राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी माॅडल पर बड़ा हमला करते हुए आरोप लगाया कि राज्य में अभीतक शराबबंदी पूरी तरह से विफल रहा है लेकिन मुख्यमंत्री जी सच्चाई को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। राष्ट्रीय लोजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अग्रवाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आज एक पत्र लिखकर पत्र के माध्यम से कई बिंदुओं पर इस कानून को लेकर जवाब मांगते हुए कहा कि नीतीश कुमार एवं राज्य सरकार को बिहार में शराबबंदी के भयावह विफलता को स्वीकार करना चाहिए।
राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने कहा कि राज्य में शरबबंदी कानून को राज्य सरकार के पुलिस एवं प्रशासन के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों ने ही धूलधुसरित कर दिया है। नीतीश कुमार के शराबबंदी माॅडल से राज्य को काफी नुकसान पहुँचा है राष्ट्रीय प्रवक्ता अग्रवाल ने 2016 अप्रैल में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद अबतक राज्य सरकार के द्वारा इस कानून में दो बार संशोधन किया गया और कई बार मुख्यमंत्री जी ने इस कानून पर समीक्षा बैठक भी की लेकिन अबतक शराबबंदी कानून को ठोस ढंग से लागू करने में सरकार कोई भी सकरात्मक परिणाम नही निकाल पायी।
राष्ट्रीय प्रवक्ता अग्रवाल ने कहा कि प्रारंभ के सख्त शराबंदी कानून में संशोधन के बाद जो कानून पुनः शराबबंदी से जुड़े मामलें में बनाये गये और उसके बाद अभी तक नीतीश कुमार के द्वारा जितने भी समीक्षा बैठकें हुई उसके बाद कुछ महत्वपूर्ण सवाल अभी तक बने हुए हैं जिसपर राज्य के मुख्यमंत्री और राज्य सरकार को जवाब देना चाहिए और इन सवालों का उत्तर देकर स्पष्ट करना चाहिये ये महत्वपूर्ण सवाल निम्न हैं।
- बिहार के विभिन्न जेलों में बंद हजारों गरीब और दलित समुदाय के लोग जो प्रारंभ के कानून के तहत अभी तक जेल में बंद हैं जिनको जमानतदार नहीं मिल पा रहे हैं उनके रिहाई के लिए राज्य सरकार अपने स्तर से कानूनी पहल करेगी।
- आपके द्वारा शराबबंदी के समीक्षा बैठक में तीन दिन पूर्व इस बात पर जोर दिया गया कि पुलिस प्रशासन एवं उत्पाद विभाग शराब पीने वालों पर कार्रवाई करने से ज्यादा शराब के आपूर्तिकर्ता एवं शराब बनाने पर एवं शराब तस्करों पर विशेष स्तर पर कार्रवाई की जाए क्या यह शराबबंदी कानून के मामले में विरोधाभास उत्पन्न नहीं करता है ? इससे स्पष्ट होता है राज्य में शराबबंदी कानून पूरी तरह से विफल है।
- राज्य में शराब के सप्लाई चैन के नेक्सस में शामिल पुलिस पदाधिकारी एवं उत्पाद विभाग के पदाधिकारी को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई करने की दिशा में राज्य सरकार के द्वारा कोई कदम उठाया जा रहा है और इस नेक्सस में शामिल कितने पुलिस पदाधिकारी और थानेदार को राज्य सरकार के द्वारा सजा करायी गयी है इसका भी जवाब अपेक्षित है।
- मुख्यमंत्री जी आप कहते हैं कि आपने जीविका समूह और महिलाओं के माँग पर शराबबंदी लागू किया था लेकिन उसी कानून के बाद जहरीली शराब ने बिहार के हजारों महिलाआंे के माँग का सिंदूर उजाड़ दिया इस दिशा में आपको चिन्तन करने की जरूरत नही है ?
- आपके प्रारंभ के शराबबंदी कानून के अधिनियम के तहत अभी तक बिहार के जेलों मंे हजारों महिला के परिवार के लोग एवं उनके पति जेल बंद हैं या सजा काट रहे है, इसपर भी आपको चिंतन करने की जरूरत है।
- शराबबंदी कानून के बाद राज्य के थानेदार, पुलिस पदाधिकारी एवं वरीय पुलिस पदाधिकारी शराब तस्करों को साथ देकर मालामाल हो रहे हैं क्यों नही शराबबंदी कानून के सारे अधिकार राज्य के उत्पाद विभाग को सौंप देना चाहिये।
- आपके महागठबंधन के वरिष्ठ सहयोगी पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पूर्व मे कहा था और आपके अड़ियल रवैये पर सवाल उठाए थे कि जब प्रधानमंत्री कृषि कानून वापस लो सकते हैं तो बिहार सरकार शराबंदी कानून क्यों नहीं वापस ले सकती क्या आपने इस दिशा में अभी तक सोचा है। बिहार में शरबबंदी के बाद जितने भी लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई थी क्या उनके पूरे परिवार को जेल भेजा गया है।
- क्या आप जीतन राम मांझी के द्वारा गरीबों और दलितों को राज्य में ढाई सौ ग्राम शराब आपूर्ति कराने के लिए सहमत हैं?
- राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में निरस्ता, उदासी, बेरोजगारी और शराब के धंधे में युवाओं के लिप्त होने से निजात पाने के लिए शराबबंदी कानून को और बेहतर बनाने के लिए कोई वैकल्पिक प्रभावी नीति लाने पर आपके द्वारा विचार किया जा सकता है।
- बिहार विधान परिसर में विधानसभा सत्र के दौरान में जब शराब की बोतलें बरामद हुई थी तो आपकी पार्टी के द्वारा इसे राजद की साजिश बताया गया था और आपने कहा था ये बर्दाश्त से बाहर है यह जांच की जाएगी, और सरकार ने कहा था कि जल्द ही इस साजिश का खुलासा किया जायेगा क्या आपके सरकार और आपकी पार्टी के द्वारा उस समय राजद के द्वारा साजिश का खुलासा करने की बात कही गयी थी जांच में किसकी संलिप्तता थी यह अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया।
- बिहार के बाहर के लोगों के द्वारा जब यह व्यंग्य किया जाता है कि बिहार में भगवान की तरह शराब दिखता कहीं नहीं है मगर मिलता हर जगह है क्या यह राज्य सरकार के कथित शराबबंदी लागू होने का मखौल नहीं बना हुआ है।
- जितने भी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को शराब ना पीने और शराबबंदी लागू कराने का शपथ दिलाया गया था क्या वे उस शपथ को पूरे ईमानदारी के साथ पूरा कर रहे हैं।
- क्या यह सच नही है कि आपके शराबबंदी का खामयिजा गरीबों को भुगतना पड़ रहा है राज्य के गरीब और दलित मिलावटी और जहरीली शराब पी रहे हैं नतीजा यह है कि हजारों की जान चली गयी हजारों ने अपने आँख की रौशनी गायब कर दी और लाखों लोग जेल में बंद है यह आपके शराबबंदी पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है?
- क्या यह सच नही है पड़ोसी राज्यों एवं अन्य राज्यों में हमारे राज्य के लोग अल्कोहल टूरिज्म पर जाते हैं जिससे बिहार की अर्थव्यवस्था को भाड़ी नुकसान हुआ है?
- क्या आप अपने शराब नीति में बदलाव कर राज्य सरकार के स्तर से शराबबंदी और शराब ना पीने के लिए लोगों के बीच जागरूकता अभियान और इसके दुष्प्रभाव से होने वाली बीमारियों से दूर रखने के लिए कोई और भी प्रभावी शराबबंदी की नीति चलाने की दिशा में कोई और भी प्रभावी कार्यक्रम के कार्यान्वयन की दिशा में आपकी सरकार विचार कर सकती है? आपके द्वारा आपके शराबबंदी का मॉडल बिल्कुल ही अव्यावहारिक निर्णय अभी तक साबित हुआ जिसे लगता है कि राज्य प्रशासन के द्वारा कभी भी अमलीजामा नहीं पहनाया जा सकता है।
- क्या यह सच नही है कि आपकी शराबबंदी को बिहार के पुलिस अपराधियों और तस्कर ने हाईजैक कर लिया है और एक अलग से अर्थव्यवस्था शराब के कारोबारियों ने खड़ी कर दी है?
- राज्य में दलित दिहाड़ी करने वाले मजदूर मस्तान मांझी और पेंटर मांझी को शराब पीने के जुर्म में पाँच साल की सजा और एक-एक लाख का जुर्माना हुआ क्या इस कानून के अंतर्गत एक दिहाड़ी मजदूर के लिए इतनी सख्त सजा की जरूरत थी।
- क्या यह सच नही है कि गया के तत्कालीन सीनियर पुलिस अधीक्षक आदित्य कुमार शराब तस्करों के साथ मिलीभगत के मामलें अभी तक फरार हैं और उनपर वांरट जारी है और इस मामलें में राज्य के पुलिस महानिदेश पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा हुआ था इससे यह सवाल तो उठता ही है कि कितने बड़े रसूखवालें पुलिस पदाधिकारी और अधिकारी और राज्य के अधिकारी के मिलीभगत से बिहार में शराब का धंधा व्यापक पैमाने पर फल-फूल रहा है?
- महागठबंधन और राजद के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी ने पूर्व में शराबबंदी पर हुई जहरीली शराब से मौतों के लिए आपको जिम्मेदार नहीं ठहराया था, क्या राजद ने पूर्व में इस कानून को खत्म करने की मांग नहीं की थी, क्या राजद ने इस कानून को लेकर पूर्व में आपसे इस्तीफे की मांग नहीं की थी।
- बिहार में हजारों परिवार के लोग शराबबंदी के मुकदमों को लड़कर बर्बाद हो रहे हैं क्या यह बर्बादी शराब पीने से होनेवाली बर्बादी के समान नही है।
- क्या शराबबंदी के बाद बिहार में महिलायें सुरक्षित हो गयी हैं, क्या महिलायों पर होनेवाले अत्याचार और उत्पीड़न की घटनायें बंद हो गयी हैं, सच तो यह है कि महिलाओं ने अपने गांव में शराब की भट्ठी को धवस्त कराने के लिए शराबबंदी की मांग की थी क्या यह सच नही है अभी भी गांव और ग्रामीण तथा दियर के इलाकें में बड़े पैमाने पर शराब की भट्ठियां लगाकर अभी भी जहरीली शराब बनाया जा रहा है।
- प्रारंभ के सख्त कानून जिसमें किसी के घर एवं परिसर से शराब मिलने के बाद उनके परिसर और घर और गाड़ी को जब्त किया गया था क्या संशोधित कानून के तहत राज्य सरकार उनसभी के घर एवं जमीन तथा गाड़ी को वापस करेगी।
( प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित )