संघ को अब अपनी बी टीम ‘आप पार्टी’ का सहारा!

संघ को अब अपनी बी टीम'आप पार्टी' का सहारा!

सुसंस्कृति परिहार : ये बात बिल्कुल साफ हो चुकी है कि संघ कुछ भी कर ले भाजपा की सत्ता वापसी के ख़तरे को टाला नहीं जा सकता इसलिए उसने अपनी बी टीम को मोर्चे पर लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। जी हां शायद आप समझ ही गए होंगे कि मैं आप पार्टी की बात कर रही हूं। जिसने कई जगह पहले यह कोशिश की कि अपने दम से अकेले चुनाव लड़ा जाए और दिल्ली जैसी बहुमत वाली सरकार कायम की जाए। गोवा,गुजरात , पंजाब , हरियाणा में जो प्रयास हुए वह कामयाब, ना के बराबर रहे।जबकि बी टीम की छवि ऐसी निर्मित की गई कि वह झूठ,फरेब से दूर एक काम करने वाली आम लोगों के दुख दर्द हरने वाली एक मात्र ईमानदारी पार्टी है। कोशिश यह थी भाजपा नहीं तो यही सही।

लेकिन संघ ने अब अपनी चाल बदली है वह उन पार्टियों में घुसपैठ बढ़ाने की कोशिश में हैं जिनका इस वक्त बोलबाला नज़र आ रहा है। ताज़ा उदाहरण उत्तरप्रदेश की समाजवादी पार्टी के साथ जो गठबंधन की अखिलेश के साथ आम पार्टी के सांसद संजय सिंह ने जो अगुवाई की वह विचारणीय है। दल बदल के इस घोर अनैतिक समय में यदि समाजवादी पार्टी  कई दलों के साथ उत्तर प्रदेश में  चुनाव लड़ती है तो यह तय मानिए इस पार्टी को कमज़ोर होने से कोई नहीं रोक पाएगा ।आज संघ के पास यही एक रणनीति बची हुई है।इसे विपक्षी दलों को समझना चाहिए।

स्मरण करें कि तथाकथित गांधीवादी समाजसेवी संघी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी  की स्थापना 2 अक्टूबर 2012 को हुई। औपचारिक रूप से पार्टी की शुरुआत 26 नवंबर 2012 को हुई। अन्ना के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले अरविंद केजरीवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव, शाजिया इल्मी और आनंद कुमार जैसे लोग इसके संस्थापकों में शामिल थे। हालांकि ये अलग बात है कि अरविंद केजरीवाल के अलावा बाकी सभी संस्थापक सदस्य अब आप से दूरी बना चुके हैं। वर्तमान में इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल हैं। आम आदमी पार्टी से अलग हुए नेताओं में प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास, आनंद कुमार, अजीत झा, आशुतोष, आशीष खेतान, शाजिया इल्मी, कपिल मिश्रा, मुनीश रायजादा, राजमोहन गांधी, अलका लांबा, मयंक गांधी, अंजली दमानिया, जीआर गोपीनाथ, अशोक चौहान, गुरप्रीत सिंह समेत कई छोटे-बड़े नेताओं के अलावा कुछ पूर्व आईएएस और आईपीएस भी रहे हैं। आदर्श शास्त्री जैसे लोग पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं।

सोचिए कर्मों?ये तो वैसा ही हुआ जैसे जनलोकपाल विधेयक के नाम पर हुआ आंदोलन और उसके नाम पर बनी सरकार ने अपने को अलग-थलग कर लिया।पांच अप्रेल 2011से जंतर मंतर पर शुरू समाजसेवी अन्ना हजारे ने जो छल जनता से किया ।वह उन्हें माफ नहीं करेगी।

सत्ता के ज़रिए सरकार बनाने की हठधर्मिता ने जब आप पार्टी के ज़रिए केजरीवाल ने दिल्ली जीती तभी से संघ ने अपने जनलोकपाल के यार पर डोरे डालने शुरू कर दिए।यही वजह रही बहुत से लोगों ने इससे किनारा कर लिया।

दिल्ली फतह के बाद बेरोजगार युवक युवतियों और पढ़ें लिखे लोगों में केजरीवाल की आप के प्रति निष्ठा बढ़ी। यही वजह थी कि पंजाब 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के कुल 20 विधायक जीते थे। किंतु दिल्ली की असफलताओं से लोग निराश होने शुरू हो गए आज इनमें से 6 विधायक अभी तक पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। वहीं चार सिटिंग विधायकों की टिकट काट दी गई है।उधर गोवा  के पूर्व मंत्री महादेव नाइक आम आदमी पार्टी  में शामिल हो गए हैं। नाइक गोवा के शिरोडा से 2007 से 2017 के बीच दो बार विधायक रहे हैं। वह 2012 से 2017 के दौरान मनोहर पर्रिकर की अगुवाई वाली गोवा 

सरकार में समाज कल्याण मंत्री 

गुजरात में विधानसभा चुनाव होने में अभी काफी वक्त है, लेकिन इसकी तैयारियां पार्टियों ने अभी से शुरू कर दी है. आम आदमी पार्टी पुरजोर तरीके से इसमें जुट गई है. चुनावों को ध्यान में रखते हुए इस बार आप ने गुजरात में भगवान गणेश का अनोखा पंडाल लगाया था। जिसमें दिखाने की कोशिश की थी कि पार्टी भ्रष्टाचार, महंगाई को गणेशजी की कृपा से दूर करेगी। उधर सूरत महानगरपालिका की कुल 120 सीटों में से बीजेपी 93 और आप ने 27 सीटें जीती हैं। 

जबकिआम आदमी पार्टी के आधे दर्जन से अधिक नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया. इनमें कुछ पार्टी के संस्थापक सदस्य भी शामिल रहे. प्रदेश भाजपा कार्यालय पर अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने सभी को पार्टी में शामिल कराया. भाजपा में शामिल होने वाले आप नेताओं ने कहा कि उनकी केजरीवाल सरकार से उम्मीदें टूट गई हैं।

दावे के मुताबिक, दिल्ली में आठ साल से कोई बदलाव नहीं आया, जिसकी वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया. प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा, “जितने भी लोग आप से भाजपा में आ कर जुड़े हैं उन्हें यही अफसोस है की जिस उद्देश्य से वो आम आदमी पार्टी से जुड़े थे, वो मुख्यमंत्री केजरीवाल के अहंकार और लालच के आगे कहीं पीछे छूट गया.”उन्होंने कहा कि, “जो पार्टी सत्याग्रह करके सत्ता में आयी थी, वो आज सत्य का आग्रह छोड़ कर झूठ के रास्ते पर चल पड़ी है. बहुत से संस्थापक सदस्य जिन्होंने आम आदमी पार्टी को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया या निकलने पर मजबूर कर दिया गया.”आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य होने का दावा करने वाले तपन ऋषि, विमला और नंदला ने कहा, “हम 2012 में पार्टी से जुड़े थे कि यह पार्टी कुछ बदलाव लाएगी, लेकिन 8 साल हो गए कुछ नहीं बदला. जो यह कह कर आए थे की वो भ्रष्टाचार खत्म करेंगे वहां आज भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है.” महिला विंग प्रभारी रजनी, महेंद्र कौर आदि ने भी भाजपा का दामन थामा।

ये स्थितियां संकेत देती हैं कि केजरीवाल की पार्टी भी भाजपा की तरह झूठी और सत्तालोलुपता से दूर नहीं है होगी कैसे जहां से ये महान ताकतें मुख्य हुई हैं उनके पीछे संघ का वही कार्यकर्ता है जिसे अन्ना हजारे कहते हैं जो देश में आग लगाने के बाद सो जाता है। हजारे टीम के बचे सदस्यीय इस बी टीम का काम कर रहे हैं।जब समय कठिन हो तो घुसकर मज़बूत ताकत को तोड़ना इन्हें भली-भांति आता है।अतएव ऊपरी तौर पर अलग थलग दिखने वाली इन संघी ताकतों को पहचानना बेहद ज़रूरी है।

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Susanskriti parihar
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