पांच साल की मासूम से रेप करने वाले अपराधी युवक को फांसी की सजा

जयपुर। पांच साल की मासूम से रेप करने वाले अपराधी युवक को जघन्य अपराध के लिए कोर्ट ने बुधवार को फांसी की सजा सुनाई । यह फैसला सिर्फ 26 दिन में सुना दिया। पॉक्सो कोर्ट के जज सुकेश कुमार जैन ने आरोपी सुनील को फांसी की सजा सुनाई। जज ने सजा सुनाते हुए कहा कि सुनवाई के दौरान तुम्हारे अंदर एक बार भी पश्चाताप नहीं देखा, अगर तुम पश्चाताप करते तो हो सकता था तुम्हारी सजा दूसरी होती।

19 फरवरी को प्रदेश के पिलानी थाने के तहत श्योराणों की ढाणी की है। शाम करीब साढ़े पांच बजे पांच साल की मासूम खेत में अपने भाई-बहनों के साथ खेल रही थी। इसी दौरान एक स्कूटी पर आरोपी सुनील कुमार (20) आया और मासूम का अपहरण कर ले गया था।

कोर्ट के फैसले के बाद बच्ची के पिता से बातचीत में कहा- आज हमारी बेटी को न्याय मिला है। घटना के बाद से ही वह सहमी रहती है। उसे जिंदगी भर का दर्द मिला है। जिसकी पीड़ा कोई कम नहीं कर सकता। 19 फरवरी को अपहरण के तुरंत बाद ही मासूम के भाई-बहनों ने आरोपी का पीछा भी किया था, लेकिन वे उसे नहीं पकड़ पाए। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। एसपी मनीष त्रिपाठी के निर्देश पर पुलिस ने तत्काल नाकाबंदी की। इस बीच रात करीब 8 बजे मासूम गाड़ाखेड़ा गांव में लहूलुहान स्थिति में मिली थी। इसके बाद गाड़ाखेड़ा चौकी प्रभारी शेरसिंह तुरंत मौके पर पहुंचे और मासूम को अस्पताल पहुंचाया। हालत गंभीर होने पर उसे जयपुर रैफर किया गया था।

घटना के पांच घंटे बाद ही पुलिस ने शाहपुर निवासी आरोपी सुनील को गिरफ्तार कर लिया था। एसपी त्रिपाठी ने इस मामले में टीम का गठन का जल्द से जल्द चालान पेश करने को कहा। इसके बाद जांच अधिकारी चिड़ावा डीवाईएसपी सुरेश शर्मा ने आरोपी के खिलाफ 9वें दिन ही 1 मार्च को चालान पेश कर दिया। तब से मामले की नियमित सुनवाई हो रही थी। बुधवार को पॉक्सो कोर्ट के जज सुकेश कुमार जैन ने आरोपी सुनील को फांसी की सजा सुनाई।

इस मामले में 40 से अधिक गवाह जुटाए और साथ ही करीब 250 दस्तावेज बतौर सबूत रखे। जल्द से जल्द चालान पेश करने के लिए पुलिस ने इस मामले में रोजाना 12 से 13 घंटे काम किया और 10 दिन में ही चालान पेश कर दिया था। पॉक्सो एक्ट लागू होने के बाद मासूम से रेप को फांसी का यह झुंझुनूं का दूसरा मामला है। इससे पूर्व तीन साल पहले ऐसे ही एक मामले में आरोपी विनोद कुमार को फांसी की सजा सुनाई गई थी। यह फैसला घटना के 29 दिन में आया था।

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