केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली में किसानों के आंदोलन का आज 75वां दिन है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की है। पीएम ने कहा “मैं आप सभी को निमंत्रण देता हूं कि हम देश को आगे बढ़ाने के लिए, कृषि क्षेत्र के विकास के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, हमें देश को आगे ले जाना होगा। आइए मिलकर चलें।” पीएम मोदी ने किसानों को भरोसा दिलाया कि MSP है, था और रहेगा।
इसपर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि हमने कब कहा कि एमएसपी समाप्त हो रहा है? हमने कहा कि एमएसपी पर एक कानून बनाया जाए। अगर ऐसा कानून बनता है तो देश के सभी किसान लाभान्वित होंगे। अभी, एमएसपी पर कोई कानून नहीं है और किसानों को व्यापारियों द्वारा लूटा जाता है।
सवाल यह भी है की सरकार किसानों के लिए क्यों ऐसा कानून क्यों लाना चाहती है जिसकी खिलाफ़त किसान कर रहे है? कही ऐसा तो नहीं की मोदी सरकार को पीछे हटने में शर्मिंदगी महसूस हो रही है और किसी भी कीमत उसने अपने मन की करने की ठान ली है? इन सवालों का जवाब ढूँढे तो शायद जवाब के बजाए और नए सवाल ही फन उठाकर सामने आ जाए, लेकिन जब सवाल जनहित में हो, लोक कल्याण के लिए हो तो ऐसे सवालों को दरकिनार करना मानवता को करकिनार करना होगा।
वहीं पीएम ने राज्यसभा को संबोधित करते हुए कहा “पिछले कुछ सालों में एक नई जमात सामने आई है, आंदोलन जीवियों की। ये वकीलों का आंदोलन हो, छात्रों का आंदोलन हो, सब जगह पहुंच जाते हैं। ये आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं। देश को इन आंदोलनजीवियों से बचाने की जरूरत है।” पीएम मोदी ने कहा कि कुछ बुद्धिजीवी होते हैं, लेकिन कुछ लोग आंदोलनजीवी हो गए हैं, देश में कुछ भी हो वो वहां पहुंच जाते हैं. कभी पर्दे के पीछे और कभी फ्रंट पर, ऐसे लोगों को पहचानकर हमें इनसे बचना होगा। ये लोग खुद आंदोलन नहीं चला सकते हैं, लेकिन किसी का आंदोलन चल रहा हो तो वहां पहुंच जाते हैं। ये आंदोलनजीवी ही परजीवी हैं, जो हर जगह मिलते हैं।
आंदोलनों पर प्रधान मंत्री की गई इस टिप्पणी ने मोदी सरकार के समय में हुए सभी आंदोलनों पर सवालिया निशान लगा दिया है यह और बार है मोदी सरकार सवय अन्ना आंदोलन (लोकपाल आंदोलन) के बाद सत्ता में आई!
पीएम मोदी ने कहा कि एक नया FDI मैदान में आया है, हमें एफडीआई के नए संस्करण से भारत को बचाना चाहिए जो- विदेशी विनाशकारी विचारधारा है।पीएम ने कहा “Foreign destructive ideology से देश को बचाने की जरूरत है।”
वैसे यह आंदोलन कब तक चलेगा यह तो कोई नहीं जनता लेकिन एक बात तो तय है की आंदोलन से देश को आर्थिक नुकसान अवश्य होता रहा है फिर वह चाहे सरकार की जिद्द से हो या आंदोलनकारियों की जिद्द से। जनता रोज टीवी देखती है उसे पल पल की खबर रहती है और जनता राजनीति भी समझती है यह और बात है की राजनीतिक पार्टियों ने अपने स्वार्थ के लिए जनता को ही पक्ष और विपक्ष में बांट दिया है राजनीतिक पार्टी का सदस्य होना अच्छी बात है इसमे कोई बुराई नहीं लेकिन सबसे जनता को यह अवश्य याद रखना चाहिए की वह पहले एक नागरिक है और लोकतन्त्र में नागरिक को किसी पार्टी के दिए चश्मे से नहीं देखना चाहिए उसे यह देखना चाहिए की वह अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए क्या बो-रहा है।