वैक्सीन लगवाने के समय पहनी पोशाक पर कांग्रेस को ऐतराज

जयपुर। कोरोना वैक्सीन के प्रति लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए 1 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं दिल्ली के एम्स अस्पताल में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगवाई। प्रधानमंत्री की इस पहल की देशभर में प्रशंसा हो रही है। भारत में बनी वैक्सीन को लगवाकर मोदी ने उन लोगों को संदेश दिया है जो अब तक स्वदेशी वैक्सीन लगवाने में हिचक रहे थे। जब देश के प्रधानमंत्री स्वयं वैक्सीन लगवा रहे हैं तब किसी को हिचक नहीं होनी चाहिए। लेकिन विपक्ष खासकर कांग्रेस को इसमें भी राजनीति नजर आ रही है। 

लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वैक्सीन लगवा कर प्रधानमंत्री ने पांच राज्यों में चुनावी हित साधने की कोशिश की है। चौधरी को प्रधानमंत्री मोदी की शक्ल और लिबास पर भी ऐतराज रहा। मोदी के बढ़ी हुई दाढ़ी की तुलना गुरूदेव रविन्द्र नाथ टेगौर से कर दी गई। चौधरी ने कहा कि मोदी को अपने हाथ में टेगौर द्वारा लिखित काव्य संग्रह गीतांजलि भी रख लेना चाहिए। मोदी ने वैक्सीन लगवाते समय असम की लोक परंपरा के अनुरूप गमचा गले में पहन रखा था तथा पुडुचेरी की नर्स ने टीका लगाया, जबकि केरल की नर्स पास में खड़ी थी। चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल, केरल, असम, पुडुचेरी आदि में विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए प्रधानमंत्री ने इस तरह वैक्सीन लगवाई है। विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री द्वारा वैक्सीन लगवाने पर भी कांग्रेस को एतराज है। असल में विपक्ष को प्रधानमंत्री के हर कार्य से एतराज है। कोरोना काल में उठाए गए कदमों की दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है, जबकि विपक्ष को दीपक जलाने, थालियां बजवाने जैसे प्रभावी और माहौल को खुश नुमा करने वाले निर्णयों पर अब भी एतराज है। दाढ़ी और बाल बढ़ा लेने से यदि नरेन्द्र मोदी की शक्ल गुरूदेव रविन्द्रनाथ टेगौर जैसी लगती है तो इसमें मोदी का क्या कसूर है? नरेन्द्र मोदी एक राजनीतिक दल के नेता और देश के माहौल के अनुरूप यदि लिबास पहनते हैं तो इसमें ऐतराज की क्या बात है? यह कार्य तो विपक्ष के नेता भी कर सकते हैं। 

दक्षिण राज्यों के चुनावी दौरे के समय यदि राहुल गांधी टी शर्ट और पेंट पहन कर समुद्र में कूदते हैं तो इसमें मोदी क्या करेंगे? यह तो अपनी अपनी समझ है। अब कांग्रेस यदि नरेन्द्र मोदी को गुरूदेव रविन्द्रनाथ टेगौर बनाने पर ही तुली हुई है तो मोदी के हाथ में गीतांजलि भी आ जाएगी। वैसे अधीर रंजन चौधरी का सुझाव अच्छा है। किसी भी मुद्दे पर राजनीति अपनी जगह है, लेकिन फिलहाल देशवासियों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए वैक्सीन लगवाने की जरुरत है। सरकार ने एक मार्च से देशभर में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों के लिए वैक्सीन लगवाने की जो व्यवस्था की है, उसमें विपक्ष को भी सहयोग करना चाहिए। भारत में चलने वाला यह टीका कारण अभियान दुनिया का सबसे बड़ा टीका करण अभियान है। विपक्ष की भी ज़िम्मेदारी है कि अधिक से अधिक देशवासी टीका लगवाएं। विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त 45 वर्ष के व्यक्ति भी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क टीका लगवा सकते हैं। यदि किन्हीं कारणों से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है तो प्रशासन द्वारा निर्धारित अस्पतालों में मौके पर ही रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है। संबंधित व्यक्ति को अधिकृत पहचान पत्र भी साथ रखना होगा।

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