
अजमेर। (अनुपम जैन) तीर्थ नगरी पुष्कर में पवित्र सरोवर के चारों तरफ 52 घाट बने हुए हैं उनमें से मुख्य व सबसे प्राचीन घाट है गऊघाट। जहां आज भी काफी संख्या में श्रद्धालु पवित्र सरोवर में स्नान करने के लिए आते हैं। यही नहीं गऊघाट एक ऐसा घाट है जहां बही वाले तीर्थ पुरोहित पूजा अर्चना करवाते हैं तथा सभी बही वाले तीर्थ पुरोहितों की बैठक आज भी गऊ घाट है तथा हर यात्री को बही वाले पुरोहित गऊघाट पर मिलते हैं।
यही नहीं हरिद्वार जाकर आने वाले करीबन काफी संख्या में श्रद्धालु भी गऊघाट आकर अपने बुजुर्गों की अस्थियां प्रभावित करते हैं लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आज यह सरकार प्रशासन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। गऊघाट बिल्कुल पुष्कर के मुख्य बाजार में स्थित है तथा इसका काफी महत्व है इस घाट पर पुष्कर मेले में भी लाखों की तादाद में श्रद्धालु स्नान करते हैं तो जलझूलनी एकादशी फूलडोल का मेला सहित कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।
गऊघाट के अंदर प्रसिद्ध कल्याण जी का मंदिर भी स्थित है। गऊघाट में सुबह शाम पवित्र सरोवर की आरती होती है जिस में भी काफी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। गऊ घाट पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और पवित्र सरोवर में स्नान करके पुण्य के भागीदार बनते हैं। यही नहीं इस घाट पर कई महापुरुषों बड़े नेताओं की अस्थियां विसर्जन की जा चुकी है तो कई महापुरुष बड़े नेता तथा अधिकारी पूजा अर्चना कर चुके हैं इसलिए इसको वीआईपी घाट से भी जाना जाता है। लेकिन अब पुष्कर के बाजार सकड़े होने अतिक्रमण फेल जाने के कारण गाडिय़ां गऊ घाट तक नहीं आने के कारण अब वीआइपी को ब्रह्म घाट पर पूजा अर्चना कराई जाती है। लेकिन कई वीआईपी ऐसे है जो सिर्फ आज भी गऊ घाट पर पूजा अर्चना पिंडदान ओर तर्पण करते हैं। लेकिन आज वर्तमान के हालात गऊघाट के देखी जाए तो चारों तरफ से जर्जर हो चुका है गंदगी का अंबार देखने को मिल रहा है। आवारा जानवर का जमघट लग रखा है।
तीर्थ पुरोहित हेमंत रायता ने बताया कि 2 साल पूर्व भी गऊ घाट का बरामदा जर्जर होने के कारण दो पट्टियां टूट गई बड़ा हादसा होने से टल गया नगर पालिका ने तुरंत प्रभाव से सही करवाई आज भी गऊ घाट का मुख्य दरवाजा जर्जर हो रखा है। इसके अलावा गऊ घाट में स्थित बरामदे भी टूट चुके हैं काफी क्षतिग्रस्त हो रखे हैं, जो कभी भी हादसे को निमंत्रण दे सकते हैं। गऊ घाट के अंदर चारों तरफ आवारा जानवरों का जमघट रहने तथा प्रतिबंध के बावजूद खाद्य सामग्री बेचने के कारण गंदगीयो का आलम हो रखा है। चारों तरफ गंदगी फैलने के कारण पवित्र सरोवर में स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है। प्रशासन और नगर पालिका को गऊघाट के महत्व को देखते हुए और श्रदालुओं की भावना को ध्यान में रखते हुए प्रतिदिन इसकी साफ सफाई रखनी चाहिए तथा यह जहां से जर्जर हो रखा उसकी मरमत करवानी चाहिए ताकि कभी कोई हादसा ना हो।
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