राजस्थान में किसान सम्मान निधि के बंदरबांट की खबर से हडकम्प

जयपुर। खबरों की खबर है कि कांग्रेस शासित राजस्थान में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के पैसों का बंदरबांट कर दुरुपयोग का मामला राज्य की राजधानी की राजनीति के गलियारे में गूंज रहा है। दरअसल केन्द्र सरकार इस योजना की राशि राज्य सरकार द्वारा दी गई सूची के आधार पर ही जरुरतमंद किसानों को सीधे उनके खातों में 6 हजार रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से हर तीन माह में 2-2 हजार रुपये किसानों के खाते में ट्रांसफर करती है। खबर अगर सही है तो राजस्थान में अब तक जारी की गई सात किस्तों में 75 अरब 66 करोड़ 59 लाख 84 हजार रुपये का भुगतान 3 तीन करोड़ 78 लाख 32 हजार 992 लोगों को ट्रांसफर कर बांटे जा चुके हैं। पहली किस्त में 70 लाख 35 हजार 852 लोगों को 1470 करोड़ 17 लाख 4 हजार रुपये बांटे गये थे।

इस प्रकरण में हडकंप जब मच गया जब केन्द्र सरकार के कृषि मंत्रालय की टीम ने किसानों के आधार कार्ड नंबर व पैन नंबर से दिये गये बैंक खाताधारक व खेत के मालिकों के नाम में अंतर पाया गया।

दरअसल इस योजना का लाभ इनकम टैक्स देने वाले व 10 हजार से अधिक पेंशन वाले किसान, पेशेवर लोग, डॉक्टर, सी.ए., इंजीनियर, वकील, ऑर्किटेक्ट जो खेती का काम करते हैं या उनके नाम खेती की जमीनें हैं। सरकार में चतुर्थ श्रेणी व डी ग्रुप के कर्मचारियों के अलावा को भी सरकारी कर्मचारी इस योजना का लाभ नहीं उठा सकता है। क्योंकि यह योजना खेती किसानों के विकास हेतु 11 फरवरी 2019 को यू.पी. के गोरखपुर से स्वैच्छिक अर्थात् पात्र किसानों की इच्छा आधारित योजना शुरू की गई थी।

दरअसल प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि उन्हीं कृषकों के लिए हैं, जिन्हें खेती के समय बीज खाद खरीदने की जररूत होती है, जब उन्हें सूद खो दी और देखना पड़ता है। लेकिन राजस्थान में इस योजना का लाभ मालदार और प्रभावशाली लोगों ने उठा कर बंदरबांट कर लिए इस योजना के पैसों का।

राजस्थान में इस योजना का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि आखिर अपात्र किसानों की सूची राज्य सरकार ने केन्द्र को क्यों दी जिसमें इस योजना का दुरुपयोग हुआ है। विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा अब कह रहे है कि अपात्र किसानों से दी गई राशि वसूल कर केन्द्र सरकार के खाते में जमा कराई जायेगी। लेकिन सवाल उठता है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार उन अपात्र किसानों से राशि वापस ले पायेगी। सवाल यह भी उठता है आखिर अपात्र किसानों की सूची राज्य सरकार ने केन्द्र को क्यों दी? क्या उन्हें पता नहीं था जिन मालदार किसानों के पास लक्जरी कारें, शानदार बंगले है यहां तक जो लोग डॉक्टर, इंजीनियर, उद्योगपति, सांसद और विधायकों के परिवार के सदस्य तथा सरकारी अधिकारियों तक ने गरीब किसान बनकर योजना की राशि का बंदरबांट कर चूना लगाया है।

भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने मांग की है कि प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के परिवार से जुड़े जिन लोगों ने किसान सम्मान निधि प्राप्त की है। उसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए क्योंकि हाल ही में विधानसभा में भी यह मामला उठा था। ये बहुत ही दुर्भाज्य पूरी बात है प्रभावशाली लोग गरीब किसानों का हक हजम करने पर तुले हैं।

उल्लेखनीय है खबरों में सबसे ज्यादा हेराफेरी में मुख्यमंत्री गृह नगर जोधपुर से सटे पाली, अजमेर सहित सभी जिलों में कमोबेश में खेल चला है।

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