सुसंस्कृति परिहार : इन दिनों एक महामहिम सुर्खियों में हैं और मोदी विरोधी बयान देकर जनता के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं लेकिन ध्यान देना होगा सत्यपाल जो बोल रहे हैं वह सच तो है ही पर वह संघनीत रणनीति के एक बड़े किरदार बतौर मुखर हो रहे हैं। कतिपय लोगों का ख़्याल ये है कि वे जाट हैं और जो कह रहे हैं वो सच्ची भावना से प्रेरित है।लोग लहालोट हुए जा रहे हैं एक राज्यपाल तो निकला सरकार विरोधी प्रदर्शन ये बात ग़लत है वे सरकार विरोधी नहीं बल्कि मोदी विरोधी बनाए गए हैं ताकि भाजपा पर आंच ना आए।
किसान आंदोलन में जिस तरह मोदीजी की हठधर्मिता सामने आई उससे सरकार की छवि बुरी तरह धूमिल हुई है किसान मोदी सरकार से इस कदर ख़फ़ा हैं कि तीनों काले कानून वापसी पर भी उनकी सोच में कोई परिवर्तन नहीं आया है।संघ इस स्थिति से पशोपेश में है और उसने अन्ना हजारे की तर्ज पर एक नया ठग तैयार किया है जिसका नाम सत्यपाल है जो निरंतर जनमत को खुश करने मोदी विरोधी बयान बेझिझक दे रहा है।जबकि आज तक के इतिहास में किसी राज्यपाल या नेता ने प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ एक दम खुलकर इस तरह निज बातों को सामने नहीं रखा। जबकि जो बात उन्होंने कही है वह तो मोदीजी की कार्यशैली से भी साफ हो रहा है ।वे क्षमा भी किसानों से मांगते हैं और यह भी दंभ के साथ कहते हैं कि वे किसान हितैषी बिलों को किसानों को समझा नहीं पाए।
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार सतपाल ने हाल के दिनों में कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार पर कई बार हमला किया था। नवंबर में, जयपुर में आयोजित एक सम्मेलन में, बोलते हुए, उन्होंने कहा था कि, केंद्र को अंततः किसानों की मांगों को मानना ही होगा।
सतपाल का हरियाणा के एक सार्वजनिक समारोह में दिया बयान सबसे चर्चित हुआ है जिसमें कहा गया है कि, ‘किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिलने गया तो मेरी पांच मिनट में लड़ाई हो गई उनसे। वो बहुत घमंड में थे। जब मैंने उन्हें कहा कि हमारे 5 सौ लोग मर गए तो उन्होंने कहा- मेरे लिए मरे हैं?’ इसके साथ ही उन्हें ये कहते भी सुना जा सकता है कि उन्होंने कहा तुम अमित शाह से मिलो। मैं अमित शाह से मिला, उन्होंने कहा- ‘सत्यपाल इनकी अक्ल मार रखी है लोगों ने। तुम बेफ़िक्र रहो, मिलते रहो किसी न किसी दिन समझ में आ जाए।’
लेकिन बाद में मलिक की सफाई भी आ गई है कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया। अमित शाह ने प्रधानमंत्री को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की थी। श्री मलिक ने बताया है कि उन्हें अमित शाह ने ‘लोगों (किसानों) से लगातार मिलते रहने और उन्हें सहमत करने के लिए कहा था।
ये सफाई देने की ज़रूरत आखिर क्यों आई यह आसानी से समझा जा सकता है क्योंकि इस बात में वह सत्य छुपा था जो यह बता रहा था कि मोदी और अमित शाह में परस्पर सत्ता संग्राम जारी है । संघ नहीं चाहता यह उजागर हो। हालात तो यही है।सच बात यह है कि संघ जान चुका है कि जनता के बीच अब मोदी जादूगर नहीं रहे वे बुरी तरह अलोकप्रिय हुए हैं जिसके ज़रिए चुनाव जीते जा सकें। इसलिए आप स्मरण करें संघ ने उन्हें राज्य के चुनावों से दूर रखने का फैसला किया था।अंदर अंदर मोदी विरोध बढ़ रहा है। गृहमंत्री अगर उत्तरप्रदेश चुनाव जीत लेते हैं तो यह तय समझिए संसदीय चुनाव से पहले अमित शाह को पी एम बना के उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा।
वर्तमान में चतुर राजनीतिज्ञ सत्यपाल मेघालय के १९वें राज्यपाल हैं। 30 सितम्बर 2017 से 21 अगस्त तक बिहार राज्य के राज्यपाल रहे। इससे पहले अलीगढ़ सीट से 1989 से 1991 तक जनता दल की तरफ से सांसद रहे। 1996 में समाजवादी पार्टी की तरफ से फिर चुनाव लड़े लेकिन हार गए। कांग्रेस में भी वे तीन साल रहे।2004से भाजपा में है।2014में वे अजीत सिंह से लोकसभा चुनाव सारे बाद में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। 21 अगस्त 2018 को जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल नियुक्त किये गए।
यहीं उनकी सबसे अहम भूमिका जो संघ को पसंद आई वह थी जम्मू कश्मीर से विशेष अधिकार कानून हटवाने में उनकी सक्रियता।श्री मलिक जम्मू कश्मीर के एकमात्र ऐसे राज्यपाल रहे जिनके कार्यकाल में अनुच्छेद ३५ a हटा। वे इसके हटने से पहले भी वहां के राज्यपाल थे तथा इस अनुच्छेद के हटने के बहुत समय बाद तक वे राज्यपाल रहे।
सत्यपाल का वह बयान भी याद करिए जब एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि, ‘जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहने के दौरान अंबानी और आरएसएस से जुड़े एक शख्स की दो फाइलों को मंजूरी देने के बदले उन्हें 300 करोड़ की रिश्वत का ऑफर दिया गया था.’ हालांकि बाद में उन्होंने इस मामले में RSS का नाम लेने के लिए माफ़ी मांगी थी और कहा था कि मामले का आरएसएस से कोई मतलब नहीं।यह मामला जिस तरह नया मोड़ लिया उससे ही संघ से सतपाल की नज़दीकियां बढ़ी है।घाट घाट का पानी पीने वाले सत्यपाल इन दिनों संघ की पसंद हैं और उन पर अन्ना हजारे जैसा गुरुत्तर दायित्व आन पड़ा है।
यह विचारणीय है कि जब सारे राज्यपाल चुप्पी साधे हैं तो वे इतने सख़्त मोदी विरोधी बयान कैसे दे पा रहे हैं। यदि वे वास्तव में किसानों के प्रति इतने उदार विचार रखते है तो उनको किसान संघर्ष में उनके साथ होना चाहिए था। वे अपने बयान निश्चित तौर पर किसी उद्देश्य के तहत ही दे रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि अपना कार्यकाल अच्छे से पूरा करेंगे ही।संघ का वरदहस्त उनके सिर पर है। उम्मीद तो उनकी यह है कि आगे आने वाली सरकार में और उच्च पद पर वे आसीन हों। सबसे बड़ी बात जो है वह यह है कि उनकी दिलेरी और बयान लोगों को भ्रमित करते हैं। ये नया अन्ना हजारे है भाजपा के सारे दाग मोदी पर लगा भाजपा को साफ सुथरा दिखाने में लगा है।इसकी टीम के अन्य सदस्य पहले से भाजपा की बी टीम में सक्रिय हैं।
झूठ और धर्मांन्धता के बाद छल कपट की राजनीति में माहिर संघ का ये नया दांव है। सतपाल तो एक नया मोहरा है किंतु यह भी सच है कि राम मनोहर लोहिया की राजनीति से निकला यह जाट कब कैसी कुलाट ले ले। इसका ठिकाना नहीं।