर कार्यक्रम उन्हें फुसलाने का उपक्रम हैं।
सबसे दुखद पहलू यह है कि जब चुनाव आते हैं तब इन दोनों जातियों को हिंदू के नाम पर अब तक जोड़ा जाता रहा है। ये दोनों जातियां मिलकर अब एक ऐसा आंकड़ा बना रही हैं जो हिंदुओं को यकीनन ख़तरे में डालने वाला है। बहुसंख्यक अल्पसंख्यक होने की स्थिति में हैं। उधर पिछड़े वर्ग का संगठन भी सवर्ण जातियों पर हमलावर हो चुका है। यही वजह है वर्तमान सरकार पूरी कोशिश में है कि हिंदू पर आए ख़तरे से निपटा जाए और येन केन प्रकारेण 2024 में देश को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए लेकिन दिक्कत कांग्रेस ने खड़ी कर दी है। न वे शिक्षित करते न कोई समस्या खड़ी होती। इसलिए अब शिक्षा के स्वरुप का माडल बदल गया है। सबको शिक्षा निजीकरण के दौर में कैसे नसीब हो पाएगी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से वे अपने को आज़ाद कर लेंगे।
देखना यह है कि ख़ुद ख़तरे में जाकर एससी एसटी के लोग हिंदु धर्म को बचाकर उसकी रक्षा पूर्ववत करते हैं या कि ओशो और अम्बेडकर से प्रेरणा लेकर अपने ऊपर लगे मूर्खता के कलंक को धो पाते हैं। हालात बता रहे हैं कि संघी हिंदू गंभीर रुप से आज खतरा महसूस कर रहा है इसलिए अल्पसंख्यकों, दलित और आदिवासियों के दमन हेतु तेज रफ्तार से उतारू है।